उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा- किसानों को मिले कृषि उपज का बेहतर मूल्य और समय से किफायती ऋण
गांवों और शहरों के बीच बढ़ती खाई का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि गांवों को केवल शहरों को भोजन की आपूर्ति करने वाले कारखानों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। ग्राम स्वराज्य लाने के लिए किसानों के मुद्दों को हल करना चाहिए।
नई दिल्ली, प्रेट्र। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कृषि उपज के लिए बेहतर मूल्य और किसानों को समय से किफायती ऋण मुहैया कराए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि देश में कृषि को सतत रूप से कायम रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।
नायडू ने कहा- किसानों को समय से सहायता मुहैया कराए जाने की आवश्यकता
उन्होंने रविवार को वैश्विक खाद्य संकट के बारे में संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि अगर किसानों को समय से सहायता मुहैया कराई जाती है, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर रहेगा बल्कि आने वाले समय में दुनिया का पेट भी भरेगा।
किसानों की सराहना करते हुए नायडू ने कहा- भंडारण क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता
पिछले साल कोरोना महामारी के कारण भारी परेशानियों के बावजूद खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों की सराहना करते हुए नायडू ने कहा कि भंडारण क्षमता बढ़ाने, फसल परिवहन पर प्रतिबंध हटाने और कृषि को अधिक लाभकारी बनाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा- किसानों को उत्पादन बढ़ाने और लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत
नायडू ने हैदराबाद में एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि किसानों को उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें पानी और बिजली जैसे अपने संसाधनों का अधिक विवेकपूर्ण इस्तेमाल करने की भी जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने कहा- ग्राम स्वराज्य लाने के लिए किसानों के मुद्दों को हल करना चाहिए
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव और कृषि एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमें गांवों में ग्राम स्वराज्य लाने के लिए उनके मुद्दों को समग्र रूप से हल करना चाहिए। उन्होंने किसानों के लिए लाभकारी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रयोगशाला-कृषि संपर्क बनाने का भी सुझाव दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा- गांवों को शहरों के लिए अनाज पैदा करने के कारखानों के रूप में न देखा जाए
नायडू ने वैज्ञानिकों से जलवायु और सूखा प्रतिरोधी बीज विकसित करने का आह्वान किया। गांवों और शहरों के बीच बढ़ती खाई का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि गांवों को केवल शहरों को भोजन की आपूर्ति करने वाले कारखानों के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।