Rajasthan: कांग्रेस विधायक बोले, खुद को राजा समझ रहे मंत्री; सरकार में नहीं हो रही सुनवाई
Hemaram Choudhary. राजस्थान के कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी ने कहा है कि मेरी और मेरे समर्थक कार्यकर्ताओं की सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Congress MLS Hemaram Choudhary. मध्य प्रदेश में सियासी संकट से जूझ रही कांग्रेस के लिए अब राजस्थान में पार्टी विधायकों ने मुश्किल पैदा करना शुरू कर दिया है। दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी, विधायक पीआर मीणा और प्रशांत बैरवा ने अपनी ही सरकार को घेरा है। इनमें मीणा और बैरवा उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट समर्थक हैं। वहीं, चौधरी सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज हैं। सत्ता एवं संगठन के नेतृत्व से नाराज चौधरी ने गुरुवार को "दैनिक जागरण" से बातचीत में कहा कि मेरी और मेरे समर्थक कार्यकर्ताओं की सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है, इसलिए मुझे विधायक बने रहने का कोई हक नहीं है। मै कभी भी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे सकता हूं। उन्होंने कहा कि मैंने नेतृत्व को चेतावनी दे दी है।
उधर, विधायक पीआर मीणा ने कहा कि राजस्थान की स्थिति काफी बदतर है। अपनी ही सरकार को घेरते हुए मीणा ने कहा कि यहां मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच तालमेल नहीं है। विधायकों व कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए मीणा ने कहा कि प्रदेश के मंत्री खुद को राजा समझ रहे हैं। मंत्री मुख्यमंत्री की बात ही नहीं सुनते हैं। दो-तीन विधायक और मंत्री तो खुद को को मुख्यमंत्री से ऊपर समझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रियों को टाइट करने की जरूरत है। किसानों की फसल बर्बाद हो रही है, लेकिन सरकार में सुनवाई नहीं हो रही है।
वहीं, राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा ज्योतिरादित्य का जाना हमारे लिए नुकसान और दूसरी पार्टी का लाभ है। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य को मैं शुभकामनाएं देता हूं, उनके पिता स्व.माधवराव सिंधिया से मेरे निकटम संबंध रहे हैं।
कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि ज्योतिरादित्य ने जो कुछ फैसला लिया, वो सोच समझकर ही किया होगा। भारतीय राजनीति में हर आदमी को अधिकार है कि वो किसी भी पार्टी को ज्वाइन कर सकता है।
विस के गलियारों और सचिवालय में राजनीतिक संकट की चर्चा
राजस्थान में गुरुवार को दिनभर मध्यप्रदेश के राजनीतिक संकट की चर्चा रही । राज्य विधानसभा के गलियारें हो गया फिर कांग्रेस और भाजपा के दफ्तर हर तरफ मध्य प्रदेश में छाए सियासी संकट की चर्चा होती रही। राजनीतक गलियारों से लेकर आइएएस और आइपीएस अधिकारियों में चर्चा का विषय यही रहा कि क्या राजस्थान में भी मध्य प्रदेश दोहराया जाएगा। हालांकि अधिकांश की राय थी कि राजस्थान में मध्य प्रदेश दोहराना मुश्किल लगता है। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस और भाजपा के बीच विधायकों की संख्या का बड़ा अंतर एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मजबूत पकड़ माना गया। वैसे उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और गहलोत के बीच पिछले 14 माह से चल रही खींचतान को चर्चा का विषय बनाते हुए भाजपा नेता यह जरूर कहते हैं कि राजनीतिक में कुछ भी असंभव नहीं है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने को लेकर सचिन पायलट और उनके समर्थक पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह एवं विधायक प्रशांत बैरवा की सोशल मीडिया की पोस्ट को लेकर यह माना जा रहा है कि राजस्थान में चाहे मध्य प्रदेश जैसे हालात नहीं बनें,लेकिन गहलोत की राह आसान नहीं है । एक तरफ जहां गहलोत ने सिंधिया को अवसरवादी बताते हुए कहा कि वे पहले ही चले जाते तो ठीक था, वहीं पायलट ने नरम रुख दिखाते हुए कहा कि ज्योतिरादित्य का इस तरह भाजपा में शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरा मानना है कि उनके भाजपा में जाने की बजाए यदि मामला कांग्रेस के भीतर ही सुलझ जाता तो बेहतर होता।