किसानों के मुद्दे पर दिखी विपक्षी एकता, राहुल व केजरीवाल के निशाने पर रही BJP
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि हम यहां पर अपने हक को मांगने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि अपना हक लेने आए हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। कर्ज माफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को फसल के लागत मूल्य का डेढ़ गुना करने की मांग को लेकर रामलीला मैदान में एकजुट हुए कई राज्यों के किसानों ने शुक्रवार को संसद मार्ग पर हुंकार भरी। अखिल भारतीय किसान संघर्ष मोर्चा समन्वय समिति (एआइकेएससीसी) के बैनर तले आयोजित किसान मुक्ति मार्च में देश के 210 किसान संगठन शामिल हुए। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने भी एकता दिखाने की कोशिश की।
किसानों के मार्च के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) समेत 21 दलों ने किसानों की मांगों का समर्थन किया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी किसानों की मांग के समर्थन में संसद मार्ग पर पहुंचे।
तोहफा नहीं, हक मांग रहे हैं किसान
राहुल गांधी मार्च में पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि किसान कोई तोहफा नहीं अपना हक मांग रहा है। केंद्र सरकार ने खोखले वादे किए। उन्होंने एक बार फिर केंद्र सरकार पर उद्योगपतियों का कर्ज माफ करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 15 उद्योगपतियों का करीब 3.50 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिया गया। अभी बैंकों से 12.50 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने की कोशिश की जा रही है। जब उद्योगपतियों का कर्ज माफ हो सकता है तो किसानों का भी कर्ज माफ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां मंच पर बैठे लोगों की भले ही विचारधारा अलग है, लेकिन किसानों व युवाओं के लिए सभी एक हैं। इसके लिए बेशक कानून बदलना पड़े, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बदलना पड़े तो वह किया जाएगा।
मार्च में पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया। बॉर्डर पर जवान और देश में किसान दुखी हैं।
लागू हो किसान मुआवजा योजना ः केजरीवाल
किसानों के बीच पहुंचे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनकी मांगों में कुछ और सुझाव जोड़े। केजरीवाल ने केंद्र की फसल बीमा योजना को खत्म करके किसान मुआवजा योजना लागू करने की बात कही। उन्होंने फसल बीमा योजना को भाजपा की डाका योजना करार दिया। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों की मेहनत की कमाई हड़प रही है। उन्होंने दिल्ली सरकार की तरफ से लागू योजना के बारे में बताया कि फसल खराब होने पर उनकी सरकार 50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देती है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि जितनी फिक्र मोदी जी उद्योगपतियों की करते हैं, उसका दस फीसद भी किसानों की करते तो देश का किसान दिल्ली की सड़कों पर अपनी मांगों के लिए नहीं उतरता। अभी चुनाव में पांच माह बाकी हैं, इसलिए हमारी मांग है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करे, अन्यथा 2019 में केंद्र सरकार किसानों का गुस्सा नहीं झेल पाएगी। प्रधानमंत्री जल्द से जल्द किसानों की हर मांग को मानें। यह बेहद दुखद है कि भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है कि वह स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं कर सकती है।
बड़े वादे करने वाली पार्टियों से रहें सावधान
योगेंद्र यादव स्वराज इंडिया की ओर से योगेंद्र यादव ने मंच से कहा कि किसानों को अपनी मागों को तो मनवाना ही है, साथ ही बड़े-बड़े वादे और दावे करने वाली पार्टियों से भी सावधान रहना है। यादव ने कहा कि यह तो स्पष्ट है कि देश की सबसे किसान विरोधी सरकार भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकना है, पर जो 21 पार्टिया हमारे बिल का समर्थन कर रही हैं, उन्हें भी डराकर रखना है।
वहीं, सीताराम येचुरी ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कौरव बताया। मार्च में शामिल आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के मुद्दे पर पहले से ही चिंता करनी चाहिए थी।
सांसद राजू शेट्टी ने कहा- 'मोदी जी, अगर आप किसानों के ख़िलाफ़ जाएंगे तो दिल्ली में राज करने का सपना ही देखेंगे अगली बार। दिल्ली में सरकार उसी की बनेगी जिसको किसान चाहेंगे।'
इन दलों ने लिया हिस्सा, बसपा रही दूर
किसान मुक्ति मार्च में किसानों के मुद्दे पर विपक्षी एकजुटता में लगभग सभी बड़े दल शामिल रहे। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की भागीदारी इस मार्च में नहीं रही। वाम दलों के नेता सीताराम येचुरी व डी राजा, समाजवादी पार्टी के धर्मेद्र यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूख अब्दुल्ला, समाजवादी नेता शरद यादव, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, एनसीपी नेता शरद पवार के अलावा तृणमूल काग्रेस, टीडीपी, राष्ट्रीय लोक दल व कई अन्य दलों के नेता किसान मुक्ति मार्च में शामिल हुए।
वहीं, किसानों के मार्च के चलते रामलीला मैदान के बराबर की एक सड़क पर यातायात पूरी तरह बंद कर दिया गया था। ट्रैफिक पुलिस दिल्लीवासियों को जाम से बचने के लिए अपने फेसबुक पेज और ट्विटर हैंडिल पर ट्रैफिक की जानकारी को लगातार अपडेट कर रही थी।
यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए यह जानकारी दी जा रही थी। किसान मुक्ति मार्च के लिए पहुंचे किसानों के रास्ते में करीब 1000 ट्रैफिक पुलिसकर्मी के जवानों को लगाया गया था। इन जवानों को ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त रखने की हिदायत दी गई थी।
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने संसद मार्ग तक किसानों को पैदल मार्च की अनुमति नहीं दी थी। वहीं, किसानों संगठनों का कहना है कि उनका संसद भवन मार्च शांति पूर्वक होगा।
बता दें कि बड़ी संख्या में बिहार, पंजाब व उत्तर -प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में बृहस्पतिवार दोपहर से ही जमा थे।
208 संगठन जुड़े
यह दो दिवसीय विरोध कार्यक्रम अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की अगुवाई में हो रहा था, जिससे अलग--अलग क्षेत्रों और राज्यों में काम कर रहे 208 किसान एवं सामाजिक संगठन जुड़े हैं। रामलीला मैदान में पंजाबी गायक जसबीर सिंह जस्सी ने अपनी प्रस्तुति से किसानों में जोश भर दिया था।
...तो 2019 में कीमत चुकानी होगी
किसानों की मांग है कि किसानों के लिए अलग से संसद सत्र बैठे। किसान व किसानी के समक्ष संकट पर विस्तार से चर्चा हो और इन संकटों का हल निकले। उन्होंने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसान कर्ज मुक्ति के साथ फसलों का डेढ़ गुना दाम नहीं मिला, तो 2019 के लोकसभा चुनाव में सरकार को इसकी कीमत चुकानी होगी।
पहले दिन पैदल मार्च किया
किसान मुक्ति मार्च के पहले दिन बृहस्पतिवार को स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव व जय किसान आंदोलन के संयोजक अभिक साहा के नेतृत्व में देशभर से आए किसानों ने बिजवासन से रामलीला मैदान तक पैदल मार्च किया।
किसान विरोधी सरकार : यादव
योगेंद्र यादव ने मौजूदा केंद्र सरकार को अब तक की सबसे अधिक किसान--विरोधी सरकार बताया। कहा कि किसान मुक्ति मार्च देश के किसानों की लूट, आत्महत्या, शोषषण और अन्याय से मुक्ति की यात्रा है। इस यात्रा में किसान अकेले नहीं हैं, बल्कि पूरा देश उनके साथ चल रहा है।
हक मांगने नहीं, लेने आए : वीएम सिंह
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह ने कहा कि हम यहां पर अपने हक को मांगने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि अपना हक लेने आए हैं। किसान देश को खिलाता है ऐसे में देश को किसानों की इज्जत रखनी चाहिए।
निकाला मार्च, सड़कों पर लगा जाम
बृहस्पतिवार को बड़ी संख्या में बिहार, पंजाब व उत्तर-प्रदेश समेत विभिन्न राज्यों के किसान ट्रेन से दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पहुंचे। बड़ी संख्या में एकजुट होकर किसानों ने दोपहर में आनंद विहार से लेकर रामलीला मैदान तक मार्च निकाला। इसमें खेतों में काम करने वाली महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। इसके कारण वाहन चालकों को जाम की समस्या का सामना करना पड़ा।
ये हैं किसानों की अहम मांगें
- किसान की पूरी तरह कर्ज माफी
- फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजे की मांग
- एमएस स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने की मांग
- किसानों को पेंशन देने की मांग
किसानों के लिए विशेष सत्र की मांग तेज
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 11 दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र के बीच किसानों के लिए अलग से विशेष सत्र बुलाने की मांग तेज कर दी है। इसको लेकर कई संगठनों से जुड़े लोगों ने बुधवार को आइटीओ चौक पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन में शामिल जनवादी लेखक संघ के महासचिव संजीव कुमार ने कहा कि तमाम प्रयासों के बाद भी किसानों की दशा बेहद खराब है। उन पर विशेष ध्यान देने और योजना बनाने की जरूरत है, इसलिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। इसी मांग को लेकर 30 नवंबर को संसद मार्ग पर किसान रैली होगी।
सामाजिक कार्यकर्ता मलयश्री हाशमी ने कहा कि यह सत्र कम से कम 21 दिनों का हो। लेखक हरियश राय ने कहा कि विशेष सत्र में किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा हो।
डीयू के शिक्षकों ने किसानों को दिया समर्थन
डीयू के शिक्षक एवं छात्र किसानों के समर्थन में शुक्रवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने जा रही रैली में शामिल हुए। इससे पहले बृहस्पतिवार उन्होंने अंबेडकर स्टेडियम में किसानों को खाने के पैकेट भी बांटे।