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West Bengal: अपने नेता-मंत्रियों के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने को ममता कर रही हैं सीएए-एनपीआर का विरोध: अनुराग

Anurag Thakur In Kolkata. अनुराग ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए जनता को बेवकूफ बना रही हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 07:14 PM (IST)
West Bengal: अपने नेता-मंत्रियों के भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने को ममता कर रही हैं सीएए-एनपीआर का विरोध: अनुराग

कोलकाता, जागरण संवाददाता। Anurag Thakur In Kolkata. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध को निराधार करार देते हुए केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस कानून में कही भी किसी की नागरिकता छीनने का कोई जिक्र नहीं है, बल्कि हम पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताड़ित हो रहे हिंदुओं, जैनियों, बुद्धिस्टों, सिखों और पारसियों को नागरिकता देना चाहते हैं, जिसका सभी को स्वागत करना चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सियासी लाभ हासिल करने को यहां की जनता को बरगला रही हैं, जो लोग इस देश के नागरिक हैं उन्हें कोई भी यहां से बाहर नहीं निकाल सकता है।

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ममता द्वारा एनपीआर के विरोध पर उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं हो रहा है। अगर हाल ही में देखा जाए तो साल 2010-11 में यूपीए की सरकार इसे लेकर आई थी। अगर उस समय मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और ममता बनर्जी ने इसका विरोध नहीं किया तो आज इसका विरोध करने का महज एक वजह दिख रहा है और वह है सियासी लाभ हासिल करने को जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है। किसी समय कांग्रेस और वामपंथियों ने ही पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में प्रताडि़त हो रहे हिंदुओं, जैनियों, बुद्धिस्टों, सिखों और पारसियों को नागरिकता देने की वकालत की थी, लेकिन आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके लिए विशेष तौर पर कानून बनाया तो सभी को इससे परेशानी हो रही है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए जनता को बेवकूफ बना रही हैं, ताकि तृणमूल के नेताओं पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से जनता का ध्यान हटाया जा सके। उन्होंने कहा कि ममता जिस प्रकार से नागरिकता संशोधन कानून व एनपीआर का विरोध कर रही हैं उससे तो यही प्रतीत होता है कि वे नहीं चाहती हैं कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लाखों उन हिंदुओं, जैनियों, बुद्धिस्टों, सिखों और पारसियों को नागरिकता दी जाए, जिनकी मां-बहनों के साथ हर रोज वहां गलत हो रहा है। साथ ही, उन्होंने कहा कि क्या भारत की सरकार को यह जानने का अधिकार नहीं है कि इस देश में कौन आ जा रहा है। खैर, तुष्टिकरण की सियासत करने वाले कई नेताओं का आज चेहरा बेनकाब हो चुका है और जल्द ही जनता इन्हें जवाब देगी। हालांकि, इस दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के गोली मारने वाले बयान पर सवाल किए जाने पर केंद्रीय मंत्री ने खामोशी साध ली।

ईस्ट लुक नहीं ईस्ट एक्ट पर दिया जोर : अनुराग ठाकुर

बजट से पहले कोलकाता पहुंचे केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर ने मौजूदा वित्तीय संकट व व्यापारी वर्ग को पेश आ रही तमाम समस्याओं के समाधान को उनसे राय मांगी। साथ ही कहा कि पहले की सरकारें केवल 'ईस्ट लुक नीति' पर चर्चाएं किया करती थीं, लेकिन हम 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के साथ पूर्वी भारत के विकास को अग्रसर हैं। इसके लिए हमने कई बड़े और कड़े निर्णय भी लिए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योगपतियों संग मुलाकात कर मौजूदा आर्थिक समस्याओं पर उनसे बातचीत करने के साथ ही उनके सुझाव पर गौर करने का निर्णय लिया है।

हम देश की जनता से सुझाव ले भविष्य की बेहतरी को काम करने में विश्वास करते हैं और जहां तक बात मेरे मंत्रालय का है तो देश के हर नागरिक के लिए नार्थ ब्लॉक स्थित मेरा कार्यालय हमेशा खुला है। केंद्रीय मंत्री ने उक्त बातें मचर्ेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स, कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स, डीटीपीए और एसीएई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक विशेष परिचर्चा सत्र को संबोधित करने के दौरान कही। आगे उन्होंने कहा कि नोटबंदी का विरोध करने वालों को गौर करना चाहिए कि हमारे इस निर्णय से पहले सात करोड़ लोग नियमित कर दिया करते थे, लेकिन इस फैसले के बाद आज 11.5 करोड़ लोग नियमित कर भुगतान कर देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। यह हमारी उपलब्धि है, क्योंकि हमने लोगों को ईमानदार बनाया है। ऐसे में इतना ही कहूंगा कि ईमानदारी से बैर नहीं और बेईमानों की खैर नहीं।

ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश को अगले पांच साल में पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी यानी पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने को देश के हर नागरिक को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी, तभी हम इस लक्ष्य को हासिल कर सकेंगे। वहीं देश की बैंकिंग सेक्टर पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र में हमारी सरकार आने से पहले बैंकों ने करीब 58 लाख करोड़ रुपये बांट दिए थे, लेकिन हमने एनपीए को स्वच्छ करने के साथ ही दस सरकारी बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाए, ताकि आर्थिक मोर्चे पर देश को मजबूत बनाया जा सके। वहीं सत्र की शुरुआत एमसीसीआइ के अध्यक्ष विवेक गुप्ता के स्वागत भाषण के साथ हुआ तो बीसीसी के अध्यक्ष रमेश कुमार सरावगी, सीसीसी के अध्यक्ष माधव सुरेखा, एसीएई के अध्यक्ष जितेंद्र लोहिया और डीटीपीए के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार गोयल ने भी अपनी बातें रखी।

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