Rajasthan: गहलोत सरकार बनाएगी जवाबदेही कानून, अधिकारियों की जनता के प्रति तय होगी जवाबदेही
Accountability Law In Rajasthan गहलोत सरकार देश में पहली बार जवाबदेही कानून लागू करेगी। इस कानून के माध्यम से सरकारी अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही तय की जाएगी।
जागरण संवाददाता, जयपुर। Accountability Law In Rajasthan: राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार देश में पहली बार "जवाबदेही कानून" लागू करेगी। इस कानून के माध्यम से सरकारी अधिकारियों की जनता के प्रति जवाबदेही तय की जाएगी। सीएम गहलोत ने बजट में यह कानून लागू करने की घोषणा की थी। कानून का मसौदा तैयार कर लिया गया है। संभवत: दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन सरकार यह कानून लागू करेगी। 25 सरकारी विभागों की 200 से अधिक सेवाओं को इस कानून के दायरे में लाया जाएगा। सेवानिवृत आइएएस अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में गठित समिति कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट पिछले दिनों दे चुकी है। दो दिन पहले राज्य के मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर कानून का मसौदा तैयार कर लिया, अब मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलने के बाद इस अंतिम रूप दिया जाएगा।
शिकायत का 15 दिन में होगा समाधान
कानून के अनुसार, किसी भी शिकायत का समाधान 15 दिन में करना होगा। शिकायत का समाधान होने पर शिकायतकर्ता को कार्रवाई की रिपोर्ट दी जाएगी, उसके संतुष्ट नहीं होने पर एक महीने के भीतर संबंधित विभाग को पूरे मामले की जांच करनी होगी। तय समय सीमा में शिकायत का समाधान नहीं हो पाता है तो जांच अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। गहलोत सरकार के इस कदम से आमजन को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
कानून की विशेषताएं
इस कानून के जरिए आम लोगों को रोजमर्रा के जिन कार्यों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उनसे निजात मिलने की उम्मीद है। प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल का कहना है कि इस कानून का मकसद गुड गवर्नेंस देना है। इस कानून से अंतिम व्यक्ति तक सरकार की सुविधाओं का लाभ पहुंच सकेगा और अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी। बिजली, पानी, राशन, सड़क जैसी आधारभूत सुविधाओं का इस कानून के माध्यम से लोगों को लाभ पहुंच सकेगा। इस कानून के तहत शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत और नगरपालिका स्तर पर सहायता केंद्र स्थापित होगा। प्रत्येक शिकायत कंप्यूटर में दर्ज की जाएगी। शिकायत को लगातार ट्रैक किया जाएगा। लोक शिकायत निवारण अधिकारी को 30 दिन के अंदर लिखित जवाब देना होगा। जिला व राज्य स्तर पर सुनवाई के लिए अगर-अलग प्राधिकरण होंगे।