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लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला बोले, मां की पूजा तब ही साकार होगी, जब मां को स्वस्थ रख सकेंगे

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सुपोषित मां अभियान हमारी आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का अभियान है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 09:26 PM (IST)
लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला बोले, मां की पूजा तब ही साकार होगी, जब मां को स्वस्थ रख सकेंगे

कोटा, जेएनएन। कुपोषण मुक्त भारत बनाने कि दिशा में शनिवार को कोटा बूंदी संसदीय क्षेत्र मे जनसहभागिता से कुपोषण मिटाने के लिऐ सुपोषित मां अभियान शुरू हुआ। अभियान की शुरुआत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य एवं अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास विभाग की केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने भामाशाह मंडी परिसर में की। अभियान के प्रथम चरण में एक हजार गर्भवती महिलाओं को 17 किलोग्राम संतुलित आहार के 1000 किट प्रदान किए गए। इनमें से 25 महिलाओं को प्रतीकात्मक रूप से मंच से किट दिए गए।

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कार्यक्रम में काफी संख्‍या में लोगों ने लिया हिस्‍सा 

इस दौरान कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, लाड़पुरा विधायक कल्पना देवी, डॉ. अमिता बिरला, पूर्व विधायक हीरालाल नागर, एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी, पूर्व महापौर महेश विजय, प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष मधु शर्मा, शहर जिला अध्यक्ष रामबाबू सोनी, देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नागर, डॉ.विपिन योगी भी मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम की संयोजक कोटा ग्रेन सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन थी। जिसमें जननी सोशल वर्क एण्ड हेल्थ संस्था की सहभागिता रही।

लोकसभा क्षेत्र की हर गर्भवती मां को सुपोषित करने के लिए करेंगे काम : बिरला

समारोह को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सुपोषित मां अभियान हमारी आने वाली पीढियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का अभियान है। आज देश के 130 करोड़ भारतीयों के सपनों को पूरा करने के लिए ‘‘सुपोषित मां अभियान’’ सरीखे कार्यक्रमों को जनान्दोलन बनाना होगा। हमने यह संकल्प लिया है कि लोकसभा क्षेत्र की हर गर्भवती मां को सुपोषित करने के लिए कार्य करेंगे।

हर मां को सुपोषित करना हमारी जिम्मेदारीः बिरला

बिरला ने कहा कि मां शक्तिदात्री होती है, संसार का सारा चक्र मां के आसपास घूमता है। पेट में बच्चा पलता है, तब भी मां पहले परिवार को पोषण देती है और बाद में खुद का पोषण करती है। ऐसी कितनी ही मां हैं, जो प्रसव होने के सात दिन बाद ही कड़ा परिश्रम करने के लिए मजदूरी पर निकल पड़ती हैं। 

बिरला ने कहा कि हजारों लोग गर्भवती मां को गोद लेने के लिए तैयार हैं। इस अभियान के तहत 1000 महिलाओं को एक महीने की भोजन सामग्री 12 महीने तक दी जाएगी। वहीं, मेडिकल, जांच, रक्त, दवा, प्रसव समेत जच्चा बच्चा के स्वास्थ्य की चिंता की जाएगी। शहर के अलावा गांव ढाणी में चिन्हित करके अभियान को चलाएंगे।

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुपोषण के लक्ष्य को प्राप्त करेन के लिऐ हमारा प्रयास होगा कि सक्षम परिवार अभावग्रस्त व वंचित वर्ग की एक गर्भवती महिला को प्रसव होने तक गोद लेकर उसका जिम्मेदारी उठाए तो निश्चित तौर पर हम समाज से कुपोषण को समाप्त करने मे कामयाब होंगे। इसकी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। चिन्हित महिलाओं को गर्भवती महिलाओं को गोद लेने के लिए वेबसाइट पर पंजीयन कराना होगा। एक परिवार को केवल एक ही गर्भवती महिला गोद दी जाएगी।

सुपोषण हर घर तक पहुंचाना मानवता का कार्य हैः स्मृति इरानी

केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि आज संकल्पित समाज नया इतिहास लिखने के लिए एकत्रित हुआ है। भारत एक ऐसा देश है जहां, नदी को केवल जल नहीं बल्कि मां माना गया है, भूमि को मां माना गया है, पौधे से पत्ते को तोड़ने में पाप समझा गया, क्योंकि तुलसी और पीपल को मां का सम्मान दिया गया है। मां को देखते हैं तो करुणा की भावना प्रस्फुटित होती है। आज का कार्यक्रम मानवता को जन्म देने वाली उसी जीवनदायिनी मां को समर्पित है। यह कार्यक्रम ऐसे स्थान पर किया जा रहा है, जो लेनदेन के लिए जानी जाती है, जहां अन्न का व्यापार होता है। आज वहीं स्थान मातृत्व के सम्मान का प्रतीक बनेगा। प्रधानमंत्री ने नौ हजार करोड़ रुपये की लागत से देश में सुपोषण का अभियान शुरू किया है।

देश का उत्थान महिला के उत्थान से जुड़ा हैः इरानी

इरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए तकनीक का प्रयोग प्रारंभ हुआ है। आज 18 हजार बहनें कोटा में 5 हजार रुपया महीना खाते में पाती हैं। सुपोषण को घर तक पहुंचाने का कार्य मानवता का काम है, जिसे लोकसभा अध्यक्ष या सांसद नहीं कर सकते, बल्कि पितातुल्य नेता के रूप में ही किया जा रहा है। आज इस कार्य के लिए एक हजार लोगों को आह्वान किया गया है, लेकिन विश्वास है कि इसके लिए 10 हजार लोग खड़े हो जाएंगे। यह कोटा में ही संभव है। आज बच्चों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने वाले, कुपोषित की भूख मिटाने वाले, स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए गर्भवती मां को गोद लेने वाले 1000 परिवारों के समक्ष नतमस्तक हूं।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में गर्भवती महिलाओं को पोषण के लिए राशि देना संभव नहीं हो सका, लेकिन मोदी सरकार ने 2017 से 5 हजार करोड देने का काम किया है। महिलाओं को शौच जाने के लिए सूर्यास्त का इंतजार करना पड़ता था। यह बातें प्रधानमंत्री को बताने की आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि वे गांव गरीबी से निकले और मां को यह सब संघर्ष करते हुए देखा था। सोने की चम्मच लेकर पैदा होने वाले ऐसा नहीं सोच सकते थे। आज 11 हजार शौचालय, 8 करोड उज्ज्वला सिलेंडर और 15 करोड महिलाएं मुद्रा योजना में ऋण लेकर व्यवसाय शुरू कर सकी हैं। अभी तो उड़ान भरने का हौसला लिया है, अभी उड़ान बाकी है।

कार्यक्रम से पूर्व कोटा ग्रेन एंड सीड्स मर्चेन्ट एसोसिशसन के अध्यक्ष अविनाश राठी ने कहा कि संस्था अपनी स्थापना से ही सामाजिक सेवा के कार्यों को निरंतर कर रही है। संस्था द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों के लिए पोषण किट उपलब्ध करवाया गया है। संस्था आगे भी मानव सेवा से जुड़े कार्य करती रहेगी।

ऐसे संचालित होगा सुपोषित मां अभियान

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि गांवों और शहर की कच्ची बस्तियों में रहने वाले कमजोर व गरीब तबके की महिलाओं में पोषण की कमी के कारण कई बीमारियां होती हैं तथा आने वाली संतान भी कमजोर कुपोषित होती है। ऐसे में जनसहभागिता से चिकित्सकीय टीम लगाकर करीब पांच हजार गर्भवती महिलाओं एवं किशोरियों की स्क्रीनिंग करवाई गई, जिसमें एक हजार महिलाओं का चिन्‍हीकरण किया गया। चिन्‍हीकरण के बाद जनसहभागिता से महिलाओं को नौ महीने तक चिकित्सकीय मापदंडों के अनुसार पोषण किट किया उपलब्ध करवाया जाएगा।

17 किलो की होगी पोषण किट

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने बताया कि 9 माह तक प्रतिमाह दी जाने वाली पोषण किट 17 किलो की होगी। इसमें गेहूं, चना, मक्का, व बाजरे का आटा, गुड़, दलिया, दाल, सोयाबीन की बड़ी, घी, मूंगफली, भुना हुआ चना, खजूर एवं चावल सम्मिलित होंगे।

 गर्भवती महिलाओं का रखा विशेष रखा ध्यान

कार्यक्रम में गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। कार्यक्रम स्थल पर आने वाली लाभार्थी महिलाओं को किट प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं हो इस बात का विशेष ध्‍यान रखा गया।

पोषण किट व सम्मान पाकर खिल उठे चेहरे

हजीरा बस्ती शिवपुरा की रूकसाना को किट मिलने के बाद उसके चेहरे की खुशी साफ झलक रही थी। उसका कहना था कि पति की मजदूरी कर दो से तीन सौ रुपये रोज कमाता है। किराये का मकान है। पहले दो बच्चे है ऐसे मे दो समय का भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता है, लेकिन किट मिलने से मेरा व मेरे आने वाले बच्चे को पूरी खुराक मिल पायेगी।

बापू नगर कच्ची बस्ती की सीमा का कहना है कि पति मिस्त्री का काम करते है, अस्थाई दुकान होने से पूरे समय काम भी नही कर पाते हैं। ऐसे में घर खर्च चलाना काफी मुश्किल था लेकिन प्रतिमाह यह मिलने वाले किट से खुद का व आने वाले बच्चे को पूरी खुराक मिल सकेगी।कार्यक्रम में बडी संख्या में शहर के रोटरी क्लब, लॉसन्स क्लब, अभिलाषा क्लब, विभिन्न महिला स्वयंसेवी संगठन, महिला स्वयं सहायता समूह नर्सिंग, बीएड विभिन्न शैक्षणिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे।


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