सड़क पर उतरे गन्ना किसान, पूरे यूपी में जगह-जगह चक्का जाम...जिला मुख्यालयों पर कब्जे की चेतावनी
भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने गन्ना बेल्ट में राजमार्गों सहित डेढ़ सौ से अधिक जगहों पर चक्का जाम कर दिया।
लखनऊ, जेएनएन। गन्ने का मूल्य बढ़ाने की मांग लेकर बुधवार को पूरे उत्तर प्रदेश में किसान सड़कों पर उतर आए। भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर किसानों ने गन्ना बेल्ट में राजमार्गों सहित डेढ़ सौ से अधिक जगहों पर चक्का जाम कर दिया। इसी बीच पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद भी किसानों ने लखनऊ में विधानभवन के पास गन्ने में आग लगा दी। गन्ने का मूल्य बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भेजने के साथ ही किसानों ने चेतावनी दी है कि 20 दिसंबर तक यदि मूल्य वृद्धि नहीं हुई तो 21 दिसंबर को जिला मुख्यालयों पर कब्जा कर लिया जाएगा।
गन्ना मूल्य को लेकर भाकियू ने प्रदेशव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था। इस पर किसानों ने प्रदेश में कई जगह सुबह 11 से दोपहर दो बजे तक रास्तों को बंद कर दिया। मुजफ्फरनगर में 14 जगहों पर राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों को जाम कर दिया, जबकि बिजनौर में भी 40 जगहों पर चक्का जाम किया गया। मुरादाबाद में चार जगह राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग ठप हुए, जबकि अमरोहा में भी राष्ट्रीय राजमार्ग रोक दिया गया। हापुड़ में छह, सहारनपुर में आठ, बुलंदशहर में नौ, शामली में तीन, फैजाबाद में चार, मेरठ में आठ, बागपत में चार, अलीगढ़ में पांच और शाहजहांपुर में तीन जगहों पर राष्ट्रीय व राज्य राजमार्ग रोक दिए गए।
संभल, गाजियाबाद के मोदीनगर, रामपुर के शहजादनगर, नोएडा में जेवर गोल चौक, लखीमपुर खीरी, सीतापुर में लाल चौक और मथुरा में सादाबाद रोड सहित कई अन्य जगहों पर भी किसानों ने चक्का जाम कर दिया। लखनऊ में पुलिस ने कई जगह नाकेबंदी कर किसानों को रोकने का प्रयास किया लेकिन, देवां रोड और विधानसभा मार्ग पर ओसीआर भवन के पास किसान पहुंच गए। भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन भी भेजा गया है। इसमें तीन साल से गन्ना मूल्य न बढ़ाए जाने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री से इसका मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग की गई है।
तीन साल में बढ़ी लागत
मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में बताया गया कि तीन साल में गन्ने पर आने वाली लागत में खासी बढ़ोतरी हुई है। बिजली दोगुना हो गई है, जबकि खाद, डीजल व कीटनाशक में 20 फीसद से अधिक वृद्धि हुई है, जिससे किसानों का लगातार नुकसान हो रहा है। कहा गया कि 2016-17 से 2018-19 तक गन्ने की रिकवरी तीन फीसद बढ़ी है, जिससे चीनी मिलों को प्रत्येक क्विंटल पर लगभग 90 रुपये का लाभ हुआ है। दूसरी तरफ गन्ना किसानों की उत्पादन लागत 300 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हो गई है। किसानों ने स्वामीनाथन कमेटी के मुताबिक लागत में 50 फीसद जोड़कर गन्ना मूल्य घोषित किए जाने की जरूरत बताई है।
यह हैं मांगें
- गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए।
- बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान ब्याज सहित अविलंब कराया जाए।
- कैलेंडर में दर्शाई गईं गलत पर्चियां संशोधित की जाएं।
- पहले की तरह 15 क्विंटल को ही आधार मानकर पर्ची तय की जाए।