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Jammu And Kashmir: जेलों में बंद नेताओं के लिए सभी सियासी दल साथ आएं: फारूक अब्दुल्ला

Farooq Abdullah. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जेलों में बंद सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कराने के लिए जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 15 Mar 2020 03:27 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 07:40 PM (IST)
Jammu And Kashmir: जेलों में बंद नेताओं के लिए सभी सियासी दल साथ आएं: फारूक अब्दुल्ला
Jammu And Kashmir: जेलों में बंद नेताओं के लिए सभी सियासी दल साथ आएं: फारूक अब्दुल्ला

राज्य ब्यूरो, जम्मू। Farooq Abdullah. नेशनल कांफ्रेंस (नेका) के प्रमुख व पूर्व सीेएम डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि जेलों में बंद सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कराने के लिए जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए। उनकी रिहाई के लिए केंद्र सरकार से अपील करनी चाहिए कि केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेलों में बंद इन कैदियों को मानवीय आधार पर रिहा कर देना चाहिए।

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डॉ. फारूक ने रविवार को कहा कि इससे पहले कि हम राजनीति को हमें विभाजित करने की अनमुति दें। मैं यहां सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करता हूं कि वे जेलों में बंद लोगों की रिहाई के लिए एकजुट होकर एक मंच पर आएं और केंद्र सरकार से कहें कि उन्हें जल्दी से जल्दी रिहा किया जाए। साथ ही, उन्हें जम्मू-कश्मीर में शिफ्ट किया जाए। यह एक मानवीय मांग है। उन्होंने आशा जताई कि अन्य लोग भी उनकी इस मांग केंद्र के समक्ष रखने में मेरा साथ देंगे। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष 82 वर्षीय डॉ. फारूक शुक्रवार को ही रिहा हुए हैं।

फारूक ने कहा कि रिहा होने के बाद वह राजनीतिक बयान देने से परहेज कर रहे हैं। पहले उन्हें एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया था और बाद में पंद्रह सितंबर को उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगा दिया गया। पहले इसे 14 दिसंबर और फिर 11 मार्च तक बढ़ा दिया। फारूक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त के बाद आए बदलाव के बाद राजनीतिक विचारों का स्वतंत्र आदान प्रदान जरूरी है, लेकिन अभी भी हम इस तरह के माहौल से दूर हैं। ऐसा इसीलिए कि अभी भी कई राजनीतिक कैदी जम्मू-कश्मीर के बाहर जेलों में बंद हैं।

खुद को भाग्यशाली मानते हैं फारूक

अपने पुत्र उमर अब्दुल्ला से एक दिन पहले मिलने गए पूर्व मुख्यमंत्री फारूक ने कहा कि जब अन्य सैकड़ों कश्मीरियों के साथ अपनी तुलना करते हैं तो अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं। मैं अपने घर में ही बंद था और मेरा परिवार मुझसे मिल सकता था। एक दिन पहले जब वह अपने बेटे उमर से मिलने गए तो उन्हें एक किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा। कई परिवारों के लिए इतनी आसानी के साथ जेलों में बंद अपनों के साथ मिलना संभव नहीं है।

फारूक को श्रीनगर में गुपकार रोड स्थित उनके घर में ही कैद रखा गया था, जबकि उमर को घर से करीब एक किलोमीटर दूर हरि निवास में बंदी बनाया गया है। उमर पर पीएसए गया है। पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भी पीएसए के तहत बंद हैं। कई लोगों को अपने लोगों से मिलना मुश्किलफारूक ने कहा कि कई कैदियों को देश भर के विभिन्न राज्यों में रखा गया है। महीने में सिर्फ दो बार ही उनके परिजन उनसे मिल सकते हैं। परिजनों को इसके लिए बहुत रुपये खर्च करने पड़ते हें और यह सब कुछ आसान नहीं है। फारूक ने कहा कि इस समय पूरे देश में कारोना वायरस का खतरा बना हुआ है। लोगों को यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है, लेकिन इन परिवारों को यात्रा करने के लिए विवश किया जा रहा है और उनकी जान को खतरा बना हुआ है।

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