32 लोगों की हत्या के मामले में हरियाणा इस गांव को है 35 साल बाद FIR का इंतजार
1984 anti-Sikh riots caseरेवाड़ी के गांव हौंद चिल्हड़ तक भी दंगों की आंच पहुंची थीदंगाइयों ने 32 लोगों को मार डाला था। 35 वर्ष पूर्व हुए इस नरसंहार के जख्म अभी तक हरे हैं।
रेवाड़ी [कृष्ण कुमार]। 1984 anti-Sikh riots case: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देशभर में फैले दंगों में मारे गए निर्दोष सिखों के जख्म अभी भरे नहीं हैं। रेवाड़ी के गांव हौंद चिल्हड़ तक भी दंगों की आंच पहुंची थी तथा दंगाइयों ने 32 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। 35 वर्ष पूर्व हुए इस नरसंहार के जख्म अभी तक हरे हैं। दंगों के दोषियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही अब तक पीड़ितों को न्याय मिल पाया है। आयोग की जांच रिपोर्ट के बाद मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
रविवार को गांव हौंद में गुरुनानक जयंती मनाई गई तथा सिख दंगों में मारे गए लोगों की आत्मिक शांति के लिए प्रार्थना भी हुई। हौंद चिल्हड़ तालमेल कमेटी व हेल्पर क्लब फरीदाबाद की ओर से यह कार्यक्रम रखा गया था।
कार्यक्रम में पहुंचे हौंद-चिल्हड़ तालमेल कमेटी के प्रधान मनिंद्र सिंह ग्यासपुरा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि उस समय सिख समाज के लोगों पर जो अन्याय हुआ उसकी न तो जांच की गई और न ही अब तक दोषियों को सजा मिल पाई है।
सरकार की ओर से दंगों की जांच के लिए जस्टिस टीपी गर्ग आयोग का गठन किया गया था। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार की ओर से अभी तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दोषियों के खिलाफ इस मामले में अभी तक एफआइआर भी नहीं हुई है। सिख समाज के लोगों की मांग है कि मनोहर सरकार उस समय दोषी रहे अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करे।
15 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
नरसंहार के अगले दिन जाटूसाना पुलिस थाने में 3 नवंबर 1984 को एफआइआर दर्ज की गई थी। जांच के बाद किसी भी आरोपित की पहचान नहीं की जा सकी तो पुलिस ने 1 अप्रैल 1987 को अनट्रेस रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। जनवरी 2011 में सिख युवक इंजीनियर मनिंद्र सिंह ग्यासपुरा हौंद गांव में पहुंचे थे तथा यहां हुए नरसंहार की कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी।
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