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Laxmi Vilas Palace Case: लक्ष्मी विलास पैलेस के मामले में अरुण शौरी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक

Arun Shourie उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस को औने पौने दामों में बेचकर सरकार को करोड़ों रुपये के चपत लगाने के मामले में सीबीआइ कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी को भी हाईकोर्ट से राहत मिल गई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 04:52 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 05:40 PM (IST)
Laxmi Vilas Palace Case: लक्ष्मी विलास पैलेस के मामले में अरुण शौरी की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक
लक्ष्मी विलास पैलेस के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिल गई है।

जोधपुर, संवाद सूत्र। Arun Shourie: राजस्थान में उदयपुर की लक्ष्मी विलास पैलेस को औने पौने दामों में बेचकर सरकार को करोड़ों रुपये के चपत लगाने के मामले में सीबीआइ कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी को भी हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। सीबीआइ कोर्ट ने पूर्व मंत्री के गिरफ्तारी के आदेश दिए थे, जिस पर हाईकोर्ट जस्टिस दिनेश मेहता ने इनके विरुद्ध जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट पर रोक लगा दी है। मामले में एक अन्य आरोपित कांतिलाल कर्मसे को भी राजस्थान हाईकोर्ट से राहत मिली है। राजस्थान हाईकोर्ट ने इनको सीबीआइ कोर्ट जोधपुर के समक्ष पेश होने और जमानत मुचलके पेश करने को कहा है। सीबीआइ कोर्ट से जारी गिरफ्तारी वारंट को हाईकोर्ट ने जमानती वारंट में तब्दील किया है। मामले से जुड़े तीन आरोपितों को भी एक दिन पहले ही हाईकोर्ट से राहत मिली है।

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अरुण शौरी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण व अधिवक्ता प्रदीप शाह व कर्मसे की ओर से हाईकोर्ट की अधिवक्ता वंदना भंसाली व मुक्तेश माहेश्वरी ने सीबीआइ कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। गिरफ्तारी वारंट न्यायोचित नहीं बताते हुए भूषण ने कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री व प्रतिष्ठित वरिष्ठ नागरिक है। सीबीआइ पूर्व में दो बार इस मामले में तथ्य नहीं होना बताकर केस बंद करने के लिए क्लोजर रिपोर्ट पेश कर चुकी थी, फिर भी अधीनस्थ कोर्ट क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर प्रसंज्ञान ले लिया। वकीलों का ये तर्क था कि मामले में कहीं ऐसी कोई परिस्थिति नहीं थी कि कोर्ट को सख्त तरीका अपनाने हुए गिरफ्तारी का आदेश देने पड़े।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शौरी ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखा और कोर्ट से आग्रह किया कि उनकी पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए उन्हें निर्धारित तारीख आठ अक्टूबर की बजाय 15 अक्टूबर तक कभी भी सीबीआइ कोर्ट के समक्ष पेश होने की छूट दी जाए, जिसे कोर्ट ने मान लिया। शौरी ने भरोसा दिलाया है कि वे न्यायिक कार्यवाही में पूरा सहयोग करेंगे। कोर्ट ने शौरी व कर्मसे के विरुद्ध सीबीआइ कोर्ट द्वारा जारी किए गए गैर जमानती वारंट पर रोक लगाते हुए उसे जमानती वारंट में तब्दील करने के निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने पांच लाख के निजी मुचलके के साथ ढाई-ढाई लाख के जमानती मुचलके भरने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने शौरी व कर्मसे को निजी मुचलका तथा दो गवाहों के मुचलके पेश करने के आदेश दिए हैं। शौरी व कर्मसे को कोर्ट की अनुमति के बिना देश को छोड़कर नहीं जाने के भी निर्देश दिए हैं। केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है। शौरी व कर्मसे के स्थगन प्रार्थना पत्र पर अब ज्योत्सना सूरी, प्रदीप बैजल व आशीष गुहा की याचिकाओं के साथ ही 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी। सीबीआइ कोर्ट ने 18 साल पूर्व हुए लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश में सरकार को 244 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के मामले में गत 15 सितंबर को प्रसंज्ञान लेते हुए पूर्व विनिवेश मंत्री अरुण शौरी समेत पांच अन्य के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने तथा गिरफ्तारी वारंट से तलब किया था। अब इस मामले से जुड़े सभी आरोपितों के मामले में 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी। 


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