नक्सल क्षेत्र में वोटर को इंक न लगाने को लेकर चुनाव आयोग कर रहा मंथन
नक्सल प्रभावित इलाकों के लोगों का कहना है कि वो चुनाव में मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन स्याही नही लगवाना चाहते।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। जहां एक तरफ चुनाव आयोग ने राज्य में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव के लिए तैयारियां शुरू कर दी है, तो वही दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। जिसके चलते वहां के मतदाताओं ने चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने पर असहजता जाहिर की है।
उन्हें अपनी जान पर खतरा होने का डर सता रहा है। ऐसे में मतदाताओं की सुरक्षा चुनाव आयोग के लिए गंभीर मुद्दा बन गया है। इसको देखते हुए आयोग ने नक्सली प्रभावित इलाकों में मतदाताओं की उंगलियों पर स्याही न लगाने पर विचार मंथन चल रहा है।
छत्तीसगढ़ चुनाव आयोग ने इस बाबत केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिख कर पूछा है कि क्या चुनाव के दौरान वोट देने से पहले मतदाता की उंगलियों पर स्याही का निशान लगाना जरूरी है? बता दे कि चुनाव मे यह प्रथा का चलन चुनाव में होने वाली धांधली को रोकने के लिए किया जाता रहा है। यह स्याही ऐसी होती है कि जिसका निशान कई दिनों तक मतदाताओं की उंगलियों पर रहता हैं।
छत्तीसगढ़ में 14 ऐसे क्षेत्र बताये जाते है जहां नक्सली सक्रिय हैं। अधिकारियों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या इन क्षेत्रों में स्याही का इस्तेमाल बंद हो सकता है?
चुनाव से संबंधित एक अधिकारी ने बताया कि अगर चुनाव आयोग छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के सुझाव को मान लेता है तो इसके लिए चुनाव के नियमों में कुछ बदलाव करने होंगे। निर्वाचन का संचालन, 1961 नियम की धारा 49(क) में संशोधन की आवश्यकता है, जिसके लिए आयोग को कानून मंत्रालय को पत्र लिखना होगा, लेकिन आयोग का मानना है कि इस पुरी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए समय बहुत कम शेष है।
नक्सल प्रभावित इलाकों के मतदाताओं ने इस मामले में स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाई है। राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों के लोगों का कहना है कि वो विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन चुनाव में इसकी पहचान के लिए स्याही नही लगवाना चाहते।
वोटर जागरूकता अभियान के दौरान बस्तर के लोगों ने बीजापुर और सुकमा कलेक्टर को कहा है कि, 'वोट डालने के बाद हमारी उंगुली पर स्याही न लगाई जाए, नही तो इस स्याही को देखकर नक्सली हमें मार देंगे। हम मतदान करना चाहते हैं, लेकिन नक्सलियों का डर है।'
यह पहली बार नही है जब इस तरह का मामला सामने आया है, इससे पहले कश्मीर और नार्थ ईस्ट के आतंकवाद से पीडि़त इलाकों से भी इस तरह की मांग उठती रही है, वही आयोग के अनुसार 2013 के छत्तीसगढ़ चुनाव में भी दंतेवाड़ा, बस्तर और सुकमा के निर्वाचन अधिकारियों की यह मांग चुनाव आयोग ने ठुकरा दी थी।
छत्तीसगढ़ में 12 और 20 नवंबर को चुनाव होने तय है। पहले चरण में 12 नवंबर को चुनाव होंगे, जबकि दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान कराए जाएंगे। चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़ के 1 करोड़ 81 लाख से अधिक मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए इस बार 23 हजार 411 मतदान केंद्र चिन्हित किये हैं।