राजस्थान विधानसभा चुनाव आते ही गहलोत और पायलट खेमों में बंटे कांग्रेसी
राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख कांग्रेस के नेताओं में आपसी खींचतान बढ़ने लगी है।
नरेन्द्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव निकट आते देख कांग्रेस के नेताओं में आपसी खींचतान बढ़ने लगी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच बढ़ रही खींचतान के चलते प्रदेश के कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता दो खेमों में बंट गए हैं। दोनों खेमों के बीच दूरियां इस हद तक बढ़ने लगी हैं कि गहलोत समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रमों से खुद को दूर कर लिया है। गहलोत समर्थक नेता पीसीसी के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते हैं। उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी से नाराज नेताओं ने दिल्ली में लॉबिंग की योजना बनाई है।
-गहलोत समर्थकों ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रमों से खुद को किया दूर
-सीपी जोशी से नाराज नेताओं ने दिल्ली में लॉबिंग की योजना बनाई
यह दीगर बात है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और जेडीएस को एक कर सरकार बनाने की योजना में अशोक गहलोत की भूमिका से उनके समर्थक उत्साहित हैं। गहलोत समर्थकों का कहना है कि उनके नेता को पहले पंजाब विधानसभा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया तो परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए । इसके बाद गुजरात प्रभारी रहते हुए गहलोत ने इस तरह की रणनीति बनाई कि भाजपा को बहुमत तक आने में काफी मेहनत करनी पड़ी।
गुजरात से अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव जिताने में भी गहलोत की रणनीति ही काम आई। अब, जब कर्नाटक में कांग्रेस चुनाव हार गई तो भाजपा को सत्ता से दूर करने के लिए पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुलाब नबी आजाद के साथ गहलोत को कर्नाटक भेजा और वहां भी उन्होंने इस तरह की रणनीति बनाई कि जेडीएस और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने जा रहे हैं। गहलोत समर्थक राज्य पर्यटन विकास निगम के पूर्व चेयरमैन रणदीप धनखड का कहना है कि राजस्थान में भी अशोक गहलोत को सामने लाए बगैर चुनाव जीतना मुश्किल है।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नाते सचिन पायलट समर्थक अपने नेता को मुख्यमंत्री पद के लिए स्वभाविक उम्मीदवार मान रहे हैं। पिछले तीन से चार माह में राज्य के सभी जिलों में पायलट समर्थक काफी तेजी से सक्रिय हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से पायलट ने मेहनत कर नए मतदाताओं को पार्टी के साथ जोड़ने की योजना बनाई और फिर निष्क्रिय नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर मुख्यधारा में लाने का काम किया। पायलट समर्थकों का कहना है कि गहलोत समर्थकों के असहयोग के बावजूद पार्टी ने राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के साथ ही संगठन को मजबूत किया है।
पायलट के समर्थकों में अधिकांश वह नेता है, जिन्हें अशोक गहलोत के खिलाफ माना जाता है। इनमें पूर्व सांसद डॉ. हरिसिंह, पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल और राजेन्द्र चौधरी आदि प्रमुख हैं। ये सभी नेता गहलोत समर्थकों को मुख्यधारा से दूर रखने में जुटे रहते हैं। हालांकि, पायलट ने हमेशा सार्वजनिक रूप से गहलोत को सम्मान दिया है।
डॉ. गिरिजा व्यास के लिए घेरेंगे जोशी को
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सीपी जोशी के खिलाफ भी राजस्थान के कांग्रेसी नेताओं का एक गुट सक्रिय हो गया है। यह गुट अगले कुछ दिनों में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की योजना बना रहा है। इस गुट में शामिल नेताओं का कहना है कि जोशी के राष्ट्रीय महासचिव रहने से राजस्थन में पार्टी को कोई लाभ नहीं मिला है। उनके स्थान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास को ब्राह्मण चेहरे के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया जाना चाहिए ।