उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत मामला दर्ज, जानिए क्या है PSA
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSB) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
श्रीनगर, एएनआइ। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSB) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
Jammu & Kashmir: National Conference leader Omar Abdullah & Peoples Democratic Party leader Mehbooba Mufti have been booked under Public Safety Act (PSA). pic.twitter.com/JQ18HXRRbs
— ANI (@ANI) February 6, 2020
फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला हैं कैद
ज्ञात हो कि पीएसए को राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री स्व शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था। उस समय उन्होंने यह कानून जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए बनाया था, बाद में इसे उन लोगों पर भी लागू किया जाने लगा था, जिन्हें कानून व्यवस्था के लिए संकट माना जाता है। श्रीनगर के सांसद और जम्मू कश्मीर में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला को पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को लागू करने से पूर्व चार अगस्त की मध्यरात्रि उनके घर में प्रशासन ने एहतियात के तौर पर नजरबंद किया था। उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी उसी रात एहतियातन हिरासत में लिया गया था। अलगाववादियों को भी अक्सर इसी कानून के तहत बंदी बनाया जाता रहा है।
बिना सुनवाई के दो साल तक रह सकती है कैद
इस कानून के मुताबिक, दो साल तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकती थी,लेकिन वर्ष 2010 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। पहली बार के उल्लंघनकर्त्ताओं के लिए पीएसए के तहत हिरासत अथवा कैद की अवधि छह माह रखी गई और अगर उक्त व्यक्ति के व्यवहार में किसी तरह का सुधार नहीं होता है तो यह दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। यही नहीं यदि राज्य सरकार को यह आभास हो कि किसी व्यक्ति के कृत्य से राज्य की सुरक्षा को खतरा है, तो उसे 2 वर्षों तक प्रशासनिक हिरासत में रखा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति के कृत्य से सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने में कोई बाधा उत्पन्न होती है तो उसे एक वर्ष की प्रशासनिक हिरासत में लिया जा सकता है। पीएसए के तहत हिरासत के आदेश डिवीजनल कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर द्वारा जारी किये जा सकते हैं। अधिनियम की धारा-22 लोगों के हित में की गई कार्रवाई के लिये सुरक्षा प्रदान करती है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार हिरासत में लिये गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा, अभियोजन या कोई अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती।