झारखंड में महागठबंधन पर भारी 'महत्वाकांक्षा', वोट प्रतिशत में फिसड्डी, नारा दे रहे अबकी बार- मेरी सरकार
Opposition Coalition in Jharkhand. क्षेत्रीय क्षत्रपों की अपनी रणनीति अपना समीकरण है। महज एक छोटे से राज्य में सिमटे ऐसे क्षत्रप किसी सूरत में कम सीटों पर दांव आजमाने को तैयार नहीं हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। लोकसभा चुनाव 2019 की आहटों के बीच झारखंड में भाजपा को मात देने के लिए बने विपक्षी दलों के आधे-अधूरे महागठबंधन पर नेताओं की महत्वाकांक्षा भारी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने को आतुर कांग्रेस की नजर जहां ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतने पर है, वहीं क्षेत्रीय क्षत्रपों की अपनी रणनीति अपना समीकरण है। महज एक छोटे से राज्य में सिमटे ऐसे क्षत्रप किसी सूरत में कम सीटों पर दांव आजमाने को तैयार नहीं हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की निगाहें एक बार फिर से सीएम की कुर्सी पर है। ऐसे में मान-मनौव्वल और गुणा-भाग के बाद वे लोकसभा चुनाव में कुछ कम सीटों पर अपनी दावेदारी को स्वीकार कर रहे हैं। हालांकि कुछ इलाकों में कद्दावर नेताओं ने बगावत का झंडा भी बुलंद कर दिया है।
लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान परिस्थिति को समझें तो महागठबंधन को लेकर अब भी अंदरखाने चल रही सियासत कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों को भारी पड़ सकती है। आपसी खींचतान में विपक्षी दल भाजपा से टक्कर लेने की स्थिति में नहीं होंगे। बीते लोकसभा चुनावों पर नजर डालें तो वोट शेयर के लिहाज से बीजेपी सबसे आगे (31 प्रतिशत) है। जबकि झामुमो 20 प्रतिशत, झाविमो 10 प्रतिशत और कांग्रेस का वोट प्रतिशत 10 फीसद है। ऐसे में बगैर पूर्ण एकजुटता के विपक्षी महागठबंधन की तमन्ना धरी रह जाएगी।
बता दें कि राज्य में लोकसभा चुनाव के पूर्व विपक्षी पार्टियों ने गठबंधन के स्वरूप को अंतिम रूप दे दिया गया है। इसकी जानकारी सबसे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने ट्वीट कर दी। देर शाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के साथ तस्वीर शेयर करते हुए इस पर अपनी मुहर भी लगा दी।
कांग्रेस, झामुमो, झाविमो और राजद के बीच सीटों का बंटवारा लगभग हो चुका है। कांग्रेस को सात, झामुमो को चार, झाविमो को दो और राजद के खाते में एक सीट आई है। इस फैसले के साथ ही महागठबंधन में विरोध की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। दिल्ली में राहुल और हेमंत की गलबहियों से इतर रांची में महागठबंधन के अन्य दलों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है।
झाविमो के बाबूलाल मरांडी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि तीन सीट से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं। राजद को चतरा सीट मिली है। लेकिन पलामू सीट पर भी वह दावा कर रहा है। वहीं वामदल ने भी हजारीबाग सीट से हर हाल में लड़ने की घोषणा की है। ऐसे में महागठबंधन की गांठें उलझती नजर आ रही है।
बाबूलाल से मिले सुबोध कांत सहाय, महागठबंधन में हम साथ-साथ
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने शुक्रवार को झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी से मुलाकात की। इस दौरान महागठबंधन की मजबूती पर बातें हुईं। सुबोध कांत सहाय ने कहा कि झारखंड में विपक्षी महागठबंधन मजबूत है। प्रदेश में कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम और राजद एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेगा। भाजपा के झूठ के साम्राज्य को ध्वस्त करना ही महागठबंधन का उद्देश्य है। हम सब एकजुट हैं।
उन्होंने कहा कि बाबूलाल से मुलाकात के क्रम में दोनों के बीच महागठबंधन के स्वरूप और आगामी चुनाव की रणनीति पर देर तक चर्चा हुई। सहाय ने कहा कि बाबूलाल जी झारखंड के सम्मानित नेता हैं और महागठबंधन में उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।महागठबंधन में एक-दो सीटों को लेकर आपस में जो मसले सामने आ रहे हैं, उन्हें जल्द ही सुलझा लिया जायेगा।
विवाद की जड़ में क्या है
झाविमो को दो सीटें दी गई है। जबकि पार्टी प्रमुख बाबूलाल मरांडी ने गोड्डा, कोडरमा तथा चतरा में पार्टी को काफी मजबूत बताते हुए इन सीटों पर दावा ठोका है। गोड्डा से प्रदीप यादव को सबसे उपयुक्त उम्मीदवार होंगे। वहीं राजद के प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि पलामू राजद का गढ़ रहा है। इस सीट पर पार्टी कोई समझौता नहीं करेगी। पार्टी ने पलामू के अलावा कोडरमा तथा चतरा पर भी दावा किया है।
पूर्व सांसद सह भाकपा राज्य सचिव भुवनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा कि सीटों के बंटवारे को लेकर जो भी परिस्थिति बने, लेकिन हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से भाकपा अपना उम्मीदवार खड़ा करेगी। वहीं विवादों को निपटाने में सभी बड़े दल के नेता जुट गए हैं। दिल्ली में ऐसे बना समीकरण शुरुआती सूचना के अनुसार झामुमो को जो चार सीटें मिली हैं उनमें दुमका, राजमहल, गिरिडीह और जमशेदपुर शामिल हैं जबकि कांग्रेस को रांची, खूंटी, लोहरदगा, धनबाद, गोड्डा, सिंहभूम और हजारीबाग सीटें दी गई हैं।
झाविमो को कोडरमा और पलामू तो राजद को चतरा सीट ऑफर किया गया है। झाविमो इसके साथ गोड्डा सीट की दावेदारी कर रहा है तो राजद का दावा पलामू सीट को लेकर है। सीटों पर सहमति तो बन गई है लेकिन इसपर घोषणा बाद में की जाएगी।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर ने बताया कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अधिक सीटों पर लड़ेगी तो विधानसभा चुनाव झामुमो के नेतृत्व में लड़ा जाएगा जिसके नेता हेमंत सोरेन होंगे। महागठबंधन की दीवार को दरकने से बचाने के लिए राजद, झाविमो और वामपंथियों के लिए अलग ऑफर गुरुवार को नई दिल्ली में इसकी घोषणा के साथ राजनीतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं।
कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार दो दिनों से इस पर मंथन कर रहे थे तो झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अपने नजदीकी नेताओं के साथ दिल्ली में डटे थे। झारखंड विकास मोर्चा के दूत के तौर पर एक दिन पहले ही प्रदीप यादव व बंधु तिर्की दिल्ली में प्रमुख नेताओं से मिलकर लौटे थे। जहां तक राजद की बात है तो आरपीएन सिंह शनिवार को ही लालू यादव से मिलकर इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके थे। समझा जाता है कि एक सीट पर लालू की ओर से सहमति है और इसी कारण पलामू से राजद की दावेदारी दरकिनार कर दी गई है।
सूत्र बताते हैं कि जहां तक गोड्डा सीट की दावेदारी का सवाल है तो झाविमो के प्रदीप यादव को कांग्रेस से लड़ने का ऑफर दिया गया है। बदले में पूर्व सांसद और कांग्रेस के सीनियर नेता फुरकान अंसारी को राज्यसभा भेजने पर भी सहमति जताई गई है। वामपंथियों को मनाने का तरीका भी निकाल लिया गया है और समझा जा रहा है कि कांग्रेस अपने कोटे से हजारीबाग सीट सीपीआइ को देगी। यहां से पहले भी सीपीआइ के सांसद रह चुके हैं।
किसने क्या कहा
कांग्रेस पूरी ताकत से लोकसभा चुनाव लड़ेगी और देश की सत्ता से भाजपा को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने कमर कस ली है। डा. अजय कुमार, प्रदेश अध्यक्ष।
विपक्षी महागठबंधन समय की आवश्यकता है। लोकसभा में कांग्रेस और विधानसभा में झामुमो नेतृत्व में चुनाव होगा। विपक्षी महागठबंधन भाजपा का सफाया कर देगा। जिन स्थानों पर विवाद है उसे पार्टी के नेता मिल-बैठकर सुलझा लेंगे। राहुल गांधी से मुलाकात कर आगामी चुनावों में गठबंधन की रणनीति पर विस्तृत चर्चा हुई। हेमंत सोरेन, कार्यकारी अध्यक्ष, झामुमो
गोड्डा सीट से भाजपा की जीत हो गई तो मोदी की जीत हो जाएगी। यदि मेरे द्वारा मांगी गई सीटों पर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो पार्टी अकेले भी चुनाव लड़ सकती है। भाजपा को झारखंड से विदा करने के लिए पार्टी अपनी सामर्थ्य की सीटों पर चुनाव अकेले लड़ेगी। -बाबूलाल मरांडी, झाविमो प्रमुख