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प्रियंका की एंट्री से बसपा बदल रही रणनीति, चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी मायावती

प्रियंका गांधी को 23 जनवरी को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाने व पूर्वी जिलों का प्रभारी बनाने की घोषणा से कांग्रेस को हल्के में ले रहे सपा-बसपा नेतृत्व में बेचैनी बढ़ी है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 10:46 AM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 01:20 AM (IST)
प्रियंका की एंट्री से बसपा बदल रही रणनीति, चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी मायावती
प्रियंका की एंट्री से बसपा बदल रही रणनीति, चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी मायावती

लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। कांग्रेस के प्रियंका कार्ड ने सपा-बसपा गठबंधन को रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है। अब जहां बसपा सुप्रीमो मायावती के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना नहीं है वहीं मुस्लिम वोटरों के रुख को देखते हुए लोकसभा सीटों व टिकटों को लेकर नए सिरे से मंथन भी किया जा रहा है। उधेड़बुन की स्थिति के बीच मायावती मंगलवार देर शाम लखनऊ से दिल्ली चली गईं।

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प्रियंका गांधी को 23 जनवरी को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव बनाने व पूर्वी जिलों का प्रभारी बनाने की घोषणा से कांग्रेस को हल्के में ले रहे सपा-बसपा नेतृत्व में बेचैनी बढ़ी है। राहुल गांधी द्वारा उप्र में सभी लोकसभा सीटों पर लड़ने और 2022 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने का लक्ष्य तय करने से गठबंधन के सामने नए सिरे से चुनौती खड़ी होती दिख रही है।

प्रियंका की एंट्री के मद्देनजर मुस्लिमों के बदलते तेवरों को देखकर मायावती ने बिजनौर जिले की नगीना संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का मन भी बदल लिया है। नगीना से पूर्व विधायक गिरीश चंद्र जाटव अब बसपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। मायावती के अंबेडकरनगर से चुनाव लड़ने की भी चर्चा थी लेकिन, अब यहां से राकेश पाण्डेय को ही टिकट मिलना तय माना जा रहा है।

बसपा में बदलाव के संकेत

करीब दो दर्जन स्थानों पर घोषित किए गए लोकसभा प्रभारियों में से भी कुछ को बसपा बदल सकती है। पहले धुव्रीकरण बढ़ने से बचने के लिए मुस्लिम उम्मीदवार कम से कम उतारने का विचार था लेकिन, अब बसपा मुसलमानों को जोड़ने के लिए टिकटों में भागीदारी भी बढ़ाने पर मंथन कर रही है। यहीं नहीं अब टिकट देने में आर्थिक स्थिति के साथ ही पार्टीके पूर्व सांसद, विधायक और बसपा सरकार में मंत्री रहे नेताओं के नाम पर भी गंभीरता से विचार कर रही हैं।

वैसे तो 12 जनवरी को सपा-बसपा गठबंधन के बाद कहा जा रहा था कि जल्द ही घोषणा कर दी जाएगी कि किस संसदीय सीट पर कौन पार्टी लड़ेगी? सूत्र बताते हैं कि प्रियंका की एंट्री न होती तो सूची अब तक जारी भी हो चुकी होती लेकिन, अब सीटों को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच मंथन चल रहा है। विदित हो कि सपा से तय हुए गठबंधन के अनुसार बसपा सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से 38 पर चुनाव लड़ेगा।

राहुल गांधी के वादे को बताया क्रूर मजाक

बसपा अध्यक्ष मायावती ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के न्यूनतम आय की गारंटी वाले बयान पर कहा कि यह बयान ‘गरीबी हटाओ’ की तरह देश के साथ क्रूर मजाक व छलावा जैसा है। मंगलवार को जारी बयान में मायावती ने कहा, ‘विश्वसनीयता के मामले में कांग्रेस व भाजपा सरकारों का रिकॉर्ड ऐसा अच्छा नहीं रहा है कि जनता आसानी से विश्वास कर ले। खासकर चुनावी वादे और घोषणा -पत्र पर तो लोगों को बिल्कुल भी भरोसा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि राहुल को ऐसा कोई वादा जनता से करना था तो पहले कांग्रेस शासित राज्यों में लागू करके दिखाना चाहिए था।

भाजपा को भी लिया आड़े हाथ

बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा द्वारा किसानों की दुर्दशा खत्म कर आत्महत्या की मजबूरी से मुक्ति दिलाने व कृषि उत्पाद का लाभकारी मूल्य दिलाने जैसे किए वादे भी हवा-हवाई व छलावा साबित हुए।


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