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कैबिनेट बैठक में नहीं चली सिद्धू की, नई रेत खनन नीति में कलस्टर होंगे नीलाम

पंजाब कैबिनेट ने नई रेत खनन नीति को मंजूरी दे दी है। इसमें कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह की तेलांगना मॉडल अपनाने की सिफारिश का अनदेखी की गई है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 17 Oct 2018 07:44 PM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 08:53 AM (IST)
कैबिनेट बैठक में नहीं चली सिद्धू की, नई रेत खनन नीति में कलस्टर होंगे नीलाम

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]।  नई रेत खनन नीति जारी करने में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की नहीं चली है। सिद्धू ने तेलंगाना मॉडल अपनाने संबंधी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को रिपोर्ट दी थी। नई रेत नीति का एजेंडा बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू की गैर हाजिरी में कैबिनेट में लाया गया अौर इसे चलते यह सर्व सम्मति से पास कर दिया गया। इसमें सिद्धू की रिपोर्ट की अनदेखी की गई है।

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मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में हुई कैबिनेट ने नई रेत नीति को मंजूरी दे दी। कैबिनेट की बैठक में दावा किया कि नई नीति में आम लोगों को जहां सस्ती रेत मुहैया होगी वहीं अवैध माइनिंग का अब नामोनिशान नहीं रहेगा। नई नीति के तहत रेत खनन को लेकर सारे पंजाब को सात कलस्टर में बांट दिया गया है।

सरकार ने दावा किया है कि अगली नीति दो महीने में लागू कर दी जाएगी लेकिन जानकारों का मानना है कि इसे लागू करने में कम से कम छह महीने लग सकते हैं और तब तक लोगों को पुरानी दी गई 31 खडडों में से ही रेत मुहैया होगा।

नई नीति से आम आदमी को क्या होगा फायदा

रेत खनन के लिए बनाई गई नीति में पिड-हेड (जहां से रेत) निकाली जाती है में रेत सौ क्यूबिक फुट का 900 रुपये की दर को फिक्स कर दिया गया है। यहां से रेत को उपभोक्ता तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्ट के रेट अलग से नोटिफाई किए जाएंगे। सिंचाई विभाग के मंत्री सुखविंदर सिंह  सरकारिया ने दावा किया कि दोनों रेट मिलाकर यह रेत प्रति ट्रॉली 1800 रुपये से ज्यादा नहीं होगी।

इसी तरह बजरी का रेट भी पिट हेड पर फिक्स किया गया है। चूंकि बजरी में दो बार ट्रांसोर्टेशन चार्ज लगते हैं इसलिए बजरी का रेट रेत से 400 रुपये तक ज्यादा हो सकता है। सरकारिया ने बताया कि उपभोक्ताओं को रेत की बिक्री के लिए पंजाब सैंड पोर्टल भी बनाया जाएगा। सभी भुगतान ऑन लाइन किए जाएंगे। केंद्रीय निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। ताकि रोजाना प्रगति रिपोर्ट अपलोड हो सके।
नदियों के बैड को सात कलस्टर में बांटा जाएगा।

रेत को नदियों से निकालने के लिए नदियों को लंबाई के रूप में सात कलस्टर के रूप में बांटा जाएगा। यानी नदी के दोनों ओर पडऩे वाले एक कलस्टर में दो दो जिले शामिल किए जाएंगे। पंजाब के 11 जिलों में ही ज्यादा रेत और बजरी आती है तीन जिलों में काफी कम है। सरकारिया ने बताया कि कलस्टर को नीलामी में एक व्यक्ति या फिर तीन व्यक्तियों का ग्रुप भी ले सकता है। लेकिन अगर कोई गड़बड़ होती है तो उसके लिए जिम्मेवार वह व्यक्ति होगा जिसके नाम पर कलस्टर नीलाम हुआ है। खड़्डें लेने वालों की टर्नओवर  31 मार्च तक देखी जाएगी।

पंजाब में चार करोड़ टन की मांग

पंजाब में चार करोड़ टन रेत और बजरी की मांग है जिसमें 1.5 करोड़ टन रेत और 2.5 करोड़ टन बजरी की जरूरत रहती है। पंजाब में नई पॉलिसी से सरकार को 350 करोड़ से लेकर 425 करोड़ रुपए तक आमदनी होने का अनुमान है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में रेत और बजरी से होने वाली आमदनी 450 करोड़ है चूंकि हरियाणा के बगल में दिल्ली है जहां पर इमारती कामकाज बहुत ज्यादा है इसलिए उन्हें वहां से अच्छा रेवेन्यू मिल जाता है।


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