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आजम खां को एक और बड़ा झटका : उनके कार्यकाल की 1188 और भर्तियां रद, एसआइटी जांच में मिली गड़बड़ी

आजम खां के नगर विकास मंत्री के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश जल निगम में 853 जूनियर इंजीनियर व 335 लिपिकों की हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 09:56 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 10:15 AM (IST)
आजम खां को एक और बड़ा झटका : उनके कार्यकाल की 1188 और भर्तियां रद, एसआइटी जांच में मिली गड़बड़ी
आजम खां को एक और बड़ा झटका : उनके कार्यकाल की 1188 और भर्तियां रद, एसआइटी जांच में मिली गड़बड़ी

लखनऊ, जेएनएन। मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खास सिपहसलार आजम खां को लगातार झटके लग रहे हैं। अखिलेश यादव सरकार में हुई जल निगम भर्ती घोटाले की जांच कर रही एसआईटी ने आजम खां को दोषी माना है। 

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रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां के नगर विकास मंत्री के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश जल निगम में 853 जूनियर इंजीनियर व 335 लिपिकों की हुई भर्तियों को निरस्त कर दिया गया है। इससे पहले 122 सहायक अभियंताओं की भर्तियां को निरस्त किया गया था। एसआइटी जांच में भर्तियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाए जाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार देर रात भर्ती निरस्त करने संबंधी आदेश को जारी कर दिया। आजम खां पर आरोप है कि 122 सहायक अभियंता, 853 अवर अभियंता समेत कुल 1300 पद थे, जिनकी भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई। आजम खां पर खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 2016-17 में जल निगम के भर्ती बोर्ड का चेयरमैन रहते 1300 पदों पर भर्ती में गड़बड़ी की थी। जांच के बाद मामला सामने आने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने जेई और क्लर्क की भर्तियों को रद कर दिया था।

प्रदेश में 18 जून 2016 को जल निगम ने लिपिक व आशुलिपिक के पदों पर सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया। जिसके अनुसार 335 लिपिक व 63 आशुलिपिक पदों पर लिखित परीक्षा क्रमश: गत पांच से सात अगस्त 2016 के मध्य मुबंई की मेसर्स एपटैक कंपनी ने आयोजित की थी। कम्प्यूटर बेस्ड डाटा मेंं सामान्य रूप के परीक्षा के तुरंत बाद आंसर सीट को वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है ताकि अभ्यर्थी अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर सकें, परंतु लिखित परीक्षा के बाद वेबसाइट पर आंसर सीट को अपलोड नहीं किया गया। जिसके कारण अभ्यर्थियों से आपत्तियां प्राप्त नहीं की जा सकी। इसके साथ साक्षात्कार के लिए अभ्यर्थियों की सूची जल निगम को उपलब्ध करा दी गई थी। निगम ने भी आंसर सीट अपलोड न कराने का संज्ञान नहीं लिया। अंतिम परिणाम 24 दिसंबर 2016 को जारी किया गया, जिसमें आशुलिपिक पदों के लिए टाइप परीक्षा में कोई अभ्यर्थी सफल नहीं होने के कारण परीक्षा निरस्त करने का निर्णय लिया गया था। इस मामले में पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खां के साथ नगर विकास सचिव रहे एसपी सिंह, जल निगम के पूर्व एमडी पीके आसुदानी, जल निगम के तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल खरे के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। एसआईटी सभी अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। अब एसआईटी की जांच प्रकिया पूरी हो चुकी है, जिसमें आजम खां को दोषी माना गया है। एसआईटी की जांच में भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण पाई गई है। एसआईटी ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी दी है।

जल निगम के लिपिकों के अलावा सहायक अभियंता व अवर अभियंता के पदों पर भी एपटेक लिमिटेड मुंबई ने ही परीक्षा आयोजित की। इसमें असफल अभ्यर्थियों ने परीक्षा प्रणाली पारदर्शी न होने की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट में की थी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश में निगम के मुुख्य अभियंता स्तर के दो अधिकारियों से अलग-अलग जांच कराई गई। एसआइटी को भी पूरे मामले की जांच सौंपी गई। जांच में भर्तियों में गड़बड़ी मिली है। हाल ही में एसआइटी की शासन को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भर्तियां में आपराधिक षडय़ंत्र कर संबंधित रिकार्ड को नष्ट कर दिया गया है।

रिपोर्ट मेंं कहा गया है कि इस दोषपूर्ण परीक्षा में जो अभ्यर्थी सफल या असफल हुए उनको प्रमाणिक नहीं माना जा सकता है। मूल डाटा गायब होने से दोनों श्रेणी के अभ्यर्थियों को अलग अलग करना भी संभव नहीं है। ऐसे मेंं उक्त नियुक्तियों को 24 दिसंबर 2016 के प्रस्ताव से निरस्त कर शून्य घोषित किया गया है। आदेश में कहा गया है कि इनको अब तक प्राप्त हुए वेतन भत्ते आदि की वसूली नहीं की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में गड़बड़ी पाए जाने पर 122 सहायक अभियंताओं की भर्तियां पहले ही निरस्त की जा चुकी हैैं। भर्तियों को लेकर भी तत्कालीन नगर विकास मंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ सकती हैैं। 


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