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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा बोले, पाकिस्तान की बर्बरता कभी नहीं भूलेंगे कश्मीरी

उपराज्यपाल ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने कई बार पाकिस्तानी फौज और कबाइलियों के कश्मीर पर हमले लूटमार और आगजनी का जिक्र करते हुए कहा था कि पाकिस्तान कभी भी कश्मीरियों का हमदर्द नहीं है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 06:15 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा संबोधित करते हुए।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुरुवार को कहा कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि 22 अक्टूबर, 1947 के दिन किस तरह पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया। पाकिस्तानी फौज और कबाइलियों ने मुजफ्फराबाद (गुलाम कश्मीर) में हजारों की तादाद में निर्दोष लोगों का कत्ल कर दिया। हमें पाकिस्तान की बर्बरता को ही नहीं, बल्कि उसके खिलाफ कश्मीर के लोगों की कुर्बानियों को भी याद रखना चाहिए। उन्होंने पाकिस्तान की नापाक साजिशों और उसके छद्म युद्ध से राज्य की वर्तमान और भावी पीढ़ी को अवगत कराने पर भी जोर दिया।

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उपराज्यपाल बोले, 22 अक्टूबर, 1947 के काले दिन का सच वर्तमान और भावी पीढ़ी को बताना होगा 

मनोज सिन्हा श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मालूम हो कि देश विभाजन के बाद कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने कबाइलियों के साथ मिलकर 22 अक्टूबर, 1947 को हमला किया था। गुलाम कश्मीर से उजड़े लोग और राज्य की जनता उस दिन को काला दिवस के रूप में मनाती है, लेकिन खुलकर सामने नहीं आ रही थी। 73 सालों में पहली बार इस साल कबाइली हमले के सच को उजागर करने के लिए म्यूजियम ऑफ 22 अक्टूबर, 1947 प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है।

सिन्‍हा ने कहा, नेकां संस्थापक ने खुद कहा था कि पाकिस्तान कभी कश्मीरियों का हमदर्द नहीं हो सकता

उपराज्यपाल ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने कई बार पाकिस्तानी फौज और कबाइलियों के कश्मीर पर हमले, लूटमार और आगजनी का जिक्र करते हुए कहा था कि पाकिस्तान कभी भी कश्मीरियों का हमदर्द नहीं है।

नेकां कार्यकर्ता मकबूल शेरवानी ने पाकिस्तानी सेना और कबाइलियों को बारामुला से श्रीनगर की तरफ जाने से रोका, वह उन्हें चार दिन तक उलझाए रहे। इस बीच, भारतीय सेना ने मोर्चा पूरी तरह संभाल लिया। कबाइलियों ने मकबूल शेरवानी का कत्ल कर दिया। शेरवानी ने हमले के खिलाफ आवाज उठाई और आत्मबलिदान किया। 

सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तानी फौज और कबाइलियों की लूटमार के समय आम कश्मीरी भारतीय फौज के साथ खड़े हो गए। निहत्थे कश्मीरियों ने नारा दिया था हमलावर खबरदार-हम कश्मीरी हैं तैयार।

आतंकवाद का सरदार है पड़ोसी

उपराज्यपाल ने बिना नाम लिए पाकिस्तान को आतंकवाद का सरगना बताते हुए कहा कि विश्व में आतंकवाद का एक ही सरदार है और वह हमारा पड़ोसी मुल्क है। सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान के विश्वासघात, बर्बरता, हमारे जवानों और यहां के लोगों की बहादुरी व आत्मबलिदान की कहानियां जन-जन तक पहुंचनी चाहिए। यही इस संगोष्ठी और प्रदर्शनी का मकसद है।

राज्य की नई पीढ़ी को पाकिस्तानी शासकों और उसकी फौज द्वारा किए गए कत्लेआम, हमारी मां-बहनों के साथ दुराचार की दिल दहला देने वाली शर्मनाक घटनाओं के बारे में बताने की जरूरत है। ऑपरेशन गुलमर्ग के नाम पर पाकिस्तान ने जो किया है, उसके बारे में नई पीढ़ी को अवगत होना चाहिए। मुहम्मद अली जिन्ना ने 22 अक्टूबर को हमेशा के लिए काला दिवस बना दिया।


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