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विधान परिषद में नसीमुद्दीन के सवालों पर संदीप सिंह अचकचाए तो सीएम योगी ने संभाला मोर्चा...

सीएम योगी ने कहा बांदा के मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग काम कर रहा है। वहां ईसीजी मशीन और ट्रेड मिल टेस्ट मशीन काम कर रही है। हृदय रोग की प्रारंभिक जांच की सुविधाएं मौजूद हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 07:28 PM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 07:42 PM (IST)
विधान परिषद में नसीमुद्दीन के सवालों पर संदीप सिंह अचकचाए तो सीएम योगी ने संभाला मोर्चा...
विधान परिषद में नसीमुद्दीन के सवालों पर संदीप सिंह अचकचाए तो सीएम योगी ने संभाला मोर्चा...

लखनऊ, जेएनएन। विधान परिषद में मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान बांदा के राजकीय मेडिकल कॉलेज को लेकर सदन के वरिष्ठ सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सवालों की बौछार कर दी। सवालों से असहज चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री संदीप सिंह कुछ बोल पाते, मंत्रिमंडल के अपने कनिष्ठ सहयोगी के चेहरे पर अचकचाहट के भाव पढ़कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मोर्चे पर आ डटे।

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चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना की नामौजूदगी में विभाग के राज्य मंत्री संदीप सिंह कांग्रेस से संबद्ध सदस्य नसीमुद्दीन सिद्दीकी के सवाल का जवाब देने के लिए खड़े हुए। सिद्दीकी ने कहा कि बांदा के राजकीय मेडिकल कॉलेज में पहले तीन साल तो 100-100 छात्रों ने प्रवेश लिया, लेकिन चौथे वर्ष में मानक न पूरे करने पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने (एमसीआइ) वहां प्रवेश की अनुमति नहीं दी। इस वजह से 2019 में वहां एक भी छात्र का दाखिला नहीं हुआ। उन्होंने सरकार से इसकी वजह पूछी।

यह भी कहा कि बांदा मेडिकल कॉलज में न आइसीयू है और न ही एनआइसीयू। न वहां कोई ह्दय रोग विशेषज्ञ है और न ही दवाएं। मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग धूल खा रही है। उनके इन सवालों से संदीप सिंह कुछ हिचकिचाए, कुछ सोच में पड़ गए। इसी बीच सदन में बेखटके पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संदीप सिंह के चेहरे पर असहजता का भाव ताड़ लिया और खुद जवाब देने के लिए उठ खड़े हुए।

सीएम योगी ने कहा कि बांदा के राजकीय मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग काम कर रहा है। वहां ईसीजी मशीन और ट्रेड मिल टेस्ट मशीन काम कर रही है। हृदय रोग की प्रारंभिक जांच की सभी सुविधाएं वहां मौजूद हैं। सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज हो। सरकार ने एमसीआइ से यह बताने का अनुरोध किया है कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा के चिकित्सकों को उनके अनुभव और डिग्री के आधार पर राजकीय मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर कैसे रखा जा सकता है। एमसीआइ ने इस बारे में गाइडलाइंस जारी की है। हमारी सरकार ने यह व्यवस्था की है कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पढ़कर जो डॉक्टर निकलेगा, उसे एक निश्चित अवधि तक सूबे के ग्रामीण क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने के लिए बांड भरना होगा।

योगी ने पूर्ववर्ती सरकारों को आईना भी दिखाया। कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में विशेषज्ञ चिकित्सकों और टेक्नीशियन की कमी इसलिए है क्योंकि मेडिकल कॉलेजों में पिछले 25-30 वर्षों के दौरान इनकी भर्ती नहीं हुई। हमारी सरकार ने लोक सेवा आयोग के साथ मिलकर चयन प्रक्रिया को तेज करने का काम किया है। लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए सरकार प्रदेश के 4000 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अब तक चार आरोग्य मेले आयोजित कर चुकी है जिनमें 17 लाख लोगों को इलाज की सुविधा दी जा चुकी है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चिकित्सा सेवा देने के लिए सरकार टेलीमेडिसिन का भी सहारा ले रही है।


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