गुजरात विधानसभा में सबसे गरीब विधायक हैं जिग्नेश मेवाणी
भाजपा और कांग्रेस ने युवाओं को लेकर खूब प्रचार किया, लेकिन सदन तक 25 से 40 वर्ष की उम्र के 21 विधायक ही पहुंच पाए हैं।
अहमदाबाद (शत्रुघ्न शर्मा)। गुजरात विधानसभा के लिए चुने गए 182 विधायकों में सबसे गरीब निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी हैं। भाजपा और कांग्रेस ने युवाओं को लेकर खूब प्रचार किया, लेकिन सदन तक 25 से 40 वर्ष की उम्र के 21 विधायक ही पहुंच पाए हैं।
गुजरात की पांच बड़ी सहकारी समिति व दूध डेयरियों से जुड़े नेता चुनाव हार गए हैं। इनमें स्वास्थ्य राज्यमंत्री शंकरभाई चौधरी भी शामिल हैं। चौधरी बनास डेयरी के चेयरमैन हैं तथा वाव विधानसभा सीट पर उन्हें कांग्रेस की गेनीबेन ने परास्त किया है। बनास डेयरी के उपाध्यक्ष मावजी देसाई धानेरा सीट से हार गए, जबकि अमूल डेयरी के चैयरमेन रामसिंह परमार ठासरा सीट पर भाजपा उम्मीदवार से चुनाव हार गए। परमार राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनके अलावा बरोडा डेयरी के चेयरमैन दिनेश पटेल व इसी डेयरी के बोर्ड सदस्य सतीश पटेल भी चुनाव हार गए।
सबसे ज्यादा अधेड़ और बुजुर्ग
विधानसभा में अधेड़ व बुजुर्ग विधायकों की संख्या अच्छी खासी है। विधानसभा में 41 से 60 वर्ष की उम्र के 121 विधायक पहुंचे हैं। 61 से 80 साल की उम्र के विधायकों की संख्या भी 40 के करीब है। सबसे अधिक उम्र के विधायकों में लींबडी से कांग्रेस के सोमाभाई कोली पटेल 77 वर्ष, पेटलाद से कांग्रेस के ही निरंजन पटेल 74 वर्ष और ठक्करबापा नगर अहमदाबाद से भाजपा के वल्लभ काकडिया 73 वर्ष के हैं।
एक निरक्षर और सात साक्षर
इलेक्शन वॉच की संयोजक पंक्ति जोग ने बताया कि गुजरात विधानसभा में 30 विधायक 12वीं पास हैं, जबकि 43 विधायक स्नातक, 23 प्रोफेसर तथा नौ विधायक स्नातकोत्तर हैं। इनके अलावा 15 विधायक आठवीं पास, सात विधायक 5वीं पास, सात साक्षर, जबकि एक निरक्षर भी चुनकर आए हैं।
सबसे ज्यादा ओबीसी
गुजरात विधानसभा में हिंदू विधायकों की संख्या 175 है। जैन व मुस्लिम तीन-तीन और एक ईसाई हैं। जातिगत आंकड़े की बात की जाए तो सबसे ज्यादा 62 विधायक ओबीसी से हैं। लेउवा पाटीदार 26, कडवा पाटीदार 19, ब्राम्हण आठ, राजपूत क्षत्रिय 15, अनुसूचित जाति 13, अनुसूचित जनजाति 27 व अन्य छह हैं।
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