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JNU Students Protest case : अवमानना केस में जेएनयू प्रशासन को नहीं मालूम छात्रों का नाम, HC ने जताई हैरानी

JNU Students Protest case सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन को उन छात्रों की शिक्षा का ब्योरा मांगा है जिनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर किया गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 13 Dec 2019 12:02 PM (IST)Updated: Fri, 13 Dec 2019 12:02 PM (IST)
JNU Students Protest case : अवमानना केस में जेएनयू प्रशासन को नहीं मालूम छात्रों का नाम, HC ने जताई हैरानी
JNU Students Protest case : अवमानना केस में जेएनयू प्रशासन को नहीं मालूम छात्रों का नाम, HC ने जताई हैरानी

नई दिल्ली, एएनआइ। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (Jawahar lal Nehru university) में प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ प्रशासन ने अवमानना का मामला दायर किया है। इस पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट यह जानकर हैरान रह गया कि जेएनयू प्रशासन ने जिन छात्र-छात्राओं के खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर किया है, उनके नाम तक नहीं पता हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जेएनयू प्रशासन को उन छात्रों की शिक्षा का ब्योरा मांगा है, जिनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा दायर किया गया है।  

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दर्शनकारी जेएनयू छात्रों ने किया सेमेस्टर परीक्षा का बहिष्कार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में गुरुवार से सेमेस्टर परीक्षाओं को शुरू किया गया। लेकिन इन परीक्षाओं का जेएनयू छात्र संघ व अन्य छात्रों ने छात्रवास की फीस बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध जताते हुए बहिष्कार किया। कुछ शिक्षकों की तरफ से छात्रों पर आरोप लगाया कि जेएनयू के सभी स्कूलों में होने वाली परीक्षाओं को प्रदर्शनकारी छात्रों ने जबरन रोका है।

हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट एंड एंटरप्रेन्योरशिप और इंजीनियरिंग स्कूल व स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज की ही परीक्षा व्यवस्थित ढंग से हुई। जिसमें एमए के प्रथम वर्ष के 45 और एमए दूसरे वर्ष के 45 छात्रों समेत एमफिल के 30 छात्रों ने परीक्षाएं दीं। जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस 1 एवं 2, स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिट्रेचर एंड कल्चरल स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज जैसे स्कूलों के गेट बंद रहे। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी छात्र सुबह 9 बजे से ही यहां पर पहुंच गए और परीक्षाओं के संचालन में बाधा पहुंचाई। वहीं छात्रों ने शिक्षकों के आरोपों से इन्कार करते हुए कहा कि हमारी तरफ से लोकतांत्रिक तरीके से परीक्षाओं का बहिष्कर किया गया। किसी भी परीक्षा के संचालन में कोई बाधा नहीं पहुंचाई गई, बल्कि छात्र फीस बढ़ोतरी के खिलाफ कर रहे प्रदर्शन के कारण परीक्षा देने ही नहीं गए। इसके अलावा गुरुवार को एमफिल के कुछ छात्रों की उनके पाठ्यक्रम को लेकर होने वाले प्रजेंटेशन का भी छात्रों ने बहिष्कार किया। कुछ कैंपस में खेलत नजर आए इन छात्रों ने इसे विरोध का तरीका बताया। वहीं छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि जब तक छात्रवास की बढ़ाई गई फीस को पूरी तरह से वापिस नहीं लिया जाएगा। हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

वहीं जेएनयू के कुलपति प्रो. एम जगदीश कुमार ने प्रशासन से जुड़े अधिकारियों से विश्वविद्यालय में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रशासनिक भवन में बैठक बुलाई। प्रशासनिक भवन के गेट पर काफी तादाद में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे।

इसके अलावा जेएनयू प्रशासन ने इस वर्ष छात्र संघ चुनावों में अध्यक्ष पद के सभी उम्मीदवारों से भी बात की और परीक्षा में शामिल होने व प्रदर्शन खत्म करने का अनुरोध किया। हालांकि यह बातचीत बेनतीजा रही और छात्र संघ के पदाधिकारी व अन्य छात्र नेता अपनी मांगों पर अड़े रहे साथ ही यह भी कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी प्रदर्शन जारी रहेगा।

एमएचआरडी ने यूजीसी को अनुदान देने को कहा

एमएचआरडी ने जेएनयू प्रशासन व छात्र संघ से बातचीत के बाद फैसला किया है कि अगले आदेश तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उपयोगिता शुल्क (जिसमें बिजली व पानी बिल प्रति महीने का शामिल है) और छात्रवास की बढ़ाई गई फीस का भुगतान करेगा। जेएनयू प्रशासन को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के तहत छात्रों से बातचीत करने के लिए भी कहा गया है। जेएनयू छात्र संघ को प्रदर्शन खत्म करने के लिए भी कहा गया और कैंपस में अकादमिक गतिविधियों को सामान्य रूप से संचालित होने के लिए भी सहयोग देने के लिए बोला गया। इसके अतिरिक्त जेएनयू प्रशासन को कहा गया कि वह सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए छात्रों को दो हफ्ते की छूट दें। इस फैसले को जेएनयू की अकादमिक परिषद (एसी) में देखा जाए।


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