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Diya Kumari: राजस्थान भाजपा में आगे बढ़ता एक और राजसी चेहरा, दीया कुमारी को पार्टी दे रही महत्व

Diya Kumari दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं। वे जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह की इकलौती संतान हैं। जयपुर राजपरिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 05:19 PM (IST)
Diya Kumari: राजस्थान भाजपा में आगे बढ़ता एक और राजसी चेहरा, दीया कुमारी को पार्टी दे रही महत्व
Diya Kumari: राजस्थान भाजपा में आगे बढ़ता एक और राजसी चेहरा, दीया कुमारी को पार्टी दे रही महत्व

मनीष गोधा, जयपुर। Diya Kumari: राजस्थान की राजनीति में राजपरिवारों से जुड़े चेहरों का अलग ही महत्व रहा है। राजपरिवारों से जुड़े लोग यहां सांसद, विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक बने हैं। इसी कड़ी में अब एक नया नाम राजसमंद से भाजपा सांसद दीया कुमारी का आगे आ रहा है। दीया कुमारी पहले विधायक थी, अब सांसद बन गई है। पार्टी संगठन में वे पहले प्रदेश मंत्री थी और हाल में प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। पार्टी में उनका बढ़ता कद राजस्थान भाजपा में आने वाले समय में नए समीकरणों की ओर संकेत कर रहा है। यहां तक माना जा रहा है कि पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में उन्हें आगे बढ़ा सकती है। हालांकि खुद दीया कुमारी ऐसी चर्चाओं को सही नहीं मानती है।

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दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य हैं। वे जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह की इकलौती संतान हैं। जयपुर राजपरिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा है। राजमाता गायत्री देवी स्वतंत्र पार्टी से जयपुर की तीन बार सांसद रही है। वहीं, दीया कुमारी के पिता भवानी सिंह ने भी जयपुर से कांग्रेस के टिकट पर सांसद का चुनाव लडा था, लेकिन हार गए थे। दीया कुमारी का राजनीति में प्रवेश 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले हुआ था। सितंबर 2013 में वसुंधरा राजे की चुनावी यात्रा की आखिरी बड़ी रैली जयपुर में हुई थी। इस रैली को गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था और इसी रैली में दीया कुमारी का राजनीति में प्रवेश हुआ था। वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी।

सदस्यता दिलाने के साथ ही उन्हें सवाई माधोपुर से भाजपा का टिकट दिया गया और वे किरोडीलाल मीणा जैसे बड़े जनाधार वाले नेता को हरा कर पहली बार में ही विधायक बन गईं। उनका कार्यकाल अच्छा रहा। लेकिन भाजपा सरकार के दौरान ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उनके संबंध सहज नहीं रह गए। राजपरिवार की संपत्ति पर सरकार के कब्जे के विरोध में जयपुर में राजपूत समाज का एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। बाद में जब विधानसभा टिकट का समय आया तो उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया। बाद में उन्हें 201 9 के लोकसभा चुनाव में राजसमंद से टिकट दिया गया। यह उनके लिए बिल्कुल नया क्षेत्र था। राजसमंद देश के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्रों में से एक है और दीया कुमारी को अपने प्रचार के लिए मुश्किल से बीस दिन का समय मिला था क्योंकि उनका टिकट काफी अंत में घोषित किया गया था। इसके बावजूद उन्होंने यहां से बड़ी जीत हासिल की।

पहली बार में विधायक और दूसरी बार क्षेत्र बदलने के बावजूद सांसद के चुनाव में बड़ी जीत के कारण अब दीया कुमारी को राजस्थान भाजपा की राजनीति के बड़े चेहरों मे गिना जाने लगा है। पार्टी संगठन में भी वे काफी समय से हैं। प्रदेश की पिछली कार्यकारिणी में वे प्रदेश मंत्री रहीं। अब प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की हाल में घोषित कार्यकारिणी में उन्हें प्रदेश महामंत्री बनाया गया है। इस तरह जनप्रतिनिधि और संगठन दोनों ही जगह उनका कद बढ़ा हैै और इसी के चलते माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें आगे और बड़े चेहरे के रूप में बढ़ाने की इच्छा रखती है। पार्टी सूत्रों की मानें तो दीया कुमारी स्थानीय स्तर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ाव रखती हैं और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में भी उनकी पैठ ठीकठाक है। लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदेश प्रभारी रहे केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर उनके खैरख्वाहों में माने जाते हैं।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान भाजपा की मौजूदा राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा रा जे का महत्व कम होता दिख रहा है। पार्टी की नई प्रदेश कार्यकारिणी में भी इसके संकेत मिले हैं और अब पार्टी नए संभावनाशील चेहरों की तलाश में है। दीया कुमारी उनमें सेे एक चेहरा हो सकती है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि राजपरिवार से तो उनका जुड़ाव है ही, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दो बडे और कठिन चु नावों में जीत हासिल की है। इसके अलावा पार्टी की गतिविधियों में लगातार सक्रिय हैं तथा सोशल मीडिया पर भी उनकी उपस्थिति लगातार बनी रहती है। वे हर रोज प्रदेश से जुड़े किसी ने किसी विषय पर बयान जारी करती रहती है। जातिगत लिहाज से देखा जाए तो राजपूत समाज उन्हें अच्छी तरह जानता है और राजपूत भाजपा के कोर वोट बैंकों में गिने जाते है।

मैं अभी बहुत जूनियर हूं

मंगलवार को दीया कुमारी पार्टी मुख्यालय पर अपना नया पदभार ग्रहण करने गई तो उन्होंने मीडिया से बातचीत में खुद को वसुंधरा के विकल्प के रूप में माने जाने की चर्चाओं को गलत बताया और कहा कि मैं अभी बहुत जूनियर हूं और मुझे बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे बहुत सीनियर नेता हैं। पार्टी में उनका जो स्तर और पोजिशन है, उसका कोई मुकाबला नहीं है। वे ही मुझे पार्टी में लेकर आई और प्रदेश मंत्री बनवाया। मैं उनका बहुत सम्मान करती हूं। ऐसे में इस तरह की चर्चाओं का कोई अर्थ नहीं है। 


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