ट्रिपल तलाक बिल पास होने पर कुमार विश्वास ने किया ट्वीट, लोग कर रहे जमकर तारीफ
AAP के बागी नेता व कवि कुमार विश्वास ने ट्रिपल तलाक को लेकर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर साजिद सजनी की एक शायरी शेयर की है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (aam aadmi party) के बागी नेताओं में शुमार कुमार विश्वास अब ट्रिपल तलाक बिल (Triple Talaq Bill) पास होने के बाद इस पर ट्वीट कर चर्चा में हैं। दरअसल, राज्यसभा में मंगलवार को तीन तलाक बिल पास हुआ है। इस पर आम से लेकर खास लोगों की प्रतिक्रिया लगातार आ रही है।
इसी कड़ी में AAP के बागी नेता व कवि कुमार विश्वास ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर साजिद सजनी की एक शायरी शेयर की है। इस शायरी के जरिये उन्होंने मुश्लिम महिलाओं को बधाई देते हुए ट्रिपल तलाक का समर्थन किया है।
इसी के साथ कुमार विश्वास ने ट्वीट किया- 'तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथ, मिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ।' उनके इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया और प्रसशंकों ने भी उनका समर्थन किया है।
बता दें इससे पहले वह उन्नाव सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के साथ हुई दुर्घटना के बाद भी व्यवस्था पर कटाक्ष कर चुके हैं।
यहां पर बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) को मंजूरी दे दी है। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब तीन तलाक कानून बन गया है। यह कानून 19 सितंबर 2018 से लागू माना जाएगा। इससे पहले तीन तलाक बिल (Triple Talaq Bill) संसद के दोनों सदनों से पहले ही पास हो चुका है। बीती 25 जुलाई को इसे लोकसभा में पास करवाया गया था तो 30 जुलाई को राज्यसभा में इसे पास करवाया गया था। तीन तलाक बिल(Triple Talaq Bill) के कानून बने ही अब 19 सितंबर 208 के बाद से तीन तलाक के जितने भी मामले सामने आए हैं, उन सभी का निपटारा इसी कानून के तहत किया जाएगा।
इससे पहले तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में पास हुआ था। लोकसभा में तीन तलाक बिल 25 जुलाई को पहले ही पास हो चुका है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2018 में भी यह बिल लोकसभा से पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था। पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था।
जानिए- तीन तलाक बिल के बारे में, क्या हैं प्रावधान
- बिल के प्रावधान तीन तलाक के मामले को सिविल मामलों की श्रेणी से निकाल कर आपराधिक क्षेणी में डालते है।
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना।
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है।
- बिल में तीन साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया है।
- यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी।
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीडि़त महिला का पक्ष सुना जाएगा।
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
- मजिस्ट्रेट को सुलह कराकर शादी बरकार रखने का अधिकार।
- पीडि़त महिला पति से गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है। इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा।
- पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है। इसके बारे में मजिस्ट्रेट ही तय करेगा।
यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रानिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक देता है तो उसकी ऐसी कोई भी उद्घोषणा शून्य और अवैध होगी। इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि तीन तलाक से पीडि़त महिला अपने पति से स्वयं और अपनी आश्रित संतान के लिए निर्वाह भत्ता प्राप्त पाने की हकदार होगी। इस रकम को मजिस्ट्रेट निर्धारित करेगा।
- पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
- नियम कानून के तहत मैजिस्ट्रेट इसमें जमानत दे सकता है, लेकिन पत्नी का पक्ष सुनने के बाद।
- यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।
- यह कानून सिर्फ तलाक ए बिद्दत यानी एक साथ तीन बार तलाक बोलने पर लागू होगा।
तीन तलाक बिल
इस बिल के अनुसार तत्काल तीन तलाक अपराध संज्ञेय यानी इसे पुलिस सीधे गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी।
इसके साथ ही खून या शादी के रिश्ते वाले सदस्यों के पास भी केस दर्ज करने का अधिकार रहेगा। पड़ोसी या कोई अनजान शख्स इस मामले में केस दर्ज नहीं कर सकता है।
इस अध्यादेश के मुताबिक तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया। हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे।
इस बिल में मौखिक, लिखित, इलेक्ट्रॉनिक (एसएमएस, ईमेल, वॉट्सऐप) को अमान्य करार दिया गया और ऐसा करने वाले पति को तीन साल की सजा का प्रावधान जोड़ा गया।
बिल में यह भी है प्रावधान
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा।
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है।
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है, महिला को कितनी रकम दी जाए यह जज तय करेंगे।
- पीड़ित महिला के नाबालिग बच्चे किसके पास रहेंगे इसका फैसला भी मजिस्ट्रेट ही करेगा।
दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिक
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप