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कानून के राज के बिना सुशासन की कल्पना बेमानी : योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अभियोजन व पुलिस के अधिकारियों को अपराधियों व अपराध पर शिकंजे के लिए कई सूक्ति वाक्य दिए।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 11:15 AM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 11:15 AM (IST)
कानून के राज के बिना सुशासन की कल्पना बेमानी : योगी आदित्यनाथ
कानून के राज के बिना सुशासन की कल्पना बेमानी : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ कोई भी कसर छोडऩे को तैयार नहीं हैं। उनका मानना है कि सुशासन की ठोस नींव कानून के राज पर ही स्थापित हो सकती है। अगर कानून का राज नहीं है तो सुशासन की परिकल्पना ही बेमानी है। इस दृष्टि से हम सबको फोकस करना होगा।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अभियोजन व पुलिस के अधिकारियों को अपराधियों व अपराध पर शिकंजे के लिए कई सूक्ति वाक्य दिए। अभियोजन मुख्यालय की स्थापना के बाद 40 सालों में यह पहला मौका था, जब मुख्यमंत्री उनके कार्यक्रम में पहुंचे। योगी ने पहली अभियोजन दिग्दर्शिका का विमोचन भी किया। ई-प्रॉसीक्यूशन पोर्टल में यूपी के नंबर वन होने की शुभकामनाएं भी दीं।

पुलिस मुख्यालय में 'साइबर क्राइम विवेचना और महिला व बालकों के विरुद्ध अपराध' विषयक अभियोजकों व विवेचकों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि विवेचना ठोस तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित होगी तो बेहतर पैरवी कर अभियोजन अधिकारी समय से अपराधियों को सजा दिला सकेंगे। कहा कि जब पूरे देश में महिलाओं से संबंधित अपराधों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही हो। साइबर क्राइम की बढ़ती दुष्प्रवृत्ति से जब आमजन के मन में नई आशंका जन्म ले रही हो। विश्वास है कि इन स्थितियों में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इस गंभीर मुद्दे पर दो दिवसीय कार्यशाला ठोस निष्कर्ष पर पहुंचेगी और व्यापक कार्ययोजना के साथ हमे उसे बढ़ाने में सफल होंगे। जब अपराधी के मन में कानून का भय होगा, तो खुद ही अपराध कम होंगे। समय से मिला न्याय ही न्याय कहलाता है

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महिला व बालक संबंधी अपराधों में समयबद्ध कार्रवाई के बाद भी घटनाओं में बढ़ोत्तरी के पीछे मुख्य कारण जिला स्तर पर समन्वय का अभाव था। अंतर विभागीय समन्वय के फार्मूले पर डीएम-एसपी को काम करने के निर्देश दिए गए। उन्हें जिला जज की अध्यक्षता में गठित जिला मानीटङ्क्षरग कमेटी की बैठक में पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस) के मामले में प्राथमिकता तय करने को कहा गया। योगी ने कहा कि समय से मिला न्याय ही न्याय कहलाता है। छह माह में पॉक्सो के मामलों में तीन-चार दिनों में चार्जशीट दाखिल कर दिन प्रतिदिन सुनवाई कराकर चंद दिनों में आरोपितों को सजा दिलाई गई है। इससे एक बड़े तबके तक में कानून का संदेश जाता है।

जल्द होगा कैडर रिव्यू

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि जल्द अभियोजन विभाग में कैडर रिव्यू होगा। कहा कि पदोन्नति दिए जाने के साथ पद भी बढ़ाए जाएंगे। डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि बेहतर काम करने वाले अभियोजन अधिकारियों को सम्मानित भी किया जाएगा।

अब हर माह निरस्त कराई जा रहीं 11 हजार जमानतें

एडीजी अभियोजन ने बताया कि प्रदेश में पहले प्रतिमाह औसतन पांच हजार जमानतें निरस्त कराई जाती थीं लेकिन अब हर माह 11 हजार जमानतें निरस्त कराई जा रही हैं। पॉक्सो एक्ट के मामलों में दोषसिद्धि का प्रतिशत प्रतिमाह 51 से बढ़कर 81 फीसद हुआ है। आइपीसी की धाराओं में अधीनस्थ अदालतों में प्रतिमाह सजा 4800 से बढ़कर 14 हजार तक पहुंची हैं। अन्य अधिनियम में सजा का आंकड़ा 24 हजार प्रतिमाह पहुंचा है। वर्तमान में करीब 60 हजार मामलों में प्रतिमाह सजा हो रही है। इस वर्ष दोषमुक्त हुए सभी मामलों में गवाहों व वादियों से बुलाकर कारणों की समीक्षा की गई, जिसका डाटा डॉ.राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को देकर उस पर शोधपत्र भी तैयार कराया जा रहा है।

बताया कंपनियों से सूचना मांगने का तरीका

कार्यशाला में जयपुर के साइबर विशेषज्ञ मुकेश चौधरी ने साइबर साक्ष्य संकलन, कंपनियों से ब्योरा मांगने के तरीकों, एफआइआर दर्ज कराने में बरती जाने वाली सावधानियां बताईं। आगरा साइबर सेल के इंस्पेक्टर शैलेश कुमार सिंह व उपनिरीक्षक विशाल शर्मा ने कई केसों के आधार पर प्रस्तुतीकरण भी दिया।  


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