'आपातकाल' से अवगत होगी भावी पीढ़ी, सिलेबस में जुड़ेगा काला अध्याय: जावड़ेकर
भावी पीढ़ी को ‘आपातकाल’ से अवगत कराने को लेकर मानव संसाधन मंत्री जावड़ेकर ने कहा है कि सिलेबस में इस घटनाक्रम को जोड़ा जाए।
नई दिल्ली (एएनआइ)। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को पाठ्यक्रम में आपातकाल का अध्याय शामिल करने पर जोर दिया। देश में आपातकाल की 43वीं बरसी के मौके पर जावड़ेकर ने कहा, ‘बच्चों को उस समय की वास्तविकता को जानना चाहिए। क्योंकि आपातकाल को द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर लिया गया था।‘
उन्होंने कहा कि आपातकाल पर आधारित पाठ्यपुस्तकों में इस घटनाक्रम का पूरा चित्रण है। लेकिन अब हम अपने सिलेबस में यह भी शामिल करेंगे कि आपातकाल के कारण लोकतंत्र कैसे प्रभावित हुआ। ताकि भविष्य में आने वाली पीढ़ी इस बारे में जान सके।
जावड़ेकर ने कहा कि आपातकाल अब महज शब्द लगता है, लेकिन यह वास्तव में 'बहादुरी की कहानी' और 'संघर्ष का उत्सव' है, जो पाबंदियों और अधिकारों में कटौती के दौर को खत्म करने के लिए किया गया था। वहीं उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भी आपातकाल को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर जोर दिया है। नायडू ने कहा कि यह समय आपातकाल के काले अध्यानय को पाठ्यक्रम का एक हिस्सा बनाने का है, ताकि युवाओं को लोकतांत्रिक स्वतंत्रता का महत्व पता चल सके।
बता दें कि ठीक 43 साल पहले 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया था। देश में आपातकाल ऐसे समय में लगाया गया जब आजादी को महज 28 साल का ही समय हुआ था। 25 और 26 जून 1975 की रात को आपातकाल के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के दस्तखत के साथ देश में आपातकाल लागू हो गया और जनता के सभी नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे।