Delhi Violence: हिंसा पर हाई कोर्ट में कल भी होगी सुनवाई, पुलिस से कहा दर्ज करना चाहिए FIR
Delhi Violence कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सीनियर लेवल के पुलिस अधिकारी के मौजूद रहने को कहा है।
नई दिल्ली, एएनआइ/ प्रेट्र। दिल्ली हिंसा पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने बुधवार को तल्ख टिप्पणी की। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि देश में एक बार फिर 1984 जैसे हालात नहीं होने देंगे। कोर्ट इसे नहीं देखेगी। हाई कोर्ट ने कपिल मिश्रा के साथ वीडियो क्लिप में दिख रहे पुलिस अधिकारी का नाम भी पूछा है।
दिल्ली हिंसा पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को प्रभावित इलाकों का दौरा करने को कहा है। इसके अलावा कोर्ट ने घायलों को निकालकर अस्पतालों में तुरंत पहुंचाने के लिए पुलिस की तारीफ भी की।
पुलिस को लगाई फटकार
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पुलिस का पक्ष रखने वाले सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या आपने कपिल मिश्रा के भाषण का वीडियो देखा। इस पर उन्होंने मना कर दिया और कहा वे टीवी न्यूज चैनल नहीं देखते। इसके बाद कोर्ट ने एक बार फिर सॉलिसिटर जनरल से पूछा क्या पुलिस अधिकारी वीडियो देखे हैं तो बताया कि दो वीडियो देखें है लेकिन एक वीडियो नहीं देखा है। जिस वीडियो को नहीं देखने की बात पुलिस ने कही वह कपिल मिश्रा का था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कहा है कि वह दिल्ली पुलिस कमिश्नर को सलाह दें कि भड़काऊ बयान देने वाले भाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करें। जस्टिस एस मुरलीधर और तलवंत सिंह की खंडपीठ ने कहा कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए। कोर्ट इस पर दो मार्च को फैसला सुनाएगी।
भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग
दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका में हिंसा की न्याचिका जांच और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े लोग लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भड़काऊ भाषण देकर लोगों को भड़काने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। तनावग्रस्त इलाकों में सेना की तैनाती करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। वहीं पुलिस पर आरोप है कि उपद्रवी पत्थरबाजी करते रहे लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। निष्पक्ष जांच के लिए इलाके के सभी सीसीटीवी की फुटेज संरक्षित कराए जाने की मांग की गई है। मृतकों के परिजनों एवं घायलों को आर्थिक मदद देने की मांग की गई है।
अधिवक्ता नबीला हसन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि हिंसा के दौरान कई लोग जहां घायल हो गए, वहीं कुछ लोगों की जान भी चली गई। उपद्रवियों ने कई दुकानों और घर को आग के हवाले कर दिया है।
मंगलवार रात को हुई सुनवाई
उधर, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में आधी रात को सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर के घर पर मंगलवार देर रात हुई सुनवाई में दिल्ली पुलिस को मुस्तफाबाद के एक अस्पताल से एंबुलेंस को सुरक्षित रास्ता और मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया। इसके साथ ही स्टेटस रिपोर्ट तलब की गई। बुधवार दोपहर 2 बजकर 15 मिनट पर मामले की फिर से सुनवाई होगी।