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CAA protest In UP : हिंसक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में हालात सामान्य, सभी जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल

CAA protest In UP 19 दिसंबर से शुरू हुआ हिंसक प्रदर्शन अब थम गया है। सोमवार को प्रदेश में शांति रही। मंगलवार को जनजीवन पूरी तरह से सामान्य है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 10:36 AM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 10:44 AM (IST)
CAA protest In UP : हिंसक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में हालात सामान्य, सभी जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल
CAA protest In UP : हिंसक प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश में हालात सामान्य, सभी जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल

लखनऊ, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदेश में 19 दिसंबर से शुरू हुआ हिंसक प्रदर्शन अब थम गया है। सोमवार को प्रदेश में शांति रही। मंगलवार को जनजीवन पूरी तरह से सामान्य है। इस बीच मेरठ और फीरोजाबाद में दो घायलों ने दम तोड़ दिया। इससे प्रदेश में मरने वालों की संख्या अब 21 हो गई। उपद्रव में मेरठ में मरने वालों की संख्या छह और फीरोजाबाद चार तक पहुंच गई है।

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विरोध प्रदर्शन के उग्र होने के बाद से प्रदेश आग में जल उठा था। अब पुलिस माहौल बिगाडऩे वालों पर शिकंजा कस रही है। यूपी के कई जिलों में प्रदर्शनकारियों की पहचाने के लिए पोस्टर लगे हैं। पुलिस करीब ढाई हजार लोगों को पकड़ चुकी है। जिसमें से पूछताछ के बाद 800 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ पांच हजार से ज्यादा आरोपियों की प्रिवेंटिव अरेस्ट किया गया है। यहां पुलिस ने हिंसा करने वालों की पहचान के लिए प्रभावित जिलों से मीडिया और सीसीटीवी से फुटेज खंगाली और उसके आधार पर इलाके के शामिल लोगों की पहचान की गई है।

हिंसा में शुक्रवार को मेरठ में घायल सालिम निवासी ताला फैक्ट्री लिसाड़ी गेट मेरठ की दिल्ली में उपचार के दौरान मौत हो गई। दिल्ली में ही उसे सिपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। शहर में पुलिस ने उपद्रवियों के पोस्टर चस्पा किए हैं। शांति समिति की बैठक भी हुई। बिजनौर में एसपी ने बवाल के तीन आरोपितों जामा मस्जिद के मुतवल्ली जावेद अफताब, मदरसा संचालक मौलाना फुरकान व आदिल को भगोड़ा घोषित करते हुए 25-25 हजार के इनाम की संस्तुति की है। नहटौर में 38 बवालियों को चिह्नित कर संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।

मुजफ्फरनगर में सोमवार को आठ मुकदमे दर्ज किए गए। 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस अब तक 32 मुकदमे दर्ज कर 73 को जेल भेज चुकी है। शामली में पुलिस ने एक ट्रांसपोर्टर को हिरासत में लिया है। उसके एक भवन में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का कार्यालय संचालित हो रहा था। बुलंदशहर में अगले जुमे को दोबारा अनहोनी की आशंका की सूचना से पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है।

मुरादाबाद में मंडल के सम्भल, रामपुर, अमरोहा में पूर्ण शांति रही। मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती रही, सशस्त्र पुलिस बल और पीएसी ने मार्च किया। अलीगढ़ में एएमयू व शहर में शांति है। सोमवार को कुछ महिला शिक्षकों ने कानून के विरोध में कैंपस में मार्च निकाला था तो शाम को छात्रों ने कैंडल मार्च निकाल कर विरोध जताया। आगरा में चार दिन से बंद इंटरनेट सेवा सोमवार शाम शुरू हो गई। गाजियाबाद में में जनजीवन सामान्य रहा। पुलिस ने एक आरोपित नावेद को गिरफ्तार किया है।

फीरोजाबाद में घायल चौथे युवक ने सोमवार को दिल्ली में दम तोड़ दिया। फायरिंग में घायल होने के बाद स्वजन उसे दिल्ली ले गए थे। सिटी मजिस्ट्रेट कुंवर पंकज ने बताया कि मुकीम (22) मूलरूप से कानपुर के भोगनीपुर का रहने वाला था और यहां बीपीएल ग्राउंड में चाचा के घर रहकर मजदूरी करता था। इससे पूर्व तीन युवकों की मृत्यु हो चुकी है।

मऊ-आजमगढ़ में इंटरनेट सेवा बहाल

सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन और बवाल की चपेट में आए मऊ और आजमगढ़ में करीब सप्ताहभर बाद हालात सामान्य हो गए। मऊ में सात दिन और आजमगढ़ में छह दिन बाद सोमवार को इंटरनेट सेवा भी बहाल कर दी गई। वाराणसी और मऊ में स्कूल-कॉलेज सोमवार से खोल दिए गए, जबकि आजमगढ़ में 24 दिसंबर तक की बंदी है।

उपद्रवियों की तलाश जारी

हिंसा में शामिल लोगों की फोटोज के पोस्टरों को यूपी के कई जिलों में चिपकाया गया है ताकि इनके बारे में कोई भी सूचना दे सके। अमरोहा के साथ अलीगढ, मेरठ, सहारनपुर जिलों में ऐसे पोस्टर लगाए हैं ताकि आम लोगों की मदद से उपद्रवियों की पहचान की जा सके। पुलिस का लक्ष्य अब दूसरे उपद्रवियों को पकडऩा और फिर असली साजिशकर्ताओं तक पहुंचना है। 

लखनऊ में पुलिस ने भेजा 82 लोगों को भेजा नोटिस

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में लखनऊ में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। लखनऊ प्रशासन ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें नोटिस भेजना शुरू किया।  82 लोगों को नोटिस भेजा गया है। सभी लोगों को अदालत में हाजिर होकर यह बताना होगा कि आखिर हिंसा में पहचाने जाने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। 


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