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Budget 2019: बजट में दिल्ली सरकार की मांग की हुई अनदेखी, सिसोदिया का केंद्र पर आरोप

मनीष सिसोदिया ने कहा है कि केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाने की आप सरकार की मांग शुक्रवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में पूरी नहीं हुई।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 09:42 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 09:42 AM (IST)
Budget 2019: बजट में दिल्ली सरकार की मांग की हुई अनदेखी, सिसोदिया का केंद्र पर आरोप
Budget 2019: बजट में दिल्ली सरकार की मांग की हुई अनदेखी, सिसोदिया का केंद्र पर आरोप

नई दिल्ली, जेएनएन। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी बढ़ाने की आप सरकार की मांग शुक्रवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में पूरी नहीं हुई। राष्ट्रीय राजधानी को फिर से केवल 325 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पिछले 18 वर्षो से यह राशि इतनी ही आवंटित हो रही है। बजट में दिल्ली सरकार की मांग की अनदेखी की गई है।

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सिसोदिया ने कहा कि बजट पूर्व बैठक में दिल्ली के लिए 6 हजार करोड़ रुपये की मांग की गई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। दिल्ली का बजट 2001-02 में 8739 करोड़ रुपये था, जो अब बढकर 60 हजार करोड़ तक पहुंच चुका है। सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के लिए किसी भी प्रकार के बजट का प्रावधान नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार अपने कर प्राप्ति की राशि में से 12.5 फीसद तीनों निगमों को देती है। अन्य राज्यों के निगमों को फंड दिया जा रहा है, लेकिन दिल्ली के निगमों को कोई राशि नहीं दी गई है। दिल्ली सरकार की योजनाओं के लिए केंद्रीय सहायता राशि के रूप में बजट 2019-20 में मात्र 472 करोड़ रुपये दिए गए हैं। दिल्ली सरकार ने इस मद में 1500 करोड़ रुपये की मांग की थी। आइजीएसटी मद में दिल्ली सरकार ने 3202 करोड़ की राशि मांगी थी, लेकिन बजट में इस मद में कोई राशि नहीं मिली है।

इस वर्ष दिल्ली को दी जाने वाली राशि 2018-19 के 867.49 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 1,112 करोड़ रुपये की गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पिछले महीने बुलाई गई बजट पूर्व बैठक में उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी के लिए 6,000 करोड़ रुपये की मांग की थी।

उन्होंने कहा था कि इस शहर को पिछले 18 साल से सिर्फ 325 करोड़ रुपये ही मिलते हैं। लोकसभा चुनाव में भी मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल सहित आप सरकार ने यह मुद्दा उठाया था। वहीं केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली केंद्र के खजाने में आयकर राजस्व के तौर पर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का योगदान करती है। इसके बदले में उसे महज 325 करोड़ ही मिलते हैं।

गृह मंत्रलय से दिल्ली को अंतरिम राशि में सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के लिए बढ़ाई गई मुआवजे की राशि के तौर पर 10 करोड़ रुपये और चंद्रावल जल शोधन संयंत्र के लिए 300 करोड़ रुपये की अतिरिक्त केंद्रीय सहायता भी शामिल है।

उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित ने शुक्रवार को ट्वीट कर केंद्र सरकार के बजट को निराशाजनक बताया है। दीक्षित ने कहा कि बजट दिखावे से भरा हुआ है और इसमें जनता के लिए कुछ भी नहीं है। यह कोई तथ्य परक बजट नहीं है। दिल्ली इस देश की राजधानी है, लेकिन लगातार कई बजट से दिल्ली को कुछ नहीं मिल रहा है।

वहीं वरिष्ठ नेता जयप्रकाश अग्रवाल ने कहा कि सरकार जब बजट पेश करती है तो आम जनता को लगना चाहिए कि सरकार ने हमारी तरफ देखा। बजट ऐसा हो कि लोगों को रोजी व रोजगार मिले। लेकिन, इसमें कहीं भी आम लोगों को राहत नहीं मिली है।

भाजपा ने की बजट की तारीफ
बजट को भाजपा ने हर वर्ग के सपने को साकार करने वाला बताया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा की किसानों, युवाओं, महिलाओं और गरीबों के सपनों को साकार करने वाले बजट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री बधाई की पात्र हैं। यह बजट दिल्ली के व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा गया है।

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के लिए विजन का निचोड़ है। बजट में आने वाले वर्षो के लिए लक्षित सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की नींव रखी गई है। इसमें सभी वर्गों और विशेषकर कमजोर और वंचित वर्गों तथा मध्यम श्रेणी के नागरिकों का विशेष ध्यान रखा गया है। आम आदमी के लिए राहत भरा, देश को मजबूती से आगे ले जाना वाला बजट है। दिल्ली में मेट्रो के विस्तार और दिल्ली-मेरठ रैपिड रीजनल ट्रांसपोर्ट सिस्टम को गति प्रदान करने के लिए दिशा निर्धारित की गई है।

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