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आदिवासी क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करेगी बंगाल सरकार

प. बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के बीच खेल को बढ़ावा देने के लिहाज से राज्य क्रीड़ा विभाग ने स्पोर्ट्स टूर्नामेंट आयोजित करने का निर्णय लिया।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 11:51 AM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 11:51 AM (IST)
आदिवासी क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करेगी बंगाल सरकार
आदिवासी क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करेगी बंगाल सरकार

कोलकाता, [जागरण संवाददाता]। पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के बीच खेल को बढ़ावा देने के लिहाज से राज्य क्रीड़ा विभाग ने उन सभी क्षेत्रों में अलग-अलग स्पोर्ट्स टूर्नामेंट आयोजित करने का निर्णय लिया है जो आदिवासी बाहुल्य हैं।

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क्रीड़ा विभाग  के अनुसार आगामी 12, 13 और 14 जनवरी को आदिवासी वर्चस्व वाले ब्लॉक में बहु-खेल टूर्नामेंट आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। हाल ही में पश्चिम मेदिनीपुर जिले में सार्वजनिक बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसकी घोषणा की थी।

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद क्रीड़ा विभाग ने इसके लिए तारीख तय किया है और जिला प्रशासन को आयोजन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। दरअसल आदिवासी अपने क्षेत्र, अपनी भाषा और संस्कृति से काफी लगाव रखते हैं और जब तक उन्हें किसी चीज में अपनापन नहीं दिखे, वहां आकर्षित नहीं होते। इसीलिए इन क्षेत्रों में खेल को बढ़ावा देने के लिए आयोजित होने वाले आदिवासी टूर्नामेंटों का नाम उस क्षेत्र की बहुतायत वाली भाषा के अनुसार रखा जाएगा।

इस लिहाज से टूर्नामेंट के नाम संथाली (अल्चिकी - लिपि का उपयोग करके), कुर्माली, कुर्मी और अन्य भाषाओं में होंगे। इसके अलावा इन क्षेत्रों में लोगों के विकास के लिए कार्मिक विभाग की ओर से आदिवासियों को 100 दिनों के रोजगार योजना के तहत अधिक से अधिक काम देने की भी पहल तेज कर दी गई है।

इस बात का दावा किया गया है कि वामपंथी शासन के दौरान, आदिवासियों की उचित देखभाल नहीं की गई थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार सत्ता में आने के बाद, हर पहलू में काफी सुधार हुआ है, चाहे वह काम, शिक्षा, खेल या कोई अन्य क्षेत्र हो। दावा किया गया है कि इन क्षेत्रों में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करने के बाद बड़ी संख्या में यहां के युवा मुख्य धारा से जुड़ेंगे। इसके साथ ही खेल प्रतिभाओं की पहचान कर राज्य सरकार इन्हें राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ावा देने में पीछे नहीं हटेगी।  


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