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Manohar Joshi: महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेसी CM रहे मनोहर जोशी, सर्वसम्मति से चुने गए थे लोकसभा अध्यक्ष

शिवसेना और भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने पर मनोहर जोशी की ताजपोशी हुई। उन्हें शिवसेना के पहले नेता के तौर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। उन्होंने 1995 से लेकर 1999 तक मुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र की सेवा की।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaThu, 25 May 2023 12:49 AM (IST)
Manohar Joshi: महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेसी CM रहे मनोहर जोशी, सर्वसम्मति से चुने गए थे लोकसभा अध्यक्ष
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर जोशी (फाइल फोटो)

मुंबई, ऑनलाइन डेस्क। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे मनोहर जोशी की हालत नाजुक बनी हुई है और वह अभी भी बेहोशी की हालत में हैं। मुंबई के पीडी हिंदुजा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। बीते दिनों शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे उनका हालचाल जानने के लिए अस्पताल गए थे।

कौन हैं मनोहर जोशी ?

  • शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के करीबियों में से एक मनोहर जोशी मार्च 1995 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने वाले वह शिवसेना के पहले नेता हैं। वह 1966 में शिवसेना के गठन के वक्त से इस पार्टी से जुड़े रहे हैं।
  • महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के नंदवी गांव में 2 दिसंबर, 1937 को मनोहर जोशी का जन्म मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गजानन कृष्ण जोशी, जबकि मां का नाम सरस्वती गजानन था।
  • पूर्व मुख्यमंत्री ने मुंबई में शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कानून की पढ़ाई की। इसके बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) में अधिकारी के रूप में शामिल हुए , लेकिन बाद में युवाओं के लिए उन्होंने कोहिनूर टेक्निकल इंस्टिट्यूट (KTI) की स्थापना की। जिसका लक्ष्य युवाओं को सशक्त बनाना है।
  • मनोहर जोशी को मराठी, हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा में महारत हासिल है।  
  • उन्होंने 14 मई, 1964 को अनघा जोशी के साथ शादी की। इस दंपति को एक बेटा (उन्मेश) और दो बेटियां (अस्मिता और नम्रता) हैं। 
  • मनोहर जोशी ने खंडाला में कोहिनूर बिजनेस स्कूल और कोहिनूर आईएमआई स्कूल ऑफ हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट की भी स्थापना की थी।
  • मनोहर जोशी ने 1967 में राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया और तब से शिवसेना के वफादार लोगों में शुमार रहे। हालांकि, कई मौकों पर बगावत से जुड़ी अफवाहें भी उड़ीं, पर उन्होंने शिवसेना का साथ नहीं छोड़ा। 
  • शिवसेना में शामिल होने के बाद साल 1968-70 के दौरान मनोहर जोशी मुंबई के निगम पार्षद रहे और 1970 में स्थाई समिति (नगर निगम) के सभापति रहे।
  • साल 1972 में मनोहर जोशी विधान परिषद के निर्वाचित हुए और शिवसेना के कोटे से उन्होंने लगातार तीन कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद 1990 में शिवसेना के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता।  

कैसा रहा मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल?

मार्च 1995 में शिवसेना और भाजपा गठबंधन के सत्ता में आने पर मनोहर जोशी की ताजपोशी हुई। उन्हें शिवसेना के पहले नेता के तौर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। साथ ही वो महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेस मुख्यमंत्री थे। उन्होंने 1995 से लेकर 1999 तक मुख्यमंत्री के तौर पर महाराष्ट्र की सेवा की। इस दौरान उन्होंने महिलाओं के लिए कामधेनु नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना और युवाओं के लिए सैनिक स्कूल की शुरुआत की थी।

हालांकि, 1999 में उन्होंने दामाद गिरीश व्यास के दोस्त को पुणे में एक स्कूल के लिए आरक्षित जमीन का एक हिस्सा जारी कर दिया था। जिसकी वजह से बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।

कब लड़ा था लोकसभा चुनाव?

मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यकाल पूरा करने के बाद मनोहर जोशी ने दिल्ली का रुख किया। उन्होंने 1999 के लोकसभा चुनाव में मुंबई की उत्तर-मध्य सीट से शिवसेना की टिकट पर अपनी किस्मत आजमाई थी और तेरहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। बाद में उन्हें अटल बिहारी कैबिनेट में शामिल किया गया था। 

ऐसे बने थे लोकसभा अध्यक्ष?

शिवसेना के प्रमुख नेताओं में से एक मनोहर जोशी साल 2002 से 2004 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे। दरअसल, हेलीकॉप्टर दुर्घटना में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी के निधन के बाद कुछ वक्त के लिए पद खाली हो गया था। ऐसे में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मनोहर जोशी के नाम का प्रस्ताव रखा था और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति के पारित हो गया था।