येद्दयुरप्पा का शक्ति परीक्षण तय करेगा सियासी समीकरण
पिछले एक डेढ़ महीने में कर्नाटक में जिस तरह चुनाव प्रचार हुआ, जो नतीजा आया और उसके बाद जिस तरह सरकार गठन के लिए कसरत हो रही है, वह अभूतपूर्व है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शनिवार की शाम कर्नाटक विधानसभा में शक्तिपरीक्षण केवल येद्दयुरप्पा या कर्नाटक के लिए नहीं होगा। बड़े मायनों में मतदान का आंकड़ा पूरे देश में भाजपा और विपक्ष की शक्ति तय करेगा। कम से कम सड़क पर।
येद्दयुरप्पा जीते तो विपक्षी एकजुटता को दी जा रही धार एक पल में कुंद हो सकती है। वरना यह मान कर चलना चाहिए कि तीन राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बहुत सतर्क हो जाना चाहिए। चाहे अनचाहे विपक्षी दलों में चुनाव पूर्व गठबंधन की कवायद तेज हो सकती है।
पिछले एक डेढ़ महीने में कर्नाटक में जिस तरह चुनाव प्रचार हुआ, जो नतीजा आया और उसके बाद जिस तरह सरकार गठन के लिए कसरत हो रही है, वह अभूतपूर्व है। जाहिर है कि अगले कुछ वर्षो तक भारतीय राजनीति में कर्नाटक को याद किया जाएगा। येद्दयुरप्पा के शपथग्रहण और शक्ति परीक्षण को लेकर कांग्रेस ने भविष्य की पूरी राजनीति तैयार की है। कर्नाटक में जदएस के बहाने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बसपा को साधने की रणनीति भी तैयार हो गई है।
एक ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हुई है जहां छोटे विपक्षी दल कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार कर मोर्चे में शामिल हो सके। जाहिर है कि इस रणनीति का पूरा दारोमदार येद्दयुरप्पा के शक्ति परीक्षण पर टिका है। चूंकि कोर्ट ने 15 दिन की अवधि को घटाकर 30 घंटे कर दिया है ऐसे में जनता के बीच यह तर्क देना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा कि विधायकों की खरीद फरोख्त हुई है। पर अगर येद्दयुरप्पा विफल रहे तो विपक्षी शोर और बढ़ेगा इसमें शक नहीं। विभिन्न राज्यों में पहले ही बड़े दल को सरकार गठन के लिए बुलाए जाने के लिए मार्च हो रहा है। जनता के बीच तब और मजबूती से यह मुद्दा बिठाने की कोशिश होगी कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।