Battle for supremacy : राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद बंगाल में मजबूत हो रहा मुकुल खेमा, घोष से जगजाहिर मनमुटाव
Battle for supremacy मुकुल राय के भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद बंगाल में पार्टी के भीतर उनकी पकड़ बढ़ती जा रही है। बंगाल भाजपा में गुटबाजी का विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है खामियाजा। मुकुल व दिलीप घोष के बीच जगजाहिर है मनमुटाव।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : मुकुल राय के भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद बंगाल में पार्टी के भीतर उनकी पकड़ बढ़ती जा रही है। देखा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष खेमे के नेता और खासकर तृणमूल से भाजपा में आए लोग अब मुकुल से निकटता बढ़ाने में लग गए हैं। दरअसल दिलीप व मुकुल के बीच मनमुटाव पहले से जगजाहिर है। वहीं अब पद के मामले में मुकुल, दिलीप घोष से ऊपर हो गए हैं। दूसरी तरफ पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी बंगाल में जमीनी स्तर पर पकड़ मजबूत करने के लिए मुकुल को ज्यादा तवज्जो दे रहा है।
प्रदेश के ज्यादातर बड़े नेता व सांसद उनके साथ खड़े
इससे पहले नवंबर, 2017 में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले मुकुल के पास जहां कोई बड़ा पद नहीं था और वह राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सिर्फ सदस्य थे। लेकिन अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद वह यहां अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। इसका असर साफ देखा जा रहा है कि अब धीरे-धीरे उनका खेमा मजबूत हो रहा है और प्रदेश के ज्यादातर बड़े नेता व सांसद उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
लगा था मुकुल अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं
कभी तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद दूसरे बड़े नेता रहे मुकुल की सांगठनिक क्षमता से तो हर कोई वाकिफ है। इसका असर साफ देखा जा रहा है कि अब धीरे-धीरे उनका खेमा मजबूत हो रहा है और प्रदेश भाजपा के ज्यादातर बड़े नेता व सांसद उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसे में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले जिस प्रकार बंगाल भाजपा में गुटबाजी बढ़ रही है वह पार्टी को भारी पड़ सकती है।
नवान्न चलो अभियान से दो खेमों में बंटी नजर आई
इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले सप्ताह गुरुवार को भाजयुमो के नवान्न चलो (राज्य सचिवालय) अभियान के दौरान भी पार्टी दो खेमों में बंटी नजर आई। इस दौरान कुछ ऐसा नजारा दिखा जिसमें लग रहा था कि मुकुल अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। कोलकाता हो या हावड़ा भाजपा के विरोध जुलूस के दौरान मुकुलमय नजर आ रहा था।
मुकुल खेमा भारी दिखा और घोष अलग-थलग दिखे
इस दौरान चार अलग-अलग जुलूस निकाला गया था जिसमें मुकुल खेमा भारी दिखा और दिलीप घोष अलग-थलग दिखे। यहां तक कि बैरकपुर से भाजपा के सांसद अर्जुन सिंह जिनका प्रदेश भाजपा मुख्यालय से दिलीप घोष के साथ विरोध जुलूस में शामिल होने की बात थी, लेकिन वह अपने समर्थकों के साथ हेस्टिंग्स पहुंच गए।
मुकुल राय के नेतृत्व में विरोध जुलूस में भाग लिया
यहां उन्होंने मुकुल राय के नेतृत्व में विरोध जुलूस में हिस्सा लिया। यही नहीं प्रदेश भाजपा के हाल में उपाध्यक्ष बनाए गए शंकुदेब पांडा, सचिव सब्यसाची दत्ता सहित पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, सह प्रभारी अरविंद मेनन सहित कई और सांसद व नेता मुकुल के साथ ही दिखे।
गुटबाजी दूर करने पर ध्यान न दिया तो खामियाजा
दूसरी तरफ हावड़ा ब्रिज के पास से विरोध जुलूस का नेतृत्व करने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ कोई भी वरिष्ठ नेता नजर नहीं आया। ऐसे में साफ है कि यदि चुनाव से पहले केंद्रीय नेतृत्व ने यहां गुटबाजी को दूर करने पर ध्यान नहीं दिया तो चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।