Move to Jagran APP

नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में 12 घंटे का बंद, उत्तर बंगाल सीमा पर बढ़ाई गई सुरक्षा

पूर्वोत्तर के प्रवेश कहे जाने बाले उत्तर बंगाल के असम भूटान सीमांत में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में 12 घंटे के बंद ओर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा चाक चौबंद की गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 10:42 AM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 10:42 AM (IST)
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में 12 घंटे का बंद, उत्तर बंगाल सीमा पर बढ़ाई गई सुरक्षा
नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में 12 घंटे का बंद, उत्तर बंगाल सीमा पर बढ़ाई गई सुरक्षा

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। Citizenship Amendment Bill protest: पूर्वोत्तर के प्रवेश कहे जाने बाले उत्तर बंगाल के असम भूटान सीमांत में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर असम में 12 घंटे के बंद ओर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा चाक चौबंद की गई है। बंद का असर सड़क मार्ग पर मंगलबार सुबह से देखने को मिल रहा है।

loksabha election banner

इस बिल के विरोध में सिलीगुडी समेत उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों में टीएमसी, कांग्रेस और माकपा द्वारा पहले से विरोध प्रदर्शन जारी है। सिलीगुडी के माकपा नेता व विधायक अशोक नारायण भट्टाचार्य और दार्जिलिंग जिला टीएमसी अध्यक्ष रंजन सरकार उर्फ राणा का कहना है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक के विरोध में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने इस बिल के खिलाफ 12 घंटे के 'बंद' का आह्वान किया है।

आसू के ऐलान के बाद गुवाहाटी में सुबह से ही दुकानें बंद हैं। इसके अलावा डिब्रूगढ़ में सड़कों पर आगजनी हो रही है। बिल के खिलाफ वामपंथी विचारधारा वाले करीब 16 संगठनों ने भी मंगलवार को 12 घंटे का असम बंद आह्वान किया है। केएमएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने इन संगठनों और छात्र संगठन द्वारा बुलाए गए बंद को अपना समर्थन जताया है। 

केएमएसएस ने सूटिया, मोरान और कोच-राजबंशी जैसे विभिन्न आदिवासी छात्र निकायों ने  असम बंद को भी समर्थन दिया है। एसएफआई, डीवाईएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एसआईएसएफ, आइसा, इप्टा जैसे 16 संगठनों ने संयुक्त बयान में "विधेयक को रद्द करने" की मांग की और मंगलवार को सुबह पांच बजे से "12 घंटे का असम बंद" की घोषणा की है।

पूर्वोत्तर राज्यों के मूल निवासियों को डर है कि इन लोगों के प्रवेश से उनकी पहचान और आजीविका खतरे में पड़ सकती है। गृह मंत्री अमित शाह के मणिपुर को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के दायरे में लाने की बात कहने के बाद राज्य में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे द मणिपुर पीपल अगेंस्ट कैब (मैनपैक) ने सोमवार के अपने बंद को स्थगित करने की घोषणा की। 

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (कैब) में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है। कांग्रेस, एआईयूडीएफ, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, कृषक मुक्ति संग्राम समिति, ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन, खासी स्टूडेंट्स यूनियन और नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे संगठन बंद का समर्थन करने के लिए एनईएसओ के साथ हैं। 

गुवाहाटी विश्वविद्यालय और डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय ने कल होने वाली अपनी सभी परीक्षाएं टाल दी हैं। यह विधेयक अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में लागू नहीं होगा जहां आईएलपी व्यवस्था है इसके साथ ही संविधान की छठी अनुसूची के तहत शासित होने वाले असम, मेघालय और त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्र भी इसके दायरे से बाहर हो गए है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.