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नैना चौटाला सहित 5 विधायकों की सदस्यता रद, दलबदल कानून के तहत स्पीकर ने दिया फैसला

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने पांच विधायकों की सदस्यता रद कर दी है। इन विधायकों में नैना चौटाला राजदीप फौगाट अनूप धानक पिरथी नम्बरदार और नसीम अहमद शामिल हैंं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 05:33 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 08:50 AM (IST)
नैना चौटाला सहित 5 विधायकों की सदस्यता रद, दलबदल कानून के तहत स्पीकर ने दिया फैसला
नैना चौटाला सहित 5 विधायकों की सदस्यता रद, दलबदल कानून के तहत स्पीकर ने दिया फैसला

जेएनएन, चंडीगढ़। इनेलो के टिकट पर चुनाव जीतकर दलबदल करने वाले पांच विधायकों की विधानसभा से सदस्यता रद कर दी गई है। इनमें जननायक जनता पार्टी में शामिल हुए चार विधायक नैना सिंह चौटाला, पिरथी नंबरदार, अनूप धानक और राजदीप फौगाट तथा पहले कांग्रेस और उसके बाद भाजपा में शामिल हुए नसीम अहमद शामिल हैं। हालांकि ये सभी पहले ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर खुद ही पूर्व हो चुके हैं। नसीम अहमद के अध्यक्ष पीठ के सामने पेश नहीं होने के कारण एक्स पार्टी मानते हुए उनकी विधानसभा से सदस्यता रद की गई है। 

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हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर ने पांचों विधायकों (पूर्व) की विधानसभा से सदस्यता रद करने संबंधी फैसला सुनाया। 3 सितंबर को दोनों पक्षों की अंतिम बहस के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय सिंह चौटाला की शिकायत पर इन विधायकों के विरुद्ध दलबदल कानून के तहत कार्रवाई की गई है।

डबवाली से विधायक नैना सिंह चौटाला, चरखी दादरी से राजदीप सिंह फौगाट, नरवाना से पिरथी नंबरदार और उकलाना से विधायक रहे अनूप धानक पूर्व सांसद दुष्यंत सिंह चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी का समर्थन कर रहे थे। इसी साल 25 मार्च को फतेहाबाद से इनेलो विधायक रहे बलवान सिंह दौलतपुरिया ने इन विधायकों के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई के लिए स्पीकर की कोर्ट में याचिका दायर की। दौलतपुरिया खुद जब विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए तो अभय चौटाला ने 26 जुलाई को अध्यक्ष पीठ में अलग-अलग याचिकाएं दायर की।

अभय चौटाला ने पहली याचिका में जजपा के पाले में खड़े चारों विधायकों को पार्टी बनाया और दूसरी याचिका नसीम अहमद के खिलाफ दायर की गई। नसीम के खिलाफ अभय ने कार्रवाई की मांग इसलिए की क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले नसीम अहमद ने कांग्रेस में शामिल होने का एलान कर दिया था। हालांकि नसीम अहमद बाद में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। 3 सितंबर को इन चारों विधायकों ने अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भी सौंपे, लेकिन इसके बावजूद वह दलबदल कानून की मार से नहीं बच पाए। इन चारों विधायकों की सदस्यता 25 मार्च से रद मानी गई है।

11 साल के बाद विधायकों की सदस्यता रद करने का दूसरा मामला

लगभग 11 वर्षों के बाद यह दूसरा मौका है जब विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों की सदस्यता रद करने का फैसला सुनाया है। इससे पूर्व दो दिसंबर 2007 को जब कुलदीप बिश्नोई ने रोहतक में रैली कर हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) का गठन किया था, उस समय हुड्डा सरकार में कांग्रेस के ही तीन विधायकों चौ़. भजनलाल, धर्मपाल मलिक और राकेश कांबोज के खिलाफ दलबदल का मामला विधानसभा अध्यक्ष के पास आया था। उस समय इन तीनों विधायकों ने कुलदीप का मंच सांझा किया था। विधानसभा अध्यक्ष डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान ने दलबदल मामले में तीनों की सदस्यता रद करने का फैसला सुनाया था।

नसीम अहमद को एक्स पार्टी मानते हुए की कार्रवाई

विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल ने मंगलवार को पूर्व विधायक नसीम अहमद के केस की सुनवाई थी। सुनवाई पर नसीम अहमद नहीं पहुंचे। ऐसे में अध्यक्ष ने एक्स पार्टी मानते हुए नसीम को अयोग्य घोषित कर दिया।

पांच विधायकों के विरुद्ध केस नहीं जीत पाए थे कुलदीप बिश्नोई

2009 के विधानसभा चुनावों में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हजकां के सिंबल पर छह विधायक बने गए थे। इनमें से पांच विधायकों धर्म सिंह छोक्कर, विनोद भ्याना, राव नरेंद्र सिंह, सतपाल सांगवान और जिलेराम शर्मा ने हजकां का कांग्रेस में विलय कर दिया था। कुलदीप बिश्नोई खुद आदमपुर से विधायक चुने गए थे। बिश्नोई ने पांचों विधायकों के खिलाफ दलबदल की याचिका दायर की। उस समय विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा ने पांचों विधायकों के विलय को मंजूरी दे दी थी।

पांचों पूर्व विधायकों को नहीं वित्तीय नुकसान, हाईकोर्ट में चुनौती संभव

पांचों विधायकों की विधानसभा से सदस्यता जाने के बाद अब उन्हें किसी तरह का वित्तीय नुकसान नहीं होगा। पूर्व की हुड्डा सरकार ने 2007 में नियमों में बदलाव कर दिया था। इसके कारण अब सदस्यता जाने के बाद भी यह पांचों पूर्व विधायक पेंशन और भत्तों के हकदार होंगे। वे सभी सुविधाएं उन्हें मिलेंगी, जो पूर्व विधायक को मिलती हैं। सदस्यता रद होने का नुकसान केवल इतना होगा कि ये पूर्व विधायक नहीं कहलाए जाएंगे। पांचों विधायकों के पास फैसले को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देने का विकल्प बचा है।


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