Move to Jagran APP

CAA के खिलाफ हिंसा में संपत्ति के नुकसान पर जारी रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि सीएए के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संज्ञान ले रखा है। इसलिए हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 08:45 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:53 PM (IST)
CAA के खिलाफ हिंसा में संपत्ति के नुकसान पर जारी रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
CAA के खिलाफ हिंसा में संपत्ति के नुकसान पर जारी रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में कथित तौर पर शामिल एक प्रदर्शनकारी के विरुद्ध जारी रिकवरी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संज्ञान ले रखा है। इसलिए हाई कोर्ट द्वारा सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।

loksabha election banner

कोर्ट ने यह भी पाया कि अभी याची को केवल कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जिसका उसने जवाब दे रखा है, तो ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका पोषणीय नहीं हो सकती है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि याची के जवाब के बाद समक्ष प्राधिकारी उसके खिलाफ आदेश जारी करते हैं तो याची समुचित कानूनी प्रकिया के तहत उसे चुनौती दे सकता है।

यह आदेश सोमवार को जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल व जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने याची मुहम्मद कलीम की ओर से दाखिल रिट याचिका पर दिया।

दरअसल, याची के खिलाफ तीन प्राथमिकियां दर्ज हैं, जिसमें उसके अलावा अन्य भी आरोपित हैं। प्राथमिकी में लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत भी आरोप हैं, जिसके बाद अपर जिलाधिकारी ट्रांसगोमती लखनऊ ने गत 23 दिसंबर, 2019 को याची के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया था।

याची की ओर से दायर याचिका पर उसके वकील प्रियंका सिंह ने कोर्ट में यह स्वीकार किया कि रिकवरी नोटिस याची के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों के क्रम में जारी किया गया है। याची ने नोटिस का जवाब दे रखा है। ऐसे में स्टैंडिंग कौंसिल मनीष मिश्रा का तर्क था कि याचिका पोषणीय नहीं है। यह भी कहा गया कि ऐसे ही मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही संज्ञान ले चुका है।

नागरिकता कानून के विरोध में 21-22 दिसंबर, 2019 को उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। गाड़ियों के अलावा पुलिस चौकी, थाने व अन्य सरकारी संपत्ति को फूंक दिया गया था। इस पर शासन ने प्रदर्शनकारियों को चिह्नत कर उनके खिलाफ रिकवरी नोटिस (संपत्ति के नुकसान की भरपाई) जारी किया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.