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मप्र में पार्टी का नहीं, नेताओं का चेहरा बने कांग्रेस प्रवक्ता, सामने आर्इ् गुटीय राजनीति

प्रवक्ता पार्टी का चेहरा न बनकर, अपने-अपने नेताओं के लिए काम कर रहे हैं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:56 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:56 PM (IST)
मप्र में पार्टी का नहीं, नेताओं का चेहरा बने कांग्रेस प्रवक्ता, सामने आर्इ् गुटीय राजनीति
मप्र में पार्टी का नहीं, नेताओं का चेहरा बने कांग्रेस प्रवक्ता, सामने आर्इ् गुटीय राजनीति

नईदुनिया, भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए कार्यकर्ता संवाद में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सभी नेताओं को चेतावनी देकर गए थे कि चुनाव तक एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ें, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग में गुटीय राजनीति आज भी दिखाई दे रही है।

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प्रवक्ता पार्टी का चेहरा न बनकर, अपने-अपने नेताओं के लिए काम कर रहे हैं। वहीं, मीडिया विभाग के प्रदेश प्रवक्ता आपसी विवादों को सार्वजनिक तौर पर सामने लाने लगे हैं।

माना जाता है कि प्रवक्ता राजनीतिक दल का चेहरा होता है। कांग्रेस ने मीडिया विभाग में 34 प्रदेश प्रवक्ता और 26 पेनलिस्टों की नियुक्ति की है। इनमें से कुछ प्रदेश प्रवक्ताओं की नियुक्ति बाद में हुई, जिनमें अवनीश बुंदेला, जितेंद्र मिश्र, संतोष गौतम, धर्मेद्र बाजपेयी शामिल हैं। बाजपेयी को छोड़कर अन्य तीनों की नियुक्ति गुपचुप ढंग से की गई। अधिकांश प्रवक्ताओं ने तो आज तक कोई बयान जारी नहीं किया है।

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से नहीं दी जाती दिग्गजों की सूचनाएं 
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ताओं में से करीब आधा दर्जन पार्टी के लिए नहीं, बल्कि अपने नेताओं के चेहरे चमकाने में लगे रहते हैं। इन प्रवक्ताओं के पार्टी के लिए बयान ही जारी नहीं होते।

उधर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) द्वारा प्रदेश के दिग्गज नेताओं की सूचनाएं जारी नहीं करने की कमी को उनके समर्थक प्रवक्ता पूरी करते हैं। सैयद जाफर पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ के संबंध में जानकारियां देते हैं तो सांसद व चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में सूचनाएं पंकज चतुर्वेदी द्वारा दी जाती हैं। इसी तरह राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सूचनाएं योगेंद्र सिंह परिहार देते हैं।

मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के खेमे का माना जाता है। वह पीसीसी के मुद्दों को उठाती रहती हैं। नरेंद्र सलूजा पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक हैं तो उनकी हर एक गतिविधि की जानकारी वे भेजते हैं।

उधर, प्रवक्ताओं के इस मुद्दे पर जब नईदुनिया ने कांग्रेस के जिम्मेदारों से चर्चा की तो किसी ने भी इस बारे में कुछ नहीं कहा।

तीन महीने में चार विवाद 

कांग्रेस के इन चेहरों के बीच करीब तीन महीने पहले सबसे पहला विवाद सामने आया था, जिसमें दुर्गेश शर्मा और स्वदेश शर्मा के बीच पीसीसी में कहासुनी हुई थी। दुर्गेश और शाहवर आलम का भी इसी दौरान विवाद हुआ था। इसके बाद से मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा की संगीता शर्मा के साथ पीसीसी के गेट पर ही इसी तरह की बातचीत हुई।

ताजा विवाद दुर्गेश शर्मा और जेपी धनोपिया के बीच एक मामले को लेकर हुआ। शनिवार को शर्मा व धनोपिया के बीच ओझा के कक्ष में कहासुनी हुई। सूत्रों के मुताबिक जब धनोपिया संतुष्ट नहीं हुए तो उन्होंने पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ से शिकायत की। रविवार को संगठन प्रभारी उपाध्यक्ष चंद्रप्रभाष शेखर ने दोनों प्रवक्ताओं को अपने कक्ष में बुलाया और चेतावनी दी।


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