झारखंड के पूर्व सीएम मरांडी का दावा, सीएम के अधीनस्थ विभागों में 5000 करोड़ का घोटाला
झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री के अधीनस्थ विभागों में 5000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है।
रांची, जेएनएन। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री के अधीनस्थ विभागों में 5000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप मढ़ा है। उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति है कि सड़क, ऊर्जा, भवन, उत्पाद, उद्योग, खान जैसे महत्वपूर्ण विभाग उन्होंने अपने पास रखा है। संबंधित विभागों में डीपीआर, प्राक्कलन, टेंडर से लेकर हर स्तर पर घोटाला हुआ है, जिसका परत-दर-परत खुलासा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि घोटालेबाजों ने हाईकोर्ट तक को नहीं बख्शा।
हाईकोर्ट के निर्माणाधीन भवन में भी बड़ा घोटाला हुआ है, जिसे भवन निर्माण विभाग ने भी स्वीकारा है। उन्होंने इस मामले की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई अथवा किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। मरांडी सोमवार को पत्रकारों से मुखातिब थे। हाईकोर्ट के निर्माणाधीन भवन का हवाला देते हुए मरांडी ने कहा कि भवन निर्माण के लिए 366 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई, जबकि टेंडर हुआ 267 करोड़ रुपये का। 264 करोड़ रुपये में टेंडर फाइनल हुआ। अंत में व्यय 697 करोड़ पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस विभाग के मंत्री है, फिर इस तरह की गड़बड़ियां उनके संज्ञान में न हों, ऐसा संभव नहीं है।
स्वयं विभागीय सचिव ने यह स्वीकारा है कि उनके विभाग में मानकों का अनुपालन नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए जो समिति बनाई गई है, उनमें स्वयं भवन निर्माण विभाग के सचिव तो हैं ही, उनके साथ-साथ अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रधान सचिव विधि, सचिव पथ और सचिव सूचना, प्रौद्योगिकी एवं ई-गवर्नेस विभाग है। बाबूलाल ने प्रेस क्लब का हवाला देते हुए कहा कि जब इसका प्राक्कलन 30 लाख से ज्यादा हो गया तो इसका दोबारा टेंडर हुआ, फिर हाईकोर्ट मामले में सरकार चुप क्यों है। इस मामले में अबतक कार्रवाई क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि झारखंड में लूट तंत्र मचा है, झाविमो इस मसले पर चुप बैठने वाला नहीं है। सरकार विकास का दावा कर रही है, जबकि राज्य में अगर किसी चीज का विकास हुआ है तो वह भ्रष्टाचार है।
सरकार के साढ़े तीन-चार साल की गड़बड़ियां अब उजागर होने लगी हैं। कांग्रेस का आरोप, सरकार की शह पर 1365 करोड़ का खनन घोटाला
कांग्रेस ने सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की। प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने खनन घोटाले की आड़ में सीधे मुख्यमंत्री और सीएमओ पर आरोप लगाए। उन्होंने महाधिवक्ता को भी निशाने पर लिया। आरोप लगाया कि शाह ब्रदर्स को खनन लीज मामले में सरकार ने 1365 करोड़ का घोटाला किया। वे इस बारे में एंटी करप्शन ब्यूरो में मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराएंगे। इसके अलावा वे हाई कोर्ट की शरण में भी जाएंगे। सीबीआइ जांच की मांग से उन्होंने यह कहते हुए इन्कार किया कि इस केंद्रीय जांच एजेंसी की अब कोई प्रमाणिकता नहीं रही। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया प्रभारी राजेश ठाकुर समेत प्रवक्ताओं की पूरी टीम की मौजूदगी में डॉ. अजय कुमार ने घेराबंदी की। कहा कि शाह ब्रदर्स की खनन लीज अवैध घोषित कर दी गई थी। लेकिन सरकार के स्तर से इस मामले में जान-बूझकर ढिलाई बरती गई। दावा किया कि आकाओं के इशारे पर चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी ने जहां 1365 करोड़ के जुर्माने को 250 करोड़ करने की अनुशंसा की। वहीं महाधिवक्ता ने अपर महाधिवक्ता के पद पर रहते हाई कोर्ट को यह भ्रामक सूचना दी कि सरकार ने किस्तों में जुर्माना चुकाने पर सहमति दे दी है। वे इस मामले में हाई कोर्ट में केस दायर करेंगे। इसके अलावा वे एंटी करप्शन ब्यूरो में भी एफआइआर दर्ज कराएंगे। उठाया सवाल, मंत्री के आरोपों की अनदेखी की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने मंत्री सरयू राय का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी इस मामले की ओर सरकार का ध्यान दिलाया था लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कहा कि सरकार की योजना शाह ब्रदर्स को राहत देने की थी जिसने गलत तरीके से खनन किया और सरकार के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई। शाह ब्रदर्स ने पर्यावरण समेत कोई स्वीकृति नहीं ली। बीते चार साल में उसे हर स्तर पर राहत पहुंचाने की कोशिश की गई।
सनसनी फैलाने के लिए बेबुनियाद आरोप लगा रहे अजय
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि वे सनसनी फैलाने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। स्पष्ट कहा कि अजय कुमार के पास जानकारी का अभाव है। काग्रेस के पास अगर कोई विषय नहीं है तो न्यायालय के मामलों में वक्तव्य देने से पहले सचेत रहें। कहा, डॉक्टर अजय पहले भी ऐसी हल्की बातें करते रहे हैं। यह उनकी स्ट्रेटजी का एक हिस्सा रहा है कि वह बिना ठोस सुबूत के साथ सनसनी फैला कर अनर्गल आरोप लगाकर सीन से गायब हो जाते हैं। प्रतुल शाहदेव ने शाह ब्रदर्स के लीज प्रकरण को भी साफ करने की कोशिश की।
कहा, एमएमडीआर एक्ट में किए गए संशोधन एवं खनन न्यायाधिकरण नई दिल्ली के द्वारा पारित आदेश के आलोक में संशोधित प्रावधानों के अनुसार खनन पट्टे धारियों जिसमें शाह ब्रदर्स भी शामिल थी, उनको सिर्फ अवैध खनन के संबंध में खनिज के मूल्य राशि को निर्धारित करने का आदेश था। जिसके अनुसार पूर्व में निर्धारित 1150 करोड़ की राशि को निरस्त करते हुए उसके स्थान पर अवैध खनन का मूल्य 250 करोड़ रुपये निर्धारित हुआ। उपरोक्त कार्रवाई संबंधित कानून, सर्वोच्च न्यायालय एवं खनन न्यायाधिकरण, नई दिल्ली के आदेशों के आधार पर हुई ना की किसी की मिलीभगत अथवा फायदा पहुंचाने की नियत से।