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जम्मू-कश्मीर में तहसीलदार कार्यालय में आवेदन कर बनवा सकेंगे डोमिसाइल प्रमाणपत्र, नियमों पर सियासत

प्रदेश सरकार ने डोमिसाइल प्रमाणपत्र बनाने के नियमों को अधिसूचित किया है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने किया विरोध नियमों को लोगों के खिलाफ बताया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 20 May 2020 08:51 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2020 08:51 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में तहसीलदार कार्यालय में आवेदन कर बनवा सकेंगे डोमिसाइल प्रमाणपत्र, नियमों पर सियासत

जम्मू, राज्य ब्यूरो।  केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में डोमिसाइल प्रमाणपत्र बनाए जाने की प्रक्रिया अगले एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी। फिलहाल, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया अभी शुरू नहीं होगी, लेकिन तहसीलदार कार्यालय में आवेदन कर सकेंगे। प्रदेश सरकार ने सोमवार को ही डोमिसाइल प्रमाणपत्र बनाने के नियमों को अधिसूचित किया है।

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डोमिसाइल प्रमाणपत्र बनाने के लिए सबसे आगे युवा होंगे, क्योंकि सरकारी नौकरियों की अधिसूचनाएं निकलने वाली हैं। सभी तरह की सरकारी नौकरियों में आवेदन करने के लिए डोमिसाइल प्रमाणपत्र का होना जरूरी है। प्रधानमंत्री विशेष स्कालरशिप योजना सिर्फ जम्मू कश्मीर के युवाओं के लिए है। लॉकडाउन के कारण स्कालरशिप के लिए आवेदन की प्रक्रिया में देरी हुई है। इसके लिए भी डोमिसाइल अनिवार्य रखा गया है। कुछ समय पहले जम्मू कश्मीर के इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला के लिए आवेदन निकाले गए हैं।

बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन की तरफ से निकाले गए आवेदन के लिए राशन कार्ड या घर के पते का एक दस्तावेज मांगा गया क्योंकि जब आवेदन शुरू हुए थे तब डोमिसाइल नियम नहीं बने थे। अब डोमिसाइल के नियम बन गए हैं, इसलिए दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को भी डोमिसाइल बनवाना पड़ेगा।

पंद्रह दिन में बनकर तैयार होगा प्रमाणपत्र

सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आवेदन करने के पंद्रह दिन के भीतर अधिकारियों को डोमिसाइल प्रमाणपत्र जारी करना होगा। जब तक डोमिसाइल की ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू नहीं होती है तब तक तहसीलदार कार्यालयों में भीड़ रहेगी। जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र हैं, उनके लिए और दूसरे दस्तावेजों की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रक्रिया सरल, अधिकारी अधिक जवाबदेयडोमिसाइल नियमों में यह सहूलियत है कि इसकी प्रक्रिया सरल है और अधिकारियों को अधिक जवाबदेय बनाया गया है। इसके पहले जम्मू कश्मीर में स्थायी नागरिकता प्रमाणपत्र बनवाने के लिए महीनों ही नहीं, बल्कि वर्षो लग जाते थे। इसके लिए 70 साल पुराने दस्तावेज और वोटर लिस्ट मांगी जाती थी। इससे लोग परेशान भी होते थे।

जम्मू- कश्मीर में डोमिसाइल के नियमों पर सियासत

डोमिसाइल प्रमाणपत्र के नियम जारी होने के साथ ही राजनीति गरमा गई है। कश्मीर केंद्रित पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के साथ कांग्रेस ने भी नियमों का विरोध किया है। यहां तक कि वह इन नियमों को स्थानीय लोगों के खिलाफ तक बता रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान जीए मीर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में दूसरे राज्यों के लोगों को बसाने का रास्ता बना दिया गया है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के युवाओं के हितों को सुरक्षित रखने का वादा किया गया था, लेकिन भाजपा ने गुमराह किया है। सरकार ने लॉकडाउन के बीच ऐसे आदेश जारी किए हैं जो स्थानीय लोगों के हितों के खिलाफ है।

नेशनल कांफ्रेंस ने भी नियमों का विरोध किया है। पार्टी ने बयान जारी कर इन्हें वापस लेने की मांग की। कहा कि इन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। जम्मू कश्मीर में भौगोलिक स्थिति में बदलाव की कोशिश की जा रही है। कोरोना से उपजे हालात का फायदा उठाकर केंद्र सरकार ने ये नियम लागू किए हैं। जिनके पास स्थायी निवास का प्रमाणपत्र है, उनके लिए डोमिसाइल बनवाने को लेकर मुश्किलें पेश आने वाली हैं। क्योंकि जब तक डोमिसाइल प्रमाणपत्र नहीं बनवाएंगे तब तक फायदा नहीं ले सकते। इससे देश के लोगों और जम्मू कश्मीर के लोगों के बीच खाई बढ़ेगी।

शिक्षाविद् प्रो. हरि ओम ने कहा कि डोमिसाइल नियमों से पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद, महबूबा मुफ्ती के अलावा अल्ताफ बुखारी और जम्मू में उनके कुछ समर्थक सदमे में हैं।

उमर अब्दुल्ला, उप प्रधान, नेकां उपाध्यक्ष-

हम चुनौती देते रहेंगे क्योंकि यह हमारा अधिकार है। पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के संवैधानिक दर्जे के साथ जो बदलाव हुए और डोमिसाइल नियम बनने के बाद भी हमारा विरोध जारी रहेगा।

डॉ. जितेंद्र, पीएमओ में राज्यमंत्री-

यह एक नए दौर की शुरुआत है। जम्मू कश्मीर के लोगों को सम्मान के साथ न्याय मिला है। जम्मू कश्मीर में इतिहास के साथ गड़बडि़यां ठीक करने में सत्तर साल का समय लगा है। इससे मुमकिन कर दिखाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया जाता है। 

जेपी नड़्डा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा-

इससे पश्चिमी पाकिस्तान के रिफ्यूजियों, अन्य प्रदेशों से जम्मू कश्मीर में बसे अनुसूचित जाति के लोगों, जम्मू कश्मीर से बाहर रह रहे कश्मीरी विस्थापित और उनके बच्चों के साथ इंसाफ होगा। यह नियम एकता व सम्मान का प्रतीक है। 


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