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यूपी में भी 'पंजा' लड़ा रही नई-पुरानी कांग्रेस, दलित-मुस्लिम गठजोड़ व ब्राह्मण कार्ड के दांव में फंसती बाजी

दिल्ली में हाईकमान स्तर पर नई और पुरानी कांग्रेस में पिछले दिनों जैसे मतभेद सामने आए उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी नई और पुरानी कांग्रेस पंजा लड़ाती दिख रही है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 12:21 AM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 04:21 PM (IST)
यूपी में भी 'पंजा' लड़ा रही नई-पुरानी कांग्रेस, दलित-मुस्लिम गठजोड़ व ब्राह्मण कार्ड के दांव में फंसती बाजी
यूपी में भी 'पंजा' लड़ा रही नई-पुरानी कांग्रेस, दलित-मुस्लिम गठजोड़ व ब्राह्मण कार्ड के दांव में फंसती बाजी

लखनऊ [जितेंद्र शर्मा]। कांग्रेस हाईकमान की दिल्ली में बैठक में जैसे बीते दिनों नई और पुरानी कांग्रेस में मतभेद सामने आए, वैसे ही उत्तर प्रदेश में भी नई और पुरानी कांग्रेस पंजा लड़ाती दिख रही है। यहां पर तो पुराने और वरिष्ठ कांग्रेसी जहां पार्टी के पुराने वोट बैंक का समीकरण ब्राह्मण कार्ड के जरिए साधना चाहते हैं, वहीं मौजूदा पदाधिकारी सिर्फ दलित-मुस्लिम गठजोड़ के सहारे 2022 का मैदान मारना चाहते हैं।

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नरेंद्र मोदी की लहर में केंद्र में अपना लगभग सब कुछ गंवा चुकी कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश उम्मीदों की धरती है। यही कारण है कि कांग्रेस महासचिव और गांधी-नेहरू परिवार की बेटी प्रियंका वाड्रा भी उत्तर प्रदेश आई हैं। यहां पर उन्होंने पूरे संगठन को भंग कर अपने हिसाब से सजाया है। वह अपने आक्रामक तेवरों के साथ प्रदेश सरकार को घेरने का लगातार प्रयास कर रही हैं और कई बार सड़कों पर उतरकर अन्य विपक्षी दलों को परेशान कर चुकी हैं, लेकिन कांग्रेस की इस सक्रियता पर अंदर से संशय और सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। 

पुराने कांग्रेसी मानते हैं कि कांग्रेस को ब्राह्मण सहित सवर्णों को भाजपा की गांठ से अच्छी संख्या में छुड़ाना होगा। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के कुछ मुस्लिम नेताओं ने भी रणनीति समझाई है कि ब्राह्मण साथ आए तो मुस्लिम अपने आप आएंगे। 

इसी उम्मीद के साथ पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद पार्टी के पक्ष में ब्राह्मणों को एकजुट करना चाहते हैं, लेकिन उनके इस अभियान में फिलहाल पार्टी से ही साथ नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित अन्य नए नेता दलित-मुस्लिम गठजोड़ की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी वजह से उत्तर प्रदेश में जहां भी दलित और मुस्लिमों के साथ घटनाएं हुईं, वहां यथासंभव कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष लल्लू और सांसद पीएल पुनिया जैसे वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में गया है। इसी तरह आजमगढ़ में दलित प्रधान सत्यमेव जयते की हत्या के बाद गुरुवार को कांग्रेस का दल महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नितिन राउत के साथ आजमगढ़ पहुंचा।पार्टी की प्रदेश में इस रणनीति के इस बिंदु पर तमाम पुराने कांग्रेसियों में असहमति है, क्योंकि ब्राह्मणों के साथ अन्याय की किसी घटना में शायद ही कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल भेजा गया हो।

राजीव त्यागी के मामले पर भी नाराजगी

हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव त्यागी एक चैनल पर डिबेट के दौरान बीमार हुए और उनका निधन हो गया। उसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं ने ट्वीट तो किया, लेकिन उनके घर ऐसा वरिष्ठ नेता नहीं पहुंचा, जिसकी कार्यकर्ता उम्मीद कर रहे थे। इसे लेकर भी एक धड़ा खुश नहीं है।

जिसके साथ भी अन्याय हो, पार्टी के नेता वहां पहुंचें

पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि मैं सामाजिक स्तर पर ब्राह्मणों के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। दलित प्रधान सत्यमेव जयते के घर कांग्रेसियों के जाने का निर्णय अच्छा था, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश में जिसके साथ भी अन्याय हो, उन सभी के घर जाना चाहिए। कांग्रेस को सभी के न्याय के लिए खड़ा होना चाहिए।

पुराने लोग जानते हैं कैसे मजबूत होगी कांग्रेस

पार्टी के पूर्व प्रदेश महासचिव द्विजेंद्रराम त्रिपाठी ने कहा कि जिन्होंने वर्षों-दशकों कांग्रेस को दे दिए, वह जानते हैं कि पार्टी कैसे फिर मजबूत होगी। उन्हें किनारे कर नए लोगों और युवाओं को जोडऩा सही नहीं है। युवाओं को पार्टी की विचारधारा से जोडऩे के लिए एनएसयूआइ और युवा कांग्रेस जैसे संगठन हैं। जो कांग्रेस की मूल विचारधारा से वाकिफ नहीं हैं, वह कैसे संगठन को मजबूत कर पाएंगे।


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