Move to Jagran APP

Analysis : विपक्षी दलों का कोई वैचारिक आधार और आपसी सामंजस्य ना होने से ढहा विपक्षी मोर्चा

विपक्षी दलों के नेताओं ने मोदी को लेकर चौतरफा सही-गलत आरोपों की झड़ी लगा दी और जनता को उनके विरोध में उकसाते रहने की भरपूर कोशिश की।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 10:52 AM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 10:52 AM (IST)
Analysis : विपक्षी दलों का कोई वैचारिक आधार और आपसी सामंजस्य ना होने से ढहा विपक्षी मोर्चा
Analysis : विपक्षी दलों का कोई वैचारिक आधार और आपसी सामंजस्य ना होने से ढहा विपक्षी मोर्चा

गिरीश्वर मिश्र। लोकसभा चुनाव के नतीजे यही कहते हैं कि जनता ने अप्रत्याशित रूप से भाजपा के नेतृत्व में अपना अपार विश्वास प्रकट किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अथक परिश्रम से बड़े पैमाने पर जनता से संपर्क साधा और अपनी अनोखी शैली में संवाद करते हुए जन-जन तक बात पहुंचाई। विपक्षी दलों के नेताओं ने मोदी को लेकर चौतरफा सही-गलत आरोपों की झड़ी लगा दी और जनता को उनके विरोध में उकसाते रहने की भरपूर कोशिश की। मोदी और उनके नेतृत्व वाली सरकार दोनों को ही बार-बार कटघरे में खड़ा किया जाता रहा।

loksabha election banner

मोदी की लोकप्रियता को आघात पहुंचाने के लिए विपक्षी नेताओं ने कभी-कभी तो उन पर बेतुके आरोप लगाए। प्रधानमंत्री के लिए अशोभनीय नारे मंच से लगातार लगवाए जाते रहे। मजे की बात यह कि अशिष्ट व्यवहार और अपशब्द का उपयोग करते हुए सारी मर्यादाओं को वे लोग तोड़ रहे थे जिन पर स्वयं बहुत सारे गंभीर आरोप लगे हुए हैं और जिनकी मौकापरस्ती जगजाहिर है।

यह भी उल्लेखनीय है कि सारे विरोधी भी एक दूसरे के प्रति असंतुष्ट थे। वे न केवल आपस में विरोध कर रहे थे, बल्कि चुनाव में एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी भी खड़े किए। उन्होंने साफ-साफ कह दिया था कि उनका साथ या ‘विपक्षी एकता’ सिर्फ मोदी-विरोध के लिए थी। इन सब स्थितियों के पीछे का विलक्षण राजनीतिक तर्क किसी के भी पल्ले नहीं पड़ रहा था। उनकी चालें समझ से परे थीं और वक्तव्य हास्यास्पद होते गए और साख घटती गई।

जनता ने इस सत्ताकामी प्रकट अंतर्विरोध को अच्छी तरह से ताड़ लिया था और विपक्ष के साथ उनकी बची-खुची सहानुभूति भी जाती रही। चूंकि मीडिया के जरिये तत्काल सब कुछ सब तक पहुंचता रहा इसलिए लोगों ने भावनात्मक रूप से आहत महसूस किया। बहुतों ने उस अभद्र आचरण को जिससे मोदी से अधिक देश के प्रतीक प्रधानमंत्री का अपमान हो रहा था, देखा समझा। उसे अपना और अपने देश का अपमान माना। ऐसे में इन नेताओं का तमाशा देखने तो लोग आते रहे और मोदी-विरोधी नेताओं को गलतफहमी भी होती रही। विरोध की धार कुंद पड़ती गई और उनका जनाधार घटता चला गया। विपक्ष की करारी हार को रेखांकित करने वाले नतीजे बताते हैं कि यह प्रवृत्ति लगभग पूरे देश में परिलक्षित हुई है।

चुनाव परिणाम निश्चित रूप से मोदी की कड़ी मेहनत को इंगित कर रहे हैं। एक साधारण प्रचारक के रूप में सामाजिक जीवन का आरंभ करने वाले नरेंद्र मोदी ने लंबी अवधि तक भारतीय समाज और उसके मन को करीब से देखा और जिया है। यह अनुभव आज भी उन्हें समाज के साथ सरलता से जुड़ने का अवसर मुहैया कराता है। इसे वह भूलते नहीं हैं और जब भी अवसर मिलता है उसका लाभ उठाते हैं। उन्होंने पिछले पांच वर्षों में जिस तरह से जनसंपर्क किया उसका कोई जबाव नहीं है। प्रधानमंत्री के दायित्व के साथ नियमित रूप से वह ‘मन की बात’ लोगों तक पहुंचाते रहे। उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सारी योजनाएं समाज के हाशिए के लोगों की जीवनशैली को सुधारने से जुड़ी रहीं।

शौचालय बनवाने, गैस सिलिंडर देने, गरीबों का बैंक खाता खुलवाने, किसान सम्मान योजना, उद्यमों के आरंभ का अवसर बढ़ाने, सड़क आदि आधारभूत संरचनाओं को पुष्ट करने, नोटबंदी व जीएसटी शुरू करने जैसी अनेक पहलें जमीनी हकीकत को बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण रही हैं। मोदी ने सबको साथ ले कर देश के विकास के लिए प्रतिबद्धता दिखाई। मोदी के कार्य विपक्षियों के आधारहीन नारों और आरोपों को खारिज करने के लिए काफी थे।

मोदी विरोधियों के पास नारों के अलावे कुछ खास नहीं था। मोदी की कार्यशैली में जहां जनसाधारण से जुड़ते रहने का अवसर था, वहीं देश के गौरव को प्रतिष्ठित करने की कोशिश भी झलकती रही। आत्मविश्वास से भरे हुए मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी बड़े राष्ट्रों के साथ संवाद स्थापित करने का सतत प्रयास किया। समाज की आकांक्षा होती है कि उसकी पहचान को दुनिया में आदर मिले।

मोदी ने इस दिशा में कार्य किया। मोदी ने इस बार राजनीतिक दृष्टि से एक नायक के रूप में अपना स्थान बनाया है। उन्होंने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व की स्वीकार्यता को प्रमाणित किया है। प्रबल जनादेश के साथ सत्ता में वापसी करने वाले इस नायक के साथ देश की अनेक महत्वाकांक्षाएं भी जुड़ी हुई हैं। सरकार बनाने के लिए जनता वोट देती है और आशा करती है कि सरकार उसकी जरूरतों को समझेगी और ऐसी नीतियों को लागू करेगी जिससे सबका भला हो। आशा है दूसरी पारी में मोदी इस दिशा में आगे बढ़ेंगे।

(लेखक शिक्षाविद् एवं पूर्व कुलपति हैं)

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.