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संसद मार्ग पर जिग्नेश मेवाणी की रैली में प्रशांत ने कहा- दलितों पर अत्याचार बढ़ा

रैली में देश भर के विश्वविद्यालय के छात्र और दलित नेता के शामिल होने की आशंका है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 09 Jan 2018 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jan 2018 08:55 PM (IST)
संसद मार्ग पर जिग्नेश मेवाणी की रैली में प्रशांत ने कहा- दलितों पर अत्याचार बढ़ा
संसद मार्ग पर जिग्नेश मेवाणी की रैली में प्रशांत ने कहा- दलितों पर अत्याचार बढ़ा

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली पुलिस की रोक के बावजूद दलित नेता और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवाणी संसद मार्ग थाने के सामने युवा हुंकार रैली में पहुचे हैं। दिल्ली पुलिस की स्वीकृति नहीं मिलने के बावजूद यहां पर रैली हो रही है।

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युवा हुंकार रैली में जिग्नेश मेवानी के अलावा कन्हैया कुमार, शेहला रशीद, डीयू के प्रो. रतन लाल, पूर्व डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण और अन्य नेता मौजूद हैं। हालांकि, कोई राष्ट्रीय स्तर का नेता  मौजूद नहीं है और अपेक्षा से बहुत कम भीड़ जुटी है। 

प्रशांत भूषण के भाषण का प्रमुख अंश

- अल्पसंख्यकों और दलितों को दबाया जा रहा है। सरकार के खिलाफ बोलने वालों को मारापीटा जाता है।

- चुनाव में पैसे का दबदबा खत्म होने की अपेक्षा बढ़ा है।

शेहला राशिद ने उड़ाया मजाक

रैली को संबोधित करने के दौरान शेहला राशिद ने कहा कि निजी टेलीविजन न्यूज चैलन रिपब्लिक और ज़ी न्यूज़ का मजाक उड़ाया। शेहला राशिद ने कहा की एक चैनल का नाम R से है और एक का नाम z से है। ये लोग बता रहे हैं कि रैली में कोई नहीं आया है।

डीयू के छात्र चंद्रशेखर को रिहा करने की मांग के समर्थन में पोस्टर लेकर आए हैं। बता दें कि सहारनपुर हिंसा में एक आरोपी चंद्रशेखर फिलहाल जेल में बंद हैं। उन रासुका लगी है।

 

मेवाणी की तरफ से नई दिल्ली जिला पुलिस से लिखित में रैली करने की मांग की गई थी, लेकिन पुलिस ने यह कहते हुए अनुमति देने से इन्कार कर दिया कि जंतर-मंतर समेत आसपास के इलाके में धारा 144 लगी है।

रैली करने पर अड़े जिग्नेश का कहना था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हम लोकतांत्रिक तरीके और शांति से विरोध-प्रदर्शन करना चाहते हैं। लेकिन केंद्र सरकार हमें टारगेट कर रही है। चुने हुए जनप्रतिनिधि को भी अपनी बात नहीं रखने दी जा रही है।

वहीं, पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास के इलाकों जिग्नेश मेवाणी विरोध में भी पोस्टर लगाए गए हैं। इस पोस्टरों पर नारे लिखे गए हैं, जिसमें बहस करने की चुनौती दी गई है। 

 

पुलिस का कहना है कि एनजीटी का आदेश है कि जंतर-मंतर व उसके आसपास किसी भी तरह की रैली नहीं होने दी जाएगी।

 

गणतंत्र दिवस की सुरक्षा तैयारियों के मद्देनजर भी नई दिल्ली जिले में रैली करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसके मद्देनजर पार्लियामेंट स्ट्रीट के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि अनुमति न होने के बावजूद अगर लोग संसद मार्ग थाने के सामने इकट्ठा होंगे तो उनकी सुरक्षा दिल्ली पुलिस करेगी।

जानकारी मिली है कि पूर्वी दिल्ली में गीता कॉलोनी स्थित अम्बेडकर पार्क में गुजरात विधानसभा के निर्दलीय विधायक जिग्नेश के आने की सूचना थी, लेकिन जिग्नेश नहीं आए। हालांकि, उनके कुछ समर्थक आए थे और पार्क में लगी अम्बेडकर की मूर्ति पर फूल माला चढ़ाकर जंतर मंतर पर आयोजित होने वाली रैली में चले गए।

बताया जा रहा है कि क्षेत्र में कुछ लोगों ने अफवाह फैला दी थी कि जिग्नेश अम्बेडकर पार्क में दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध रैली करेंगे, जब है जानकारी पुलिस को मिली तो पार्क में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया। पुलिस के आला अधिकारियों का कहना है कि पार्क में शांति है। किसी तरह की कोई रैली नहीं है। कुछ लोग आए थे, मूर्ति पर माला चढ़ाकर चले गए।

पुलिस को खुफिया जानकारी मिली है कि रैली में देश के कई राज्यों से 7-8 हजार लोग दिल्ली आ सकते हैं। अगर वे कानून तोड़ने की कोशिश करेंगे तो उनसे निबटने के लिए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली को हाई अलर्ट कर दिया गया है।

सभी सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। नई दिल्ली जिला को खासतौर पर अभेद किला में तब्दील कर दिया गया है। जेएनयू से भी करीब 200 छात्रों के रैली में शामिल होने की सूचना है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि नई दिल्ली में पांच कंपनी पैरा मिलिट्री की भी तैनाती रहेगी। कानून तोड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

गुजरात के वडगाम से विधायक जिग्नेश ने देश में दलितों पर अत्याचार होने की बात कहकर भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को रिहा करने की मांग को लेकर नौ जनवरी को युवा हुंकार रैली का आह्वान किया है। दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट में रैली बुलाई गई है।

इसमें देश भर के विश्वविद्यालय के छात्र और दलित नेता के शामिल होने की आशंका है। गत दिनों जिग्नेश की सभा के बाद भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मद्देनजर दिल्ली पुलिस फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।

उक्त मामले में जिग्नेश पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष मोहित पांडेय ने रैली की अनुमति नहीं दिए जाने की खबर को गलत बताया है। वहीं, जिग्नेश मेवाणी ने भी ट्वीट कर इसे कोरी अफवाह बताया है।

क्या है भीमा-कोरेगांव की लड़ाई

गौरतलब है कि 1 जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा गुट के बीच, कोरेगाँव भीमा में लड़ी गई थी। भीमा-कोरेगांव युद्ध में अंग्रेजों ने पुणे के बाजीराव पेशवा द्वितीय की सेना को हराया था। तब अस्पृश्य समझे जाने वाली महार जाति ने तब अंग्रेजों का साथ दिया था। तब से महार जाति 'शौर्य दिवस' मना रही है।

जिग्नेश-उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज

पुणे के पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जिस वक्त शौर्य दिवस का कार्यक्रम हो रहा था तो मंच पर गुजरात के दलित विधायक जिग्नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद भी मौजूद थे उन पर भड़काऊ बयान देने का आरोप है। खबरों के मुताबिक, इनके बयानों के बाद दो समुदायों में हिंसा भड़की थी।


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