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Lockdown: प्रवासियों का किराया मुख्यमंत्री कोष से देगी महाराष्ट्र सरकार

Maharashtra government. महाराष्ट्र से अन्य राज्यों को जाने वाले या अन्य राज्यों से यहां लौटने वाले प्रवासियों का किराया सरकार मुख्यमंत्री सहायता कोष से भरेगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 09:52 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 09:52 PM (IST)
Lockdown: प्रवासियों का किराया मुख्यमंत्री कोष से देगी महाराष्ट्र सरकार
Lockdown: प्रवासियों का किराया मुख्यमंत्री कोष से देगी महाराष्ट्र सरकार

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Maharashtra government. महाराष्ट्र से अन्य राज्यों को जाने वाले या अन्य राज्यों से महाराष्ट्र लौटने वाले प्रवासियों का किराया महाराष्ट्र सरकार मुख्यमंत्री सहायता कोष से भरेगी। यह महत्त्वपूर्ण घोषणा रविवार देर शाम राज्य सरकार की ओर से की गई। माना जा रहा है कि उद्धव सरकार ने यह फैसला मुंबई महानगर से गांव जाने वाले प्रवासियों का रेला देखने के बाद किया है।

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प्रवासियों में अपने गांव जाने की बेचैनी शनिवार से प्रवासी विशेष ट्रेनों में तेजी आने के बावजूद देखी जा रही है। प्रवासियों से बात करने पर पता चलता है कि अब उन्हें भूख के साथ-साथ मुंबई में कोरोना से मौत का भय भी सताने लगा है। इसलिए वे ट्रेन का इंतजार करने के बजाय पैदल या किसी अन्य साधन से ही उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर रवाना होने लगे हैं। लाखों की संख्या में निकल चुके ऐसे प्रवासियों के रेले मुंबई-गुजरात व मुंबई- नासिक हाइवे पर देखे जा सकते हैं। शनिवार को मुंबई और ठाणे से चार श्रमिक विशेष ट्रेनें रवाना हुई थीं।

रविवार को अब तक महाराष्ट्र से नौ ट्रेनें रवाना हो चुकी हैं। इसके अलावा रविवार को रेल विभाग देश भर में चुनिंदा मार्गों पर 15 जोड़े ट्रेनें चलाने की घोषणा कर चुका है। इसके बावजूद प्रवासियों के मन में ट्रेनों से गांव पहुंचने का भरोसा कायम नहीं हो पा रहा है। क्योंकि मुंबई, ठाणे, सूरत व अहमदाबाद जैसे श्रमिक बहुल स्थानों पर प्रवासियों का डाटा इकट्ठा करने की व्यवस्था ही पारदर्शी नहीं हो पा रही है।

स्थानीय पुलिस या प्रशासन द्वारा शुरू की गई उनके पंजीकरण की व्यवस्था फेल होती दिखाई दे रही है। न तो पुलिस थानों पर भरे हुए फार्म लिए जा रहे हैं। न ही उन्हें कोई संतोषजनक जवाब दिया जा रहा है। एक ट्रेन भर यात्री हो जाने के बाद महाराष्ट्र शासन की ओर से बिहार एवं उत्तर प्रदेश की सरकारों से संपर्क किया जाता है। वहां से हरी झंडी मिलने में तीन से चार दिन लग जाते हैं। ठाणे के मीरा रोड से पटना के लिए विशेष ट्रेन के यात्रियों की सूची बिहार प्रशासन को भेजे चार दिन हो चुके हैं। अब तक उधर से कोई जवाब नहीं आया है। ये स्थितियां प्रवासियों की बेचैनी बढ़ा रही हैं।

महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार बनवाने में बड़ी भूमिका निभानेवाले शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट करके कहा कि मजदूर वर्ग पैदल निकल रहा है, यह तस्वीर अच्छी नहीं है। छोटे बच्चे उनके साथ हैं। रेलवे उनके लिए गाड़ियां छोड़ने को तैयार नहीं। राज्य सरकार को निजी वाहनों को अनुमति देना जरूरी है। लोग पैदल चलते बीमार पड़ रहे हैं। मर रहे हैं। उनका चलना फिर भी रुका नहीं है। राउत का यह बयान उन्हीं की पार्टी के नेतृत्व में चल रही सरकार के लिए आंख खोलने वाला है। रेल विभाग द्वारा श्रमिक विशेष ट्रेनें चलाने की घोषणा तो 30 अप्रैल को ही हो गई थी।

एक मई को पहली ट्रेन भिवंडी से और दो मई को दूसरी ट्रेन वसई से रवाना भी हो गई थी, लेकिन उसके बाद उन्हीं की सहयोगी पार्टी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा यह कहने के बाद प्रवासियों के मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई कि प्रवासियों का पूरा किराया कांग्रेस भरेगी। जबकि कल से आज तक निकली 13 ट्रेनों में से एक का भी किराया कांग्रेस की तरफ से नहीं भरा गया है, लेकिन रविवार को देर शाम की गई राज्य सरकार की यह घोषणा बाहर जाने वाले प्रवासियों को राहत दे सकती है कि अब श्रमिक विशेष ट्रेनों का किराया उन्हें नहीं भरना पड़ेगा। बल्कि यह मुख्यमंत्री सहायता कोष से रेल विभाग को दिया जाएगा।

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