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Ayodhya Case verdict 2019: VHP ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सबको कुछ न कुछ मिला

मंदिर निर्माण विहिप का नहीं बल्कि राम जन्मभूमि न्यास का काम है। और फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है? अभी उसे देखना है। जो व्यवस्था बनेगी उसके हिसाब से मंदिर बनेगा।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 08:42 AM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 08:42 AM (IST)
Ayodhya Case verdict 2019: VHP ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सबको कुछ न कुछ मिला
Ayodhya Case verdict 2019: VHP ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सबको कुछ न कुछ मिला

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद। महज तीन शब्द। इन तीन शब्दों ने ऐसी मुहिम छेड़ी कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के भव्य मंदिर की कल्पना जीवंत हो उठी। 90 के दशक में शुरू हुए जनआंदोलन को शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने अंजाम तक पहुंचा दिया। यह विहिप के लिए एक सपने का साकार होने जैसा है। इसके बाद भी विराम नहीं है। अब यह समाज के सांस्कृतिक जागरण का काम सतत् जारी रखेगा। फैसले के साथ ही संगठन के आगे की योजनाओं पर नेमिष हेमंत ने विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश:

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1. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को विहिप किस तरह से देखता है?

- हम लोग बहुत संतुष्ट हैं। 40 दिन में सुनवाई हुई। सोमवार और शुक्रवार को एडमिशन डे होता है, उस दिन भी सुना। कोर्ट के निर्धारित समय के बाद भी 200 से ज्यादा घंटे तक सुनवाई हुई है। सबकी समुचित सुनवाई हुई। वह एक सहमत निर्णय पर पहुंचे। सबके साथ न्याय किया है। सबको कुछ न कुछ मिला है। हिंदुओं की जो लंबी आकांक्षा थी कि भगवान की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने। ये आशा पूरी हुई। उन्होंने यह जगह रामजन्म मंदिर के लिए दी है। हम बहुत प्रसन्न हैं। हम इस मुकदमे से संतुष्ट हैं।

2. अब आगे क्या करना है? मंदिर निर्माण की तैयारी कितनी है?

- मंदिर के निर्माण की तैयारी एक दिन भी रुकी नहीं है और जो चंद्रकांत सोमपुरा ने नक्शा बनाया है। दो मंजिला भव्य मंदिर। उसी नक्शे के हिसाब से मंदिर बनेगा। इसमें जो खंभे और बिम लगने हैं, उनमें हाथ से सुंदर पच्चीकारी होनी है। इस कारण एक खंभे या बीम को तैयार करने में तीन माह का समय लगता है। उसका लगभग 60 फीसद काम पूरा हो चुका है। ये तैयार हो गए हैं। जब अनुमति मिलेगी तो मंदिर निर्माण के काम को तेजी से पूरा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एक ट्रस्ट बनाने के लिए कहा है। उन सब व्यवस्थाओं को एक बार ध्यान से देख लेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद मंदिर निर्माण के काम को शुरू हो।

3. मंदिर निर्माण में विहिप की भूमिका क्या होगी?

- मंदिर निर्माण विहिप का नहीं, बल्कि राम जन्मभूमि न्यास का काम है। और फिर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है? अभी उसे देखना है। जो व्यवस्था बनेगी उसके हिसाब से मंदिर बनेगा। विहिप चौकीदारी करेगी कि इसमें देरी न हो। इसमें बाधा न आए। मंदिर निर्माण तथा चढ़ावे का काम विहिप का नहीं है। यह काम कानून के अनुसार जिनका होगा, वह करेंगे।

4. मंदिर आंदोलन का अगुआ विहिप था। अब आगे उसका लक्ष्य क्या होगा?

- इस मंदिर के निर्माण का मतलब है कि जैसे-जैसे यह आकार लेता जाएगा वैसे-वैसे हिंदू समाज के मन में भी वैसा ही मंदिर बने। भेदभाव, ऊंच-नीच दूर हो। छूआछूत दूर हो। समरसता हो। हिंदू जीवन जीने का प्रयत्न हो। हिंदू संगठित हो और विश्व भर में हिंदू जीवन जीता हुआ समर्थ, संगठित हो जिससे हिंदू समाज विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश दे सके। इस काम को हमेशा की तरह करेंगे। अब भी हम एक लाख से ज्यादा गांवों में एकल विद्यालय चला रहे हैं। गोरक्षा व गोसेवा के साथ अन्य विषयों पर भी काम कर रहे हैं।

5. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने को कहा है?

- वो उन्होंने सरकार को कहा है। सरकारों को विचार करना है कि मस्जिद की जगह वह कहां देते हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अंतर्गत विचार करेंगे। विहिप का इसमें कोई दायित्व नहीं है।

6. फैसले से कुछ लोग असंतुष्ट हैं?

- मैं समझता हूं कि शांति से मुकदमा पढ़ेंगे तो सबके लिए कुछ न कुछ है। मुसलमानों को जगह दी गई है। किसी को भी शिकायत का कोई बड़ा कारण नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बैठक बुलाई थी। हिंदुओं के बड़े संत और मुसलमानों के धर्मगुरु थे। जिन्होंने कहा कि संविधान और कानून के राज में वे भरोसा रखते हैं। फैसला जैसा भी आया हो। हम उसको स्वीकार करते हैं। विदेशी शक्ति या भारत में रहने वाले किसी शरारती तत्व को दोनों समुदायों के बीच के रिश्ते को बिगाड़ने नहीं देंगे। हिंसा नहीं करने देंगे।

7.  मथुरा-काशी की भी मांग होती रही है? क्या वह विहिप के एजेंडे में है कि नहीं?

- राम मंदिर बनाना है। मंदिर बनने में समय लगेगा। राम मंदिर के साथ समाज को जगाना है। हमारा सारा ध्यान इसी काम में लगा है। अभी हमारे पास सोचने या बताने की फुर्सत नहीं है। बस इतना ही कहूंगा कि राम इमाम-ए-हिंदू हैं। वह भारत में रहने वाले हिंदू-मुस्लिम, सभी लोगों के पुरखा हैं। अपने पुरखा का मंदिर बने इसका आनंद सबको होना चाहिए। यह आनंद सबको होता है तो ये हिंदू-मुसलमान के संबंधों में नया अध्याय शुरू होगा। देश में हर तरफ शांति और सौहार्द्र ही होगा।

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