मायावती एक बार फिर चुनी गईं बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, उपचुनाव के प्रत्याशियों के नामों पर लगी मुहर
बहुजन समाज पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की बुधवार को आयोजित बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है।
लखनऊ, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी ने एक फिर मायावती को सर्वसम्मति से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनते हुए न रुकेंगे-न झूकेंगे, टूटना तो बहुत दूर की बात है, का संकल्प दोहराया। बुधवार को सुबह 11 बजे लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में आयोजित इस अहम बैठक में बसपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 13 रिक्त सीटों पर मजबूती से उपचुनाव में उतरने के अलावा अन्य चार राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड) में मजबूती से लड़ने का फैसला लिया।
राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने चुनावी प्रक्रियाएं पूरी कराते हुए मायावती को फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव किया तो तालियों की गड़गड़ाहट के साथ देश भर से आए प्रमुख पदाधिकारियों द्वारा स्वीकृति की मुहर लगा दी गई। बीएसपी जिंदाबाद जैसे नारों के बीच मायावती के पुनर्निवाचित होने पर 31 किलोग्राम के पुष्पहार से अभिनंदन किया गया। बाबा साहेब के मिशन को पूरा करने के लिए सत्ता की चाबी प्राप्त करने के लक्ष्य को पाना जरूरी बताया। मायावती के दीर्घायु होने की कामना भी की गई। बता दें कि यह बैठक सितंबर के प्रथम सप्ताह में होनी थी, लेकिन अचानक पहले आहूत कर राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर निर्वाचित होने की मुहर लगवा ली।
इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान मायावती ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग में जन्में महापुरुषों के मानवतावादी मिशन को बीएसपी के मूवमेंट के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए वह हर कुर्बानी देने को तैयार रहती हैं। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इनकी सरकारों में बहुजन समाज की इतनी उपेक्षा हुई है, जिसे भुला पाना मुश्किल है। कांग्रेस ने बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर को न तो संसद में चुनकर जाने दिया और न ही भारत रत्न से सम्मानित किया।
कांग्रेस और पं. नेहरू कश्मीर समस्या की मूल जड़
मायावती ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के संबंध में कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर कभी भी इसके पक्ष में नहीं थे। वह हमेशा से देश की एकता और अखंडता के पक्षधर रहे हैं। इसी कारण बीएसपी ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि 70 साल बाद इस अनुच्छेद के हटाने के बाद हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त तो लगेगा। इस बात को कोर्ट ने भी माना है। ऐसी परिस्थितियों में कांग्रेस व अन्य पार्टियों का कश्मीर जाना केंद्र व वहां के गवर्नर को राजनिति के मौका देने जैसा कदम है। मायावती ने कांग्रेस और पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस समस्या की मूल जड़ बताया। मायावती ने लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बनाए जाने के कदम का भी स्वागत किया है। उन्होंने आगे भी कांग्रेस को घेरते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस के उदासीन रवैये के कारण ही आजादी के इतने वर्षों बाद भी देश की आर्थित स्थित हातल खस्ता बनी हुई है।
मजबूती से चुनाव लड़ने की अपील
मायावती ने कहा कि बीएसपी सरकार के बेहतरीन कार्य के ऐसे उदाहरण हैं, जिसके बल पर पार्टी अन्य राज्यों में भी वोट मांग सकती है। उन्होंने कहा कि हाल में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में मजबूती पार्टी लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी को इन चुनावों में बैलेंस आफ पावर बन कर आगे बढ़ना है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में होने वाले उप चुनाव में भी अच्छा परिणाम लाना है।
बीएसपी ने यूपी में उपचुनाव के लिए घोषित किए प्रत्याशी
बैठक में मायावती ने सभी 13 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। यह पहला अवसर है जब बसपा उपचुनाव लड़ने जा रही है। बसपा ने उत्तर प्रदेश के 13 में से 12 सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। हमीरपुर सीट से नौशाद अली, रामपुर की रामपुर सदर सीट से जुबैर मसूद खान, अलीगढ़ की इगलास सीट से अभय कुमार, बहराइच की बलहा सीट से रमेश चंद्र, फीरोजाबाद की टूंडला सीट से सुनील कुमार चित्तौड़ लखनऊ कैंट से अरुण द्विवेदी, कानपुर के गोविंद नगर देवी प्रसाद तिवारी, चित्रकूट के मानिकपुर सीट से राजनारायण निराला, प्रतापगढ़ सदर से रंजीत सिंह पटेल, बाराबंकी की जैदपुर सीट से अखिलेश कुमार अंबेडकर. अंबेडकर नगर की जलालपुर सीट से राकेश पांडेय और मऊ की घोसी सीट से कय्यूम अंसारी मैदान में हैं।सहारनपुर की गंगोह सीट से अभी प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया गया है। इन सीटों के लिए इनको प्रभारी बनाया गया है। बता दें कि बसपा में सीटों के प्रभारी ही प्रत्याशी होते हैं।