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Jammu Kashmir Domicile: अब जम्मू कश्मीर की सभी नौकरियों के लिए अनिवार्य होगा डोमिसाइल

Jammu Kashmir Domicile सियासी दबाव के बीच केंद्र सरकार ने दो दिन के भीतर ही जम्मू कश्मीर में डोमिसाइल कानून में बदलाव कर दिया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 04 Apr 2020 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 04 Apr 2020 08:56 AM (IST)
Jammu Kashmir Domicile: अब जम्मू कश्मीर की सभी नौकरियों के लिए अनिवार्य होगा डोमिसाइल
Jammu Kashmir Domicile: अब जम्मू कश्मीर की सभी नौकरियों के लिए अनिवार्य होगा डोमिसाइल

जम्मू, राज्य ब्यूरो। सियासी दबाव के बीच केंद्र सरकार ने दो दिन के भीतर ही जम्मू कश्मीर में डोमिसाइल कानून में बदलाव कर दिया। अब राज्य की सभी तरह की नौकरियों पर केवल जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल अनिवार्य बना दिया गया है। हालांकि डोमिसाइल के लिए पहले से तय नियम यथावत रहेंगे।

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इससे पूर्व राज्य में लेवल चार की नौकरियों के लिए ही डोमिसाइल अनिवार्य किया था। इसका सियासी हलकों में काफी विरोध हो रहा था और राज्य भाजपा इकाई और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी भी विरोध जता रहे थे। इसी मसले पर अल्ताफ बुखारी शुक्रवार को गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से भी मिले।

बताया जा रहा है कि बुखारी की गृहमंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ हुई बैठक के बाद गृहमंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के संदर्भ में संबधित खुफिया एजेंसियों से भी रिपोर्ट तलब की। इसके बाद गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन के दायरे मे आने वाली सभी नौकरियां स्थानीय निवासियों के लिए सुनिश्चित करते हुए मंगलवार रात को जारी किए आदेश मे संशोधन कर दिया।राज्य के पुनर्गठन के बाद से ही जमीन और नौकरियों का हक जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए आरक्षित करने की मांग हो रही थी।

केंद्र सरकार ने इस संबंध में आश्वासन भी दिया था। अलबता मंगलवार को जारी आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 (राज्य कानूनों का अनुकूलन) जारी किया। इसमें जम्मू-कश्मीर नागरिक सेवा विकेंद्रीकरण और भर्ती कानून में बदलाव करने के साथ ही राज्य में डोमिसाइल की व्यवस्था लागू की गई। इन शर्तों के मुताबिक केंद्रशासित जम्मू कश्मीर में सिर्फ चतुर्थ श्रेणी में लेवल-चार (25500) तक के पदों में आवेदन करने के लिए डोमिसाइल अनिवार्य बनाया गया था।

अन्य किसी स्तर की नौकरी के लिए डोमिसाइल की शर्त नहीं थी। यही नियम राज्य में विवाद का कारण बन गया। सियासी दलों ने इसे मुद्दा बनाना आरंभ कर दिया।स्थिति की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार रात इस आदेश में तत्काल प्रभाव से बदलाव का एलान कर दिया। इसके अनुसार डोमिसाइल को राज्य की सभी प्रकार की नौकरियों के लिए अनिवार्य बना दिया गया है। इस तरह से केंद्र ने सियासत को आरंभ होने से पूर्व ही विराम लगा दिया है।

यह थे डोमिसाइल के नियम और शर्ते

अब जम्मू कश्मीर में 15 साल से रह रहे नागरिक इस डोमिसाइल के हकदार होंगे। जिन बच्चों ने सात वर्ष तक केंद्र शासित प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई की है और दसवीं या बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी है, वे भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल होंगे।पंजीकृत विस्थापित भी डोमिसाइल होंगेजम्मू-कश्मीर में राहत और पुनर्वास आयुक्त (माइग्रेंट) के साथ पंजीकृत विस्थापित भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल होंगे। जिन बच्चों के अभिभावक जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे हैं या विस्थापित के तौर पर पंजीकृत हैं, वे भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल होंगे।

दस साल तक काम करने वाले केंद्र के अधिकारी भी हकदार

केंद्र सरकार के अधिकारी, ऑल इंडिया सर्विस अधिकारी, सार्वजनिक उपक्त्रमों के अधिकारी, केंद्र सरकार के स्वायत इकाइयां, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, केंद्रीय विश्र्वविद्यालयों और पंजीकृत रिसर्च संस्थानों में दस साल तक काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के बच्चे भी डोमिसाइल के हकदार होंगे।

बाहरी राज्यों में रह रहे प्रदेश के बच्चे भी हकदार

बाहरी राज्यों में नौकरियां, बिजनेस या अन्य कार्यो में जुटे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के बच्चे भी जम्मू-कश्मीर के डोमिसाइल कहलाएंगे। बशर्ते उनके अभिभावक तमाम शर्ते पूरी करते हों।

शाह ने रैना से डोमिसाइल मुद्दे पर हालात जाने

गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू कश्मीर में डोमिसाइल के मुद्दे पर उपजे हालात पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना से फोन पर बातचीत हुई। शुक्रवार को करीब आधे घंटे तक हुई बातचीत में रैना ने शा को जानकारी दी कि कई राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे को तूल देकर लोगों की भड़का रही हैं। युवा वर्ग डोमिसाइल कानून को लेकर असमंजस में है। इसके अलावा शाह ने जम्मू कश्मीर में कोरोना लॉकडाउन में जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने के कार्य की समीक्षा की। गौरतलब है कि डोमिसाइल नियम लागू होने के बाद से विपक्षी पार्टियां नेकां, पीडीपी, कांग्रेस, पैंथर्स पार्टी व अन्य दल भाजपा पर लगातार सियासी हमले कर रहे हैं। 


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