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EXCLUSIVE: दिल्ली को विश्व धरोहर का दर्जा मिलना आसान नहीं, जानिए कहां फंसा है पेंच

दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने का प्रयास 11 साल पहले 2008 में शुरू किया गया था। मगर इस मामले में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी थी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 08:11 AM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 09:32 AM (IST)
EXCLUSIVE: दिल्ली को विश्व धरोहर का दर्जा मिलना आसान नहीं, जानिए कहां फंसा है पेंच
EXCLUSIVE: दिल्ली को विश्व धरोहर का दर्जा मिलना आसान नहीं, जानिए कहां फंसा है पेंच

नई दिल्ली (वी.के.शुक्ला)। राजधानी को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने के लिए अब दिल्ली सरकार फिर से प्रयास करेगी। दिल्ली के पर्यटन मंत्री मनीष सिसोदिया इसे लेकर जल्द ही केंद्रीय पर्यटन मंत्री को पत्र भी लिखेंगे। दिल्ली को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने का प्रयास 11 साल पहले 2008 में शुरू किया गया था। मगर इस मामले में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी थी।

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केंद्र ने 2014 में यूनेस्‍को को भेजा था प्रस्‍ताव
केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को 2014 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) को भेजा था। जिसमें शाहजहानाबाद और लुटियंस जोन को विश्व धरोहर घोषित करने प्रस्ताव रखा गया था। दिल्ली सरकार का पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) इस योजना पर काम कर रहा था।

दो करोड़ से ज्‍यादा हो चुका खर्च
योजना पर दो करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है। अक्टूबर 2014 में यूनेस्को की 20 सदस्यीय टीम ने पुरानी दिल्ली स्थित शाहजहानाबाद व नई दिल्ली इलाके में स्थित लुटियंस जोन का निरीक्षण किया था। टीम ने निरीक्षण के दौरान संतोष व्यक्त किया था और माना जा रहा था कि दोनों इलाकों को विश्व धरोहर का तमगा मिल जाए।

शहरी विकास मंत्रलय ने जताई आपत्ति
शहरी विकास मंत्रलय ने इन दोनों इलाकों को विश्व धरोहर घोषित करने की योजना पर आपत्ति जताई थी। मंत्रलय ने कहा कि इन इलाकों के विश्व धरोहर घोषित हो जाने के बाद इनका विकास रुक सकता है। मंत्रालय की सलाह पर 2015 में केंद्र सरकार ने यूनेस्को से इस प्रस्ताव को वापस ले लिया।

दिल्‍ली सरकार की है सहमति
इस योजना को लेकर काम कर चुके इंटेक (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज) के सलाहकार एजीके मेनन का कहना है कि दिल्ली को लेकर हमारे पास 2014 से डोजियर तैयार है। दिल्ली सरकार इस पर सहमत है। 2015 में जब इसके लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सामने भी बात रखी थी कि इन दोनों इलाकों के विश्व धरोहर घोषित होने के बाद भी इतना कार्य कराया जा सकेगा, जितना कार्य इस समय संभव है। लेकिन मंत्रलय ने गौर नहीं किया। जबकि अहमदाबाद और जयपुर के प्रस्ताव बाद में दिए गए थे लेकिन इन दानों शहरों को विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है।

क्या कहते हैं पुरातत्वविद
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक, डी एन डिमरी कहते हैं कि दिल्ली में धरोहर की कोई कमी नहीं है। यह हेरिटेज सिटी है। चारों ओर धरोहर हैं। मगर देश की राजधानी होने के चलते शहर को हेरिटेज सिटी घोषित कराने का दबाव बनाना ठीक नहीं है। केंद्र सरकार इसे पहले ही निरस्त कर चुका है।

फिर से प्रयास तेज
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उत्तरी क्षेत्र के पूर्व निदेशक डा के के मोहम्मद कहते हैं कि दिल्ली को हेरिटेज सिटी का दर्जा दिलाने के प्रयास फिर से शुरू किए जाने से पहले इस मामले में राज्य सरकार को केंद्र से राय लेनी चाहिए। हेरिटेज सिटी घोषित कराने के लिए बहुत काम करना पड़ता है और अंतिम समय में प्रस्ताव निरस्त हो जाता है तो इसका कोई लाभ नहीं है। वैसे मेरा मानना है कि हेरिटेज सिटी का दर्जा मिलने से शहर के विकास पर असर नहीं पड़ेगा।

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