महिला आरक्षण बिल को लेकर राज्यसभा में सांसदों ने दिखाई एकजुटता
संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने का मुद्दा शुक्रवार को नौ साल बाद राज्यसभा में फिर गूंजा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण देने का मुद्दा शुक्रवार को नौ साल बाद राज्यसभा में फिर गूंजा। इस दौरान सभी राजनीतिक दलों की महिला सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठकर एकजुट होकर सरकार से लोकसभा में लंबित इस विधेयक को पारित कराने की मांग की। इनमें कई ऐसे राजनीतिक दलों की भी महिला सांसद शामिल थी, जिनकी पार्टी पूर्व में इस विधेयक के विरोध में थी। खासबात यह है कि राज्यसभा में यह विधेयक 2010 में पारित हो चुका है और यह तभी से लोकसभा में लंबित है।
महिलाओं को आरक्षण देने वाले इस संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक को लेकर राज्यसभा की 11 महिला सदस्यों ने गुरूवार को सभापति वैंकेया नायडू से मिलकर चर्चा कराने की मांग की थी। इसमें सपा और आरजेडी जैसे राजनीतिक दलों की महिला सांसद भी शामिल थी।
शुक्रवार को शून्यकाल में सभापति ने महिला सांसदों की मांग पर चर्चा कराने की अनुमति दी। इस बीच ज्यादातर महिला सांसदों की एक ही मांग थी, लोकसभा में लंबित महिला आरक्षण बिल को तुरंत पारित कराया जाए। वैसे भी लोकसभा में सरकार का बहुमत होता है और उसकी जिम्मेदारी है कि वह इसे पारित कराए।
राज्यसभा में महिला आरक्षण पर हुई इस चर्चा की शुरूआत समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने की। उन्होंने साफ किया कि महिला आरक्षण को लेकर उनकी पार्टी विरोध में नहीं है। लेकिन वह यह चाहती है कि संसद और विधानसभाओं में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए एससी-एसटी और ओबीसी की महिलाओं को भी आरक्षण में भागीदारी दी जाए।
उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि आने वाले दिनों में उनकी पार्टी में महिला सांसदों की संख्या में इजाफा दिखेगा। चर्चा में भाजपा की ओर से संपतिया उइके ने हिस्सा लिया। विधेयक का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने शुरू से ही महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने की पक्षधर रही है। संगठन में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का भी काम किया है। इसके उदाहरण मौजूदा समय में छह राज्यों में महिला राज्यपाल की नियुक्ति है, जिसमें एक अनुसूचित जाति से भी सबंधित है।
कांग्रेस ने भी इस दौरान महिला आरक्षण का समर्थन किया। पार्टी की वरिष्ठ महिला सांसद विप्लव ठाकुर ने कहा कि देश की महिलाएं अब कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहती है। ऐसे में उन्हें सियासत में भी भागीदारी दी जाए। चर्चा में तृणमूल, डीएमके और अन्नाद्रमुक आदि दलों की महिला सासंदों ने भी हिस्सा लिया।