झारखंड कांग्रेस में सीजफायर: कांग्रेसियों में फौरी सुलह, चुनाव तक न भिड़ेंगे न बयानबाजी करेंगे
शनिवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में भाग लेने झारखंड के 36 नेता दिल्ली पहुंचे हैं। शुरुआती तौर इसके लिए वरीय नेताओं ने संदेश दिया कि टीम बदलने से चुनाव पूर्व कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। प्रदेश कांग्रेस का अंतर्कलह समाप्त हो या न हो, लेकिन फिलहाल विरोध और बयानबाजी का दौर जरूर खत्म होगा। नई दिल्ली में शनिवार को अलग-अलग धड़े के नेताओं से रायशुमारी में यह हिदायत दी गई। आलाकमान के निर्देश के बाद पार्टी के केंद्रीय स्तर के वरीय नेताओं ने दोनों गुटों को एक-दूसरे का खुलेआम विरोध न करने और पब्लिक फोरम पर बयानबाजी बंद करने के लिए तैयार कर लिया है। तय किया गया है कि चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस की पूरी टीम अलग-अलग ही सही लेकिन एक उद्देश्य से फील्ड में मूव करेगी।
झारखंड में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व परिवर्तन की बातों को फिलहाल नकार रहा है। इस बात की पूरी संभावना है कि चुनाव तक झारखंड कांग्रेस की टीम जस की तस बनी रहे। वैसे 11 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में इसपर अंतिम फैसला होगा। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार पहले ही इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं।
शनिवार को नई दिल्ली में झारखंड प्रदेश कांग्रेस की दो राउंड बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय महामंत्री केसी वेणुगोपाल, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह, सह प्रभारी उमंग सिंघार मौजूद थे। बैठक में सभी वरीय नेताओं से उनकी राय मांगी गई और साफ तौर पर कहा गया कि अभी सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी बंद करनी होगी। इसके लिए दोनों गुट के सीनियर नेता लगभग तैयार हो गए हैं। तीनों शीर्ष नेताओं ने अपनी रिपोर्ट शाम 6.30 बजे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी।
बैठक में नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस व अगस्त क्रांति दिवस तथा 20 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्मदिवस को मिलजुलकर अच्छे ढंग से मनाने का भी निर्देश दिया गया। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात के लिए भी प्रदेश के नेताओं को तैयार करने में जुटा है कि विधानसभा चुनाव तक किसी प्रकार का परिवर्तन न किया जाए।
मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा से कांग्रेस के बेहतर संबंधों को इसका आधार बताया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, फुरकान अंसारी, ददई दुबे, प्रदीप बलमुचु आदि नेता अपने-अपने स्तर से केंद्रीय नेताओं के संपर्क में हैं और तर्कों के साथ अपनी बात रख रहे हैं।
- दिल्ली में बुलाई गई बैठक में कांग्रेस नेताओं से हुई रायशुमारी, बयानबाजी बंद करने को दोनों गुट राजी
- राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश में बदलाव को लेकर असमंजस में, चुनाव पूर्व गलत संदेश जाने का अंदेशा
- 11 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यसमिति में होगी चर्चा, फिलहाल नहीं बदलाव के आसार
दिल्ली पहुंचने वालों में अजय कुमार के विरोधी अधिक
प्रदेश कांग्रेस के दोनों खेमे अपने-अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में कैंप किए हुए है। हालांकि दिल्ली पहुंचे लोगों में डॉ. अजय कुमार के विरोधी अधिक बताए जा रहे हैं। तमाम वरीय नेता और पूर्व मंत्री इनसे नाराज चल रहे हैं। सुबोधकांत सहाय ने तो मोर्चा खोल ही दिया है, रामेश्वर उरांव, ददई दुबे, राजेंद्र सिंह, प्रदीप बलमुचु आदि पुराने नेता भी डॉ. अजय का विरोध कर रहे हैं। प्रदेश के पांच में से तीन जोनल को-ऑर्डिनेटर भी इनके विरोध में हैं। पुराने नेताओं में सुखदेव भगत, आलमगीर आलम समेत चंद ऐसे नेता भी हैं जो दोनों गुटों से बराबर दूरी बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस की टीम और जिलाध्यक्षों का भारी-भरकम सपोर्ट डॉ. अजय कुमार को है।
गुरुवार को हुई थी दोनों गुटों में भिड़ंत
गुरुवार को सुबोधकांत सहाय गुट के दो नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करने की बात कही थी। दोनों को पूर्व में ही पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था और इस कारण से प्रदेश अध्यक्ष के समर्थकों ने उन्हें कार्यालय परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया। यहां पहली बार प्रदेश अध्यक्ष का गुट मजबूत दिखा। इसके पूर्व दो बार प्रदेश अध्यक्ष की फजीहत सुबोधकांत सहाय के गुट के हाथों हो चुकी थी। दो दिनों पहले तो प्रदेश अध्यक्ष को ऑफिस में प्रवेश करने में भारी मशक्कत करनी पड़ रही थी।
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