ममता ने कहा- सड़क योजना में मंजूर नहीं पीएम शब्द का इस्तेमाल, संविधान की मूल भावना से नहीं होनी चाहिए छेड़छाड़
बांग्ला ग्रामीण सड़क किया प्रधानमंत्री सड़क योजना का नाम पंचायत मंत्री बोले 50 फीसद खर्च वहन करता है राज्य सीएम शब्द का हो इस्तेमाल
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संविधान के संस्थापकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि किसी को भी संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। इसी दिन 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। सुश्री बनर्जी ने ट्वीट किया, संविधान सभा की पहली बैठक आज ही के दिन 1946 में हुई थी। भारत का संविधान बनाने वाले संस्थापकों को मेरी श्रद्धांजलि। इस महान दस्तावेज में जो लिखा है हमें उसकी मूल भावना से कभी छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि संविधान सभा (अविभाजित भारत के लिये निर्वाचित) की पहली बैठक आज ही के दिन 1946 में कॉन्स्टीट्यूशन हॉल में हुई थी। इस हॉल को अब संसद के केंद्रीय कक्ष के तौर पर जाना जाता है।
बंगाल में है सबसे कम भ्रष्टाचार : ममता
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में बंगाल में सबसे कम भ्रष्टाचार होता है। इसके लिए उन्होंने एंटी क्रप्शन सर्वे 2019 का हवाला दिया है। यह सर्वेक्षण ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया एंड लॉकल सर्कल की ओर से किया गया है। अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के अवसर पर सुश्री बनर्जी ने ट्वीट किया, ' अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस है। आप यह जानकर खुश होंगे कि भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019 के मुताबिक बंगाल भारत के सबसे कम भ्रष्ट राज्यों में से एक के रूप में उभरा है। मेरी शुभकामनाएं।
यह सर्वेक्षण ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया एंड लोकल सर्कल्स ने किया है। उल्लेखनीय है कि 'भारत भ्रष्टाचार सर्वेक्षण 2019' में 248 जिलों के 1,90,000 लोगों ने अपने अनुभव साझा किए जिनमें से 51 फीसद भारतीय लोगों ने पिछले 12 महीने में रिश्र्वत दी है। इस सर्वेक्षण में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, गोवा और ओडिशा के लोगों ने भ्रष्टाचार के कम मामले बताए थे जबकि राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और पंजाब में भ्रष्टाचार के ज्यादा मामले हैं।
सड़क योजना में बंगाल सरकार को मंजूर नहीं पीएम शब्द का इस्तेमाल
विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का नाम बदल कर राज्य में लागू करने वाली बंगाल सरकार 'प्रधानमंत्री सड़क योजना' की निधि से पंचायत स्तर की सड़कों का निर्माण नहीं कराना चाहती। दलील में कहा गया है कि नाम में प्रधानमंत्री सड़क योजना है जबकि 50 फीसद खर्च राज्य सरकार को उठाना पड़ता है।
राज्य के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार ने इन सड़कों को 'बांग्ला ग्रामीण सड़क' का नाम दिया है जबकि केंद्र राज्य सरकार को सड़कों के नाम में 'प्रधानमंत्री' अंकित करने का दबाव बना रहा है।
यहां बता दें कि केंद्र की कई योजनाएं परिवर्तित नाम के साथ बंगाल में लागू है। इनमें स्वछ भारत मिशन का नाम बदलकर निर्मल बांग्ला और नेशनल रूरल लाइवलीहुड्स मिशन या दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना का नाम आनंदधारा कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का नाम बदलकर बांग्ला गृह प्रकल्प योजना कर दिया गया है। राज्य सरकार का तर्क है कि राज्य सरकार जिन योजनाओं में 40 फीसद से ज्यादा की हिस्सेदारी देती है, तो उसे योजनाओं के नाम बदलने का हक भी है।
वहीं, प्रधानमंत्री सड़क योजना से पीएम का नाम हटाने को लेकर विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बातचीत में सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि जब हम कुल लागत का 50 फीसद सहयोग (प्रशासनिक लागत) देते ही हैं तो हम इन सड़कों के नाम में प्रधानमंत्री अंकित क्यों करें? उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने कहा कि वास्तव में इन सड़कों के नामकरण में राजनीति निहित हैं। इतना ही नहीं मुखर्जी ने मांग किया कि यदि 'प्रधानमंत्री' शब्द का इस्तेमाल हो रहा है तो सड़कों के नामकरण में 'मुख्यमंत्री' शब्द का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए।