लोकतंत्र को उखाड़ने तक नक्सल आंदोलन जारी रखने के पक्ष में वरवर राव
वरवर राव नक्सली इलाकों में काम रही कंपनियों और व्यापारियों से जबरन लेवी वसूली को सही ठहराते हैं।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। नक्सलियों के साथ सांठगांठ के आरोपियों की गिरफ्तारी पर फैसला तो सुप्रीम कोर्ट करेगा, लेकिन खुफिया एजेंसियों के पास उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। गिरफ्तार आरोपियों में से एक वरवर राव न सिर्फ सशस्त्र खूनी संघर्ष के जरिए भारतीय संसदीय लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की वकालत करते हैं, बल्कि दलितों, आदिवासियों की कथित लड़ाई की आड़ में सुरक्षा बलों और निर्दोष लोगों की हत्या को भी सही ठहराते हैं।
नक्सलियों की एक पत्रिका में वरवर राव का छपा था साक्षात्कार
नक्सलबाड़ी आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ को मनाने के लिए नक्सलियों ने पिछले साल गिरिडीह में कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसमें भाग लेने के लिए वरवर राव हैदराबाद से आए थे। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने नक्सलियों के एक संगठन 'मजदूर संगठन समिति' के मुखपत्र 'मजदूरों का आह्वान' को साक्षात्कार दिया था।
दैनिक जागरण के पास मौजूद इस साक्षात्कार में वरवर राव देश में मौजूदा संसदीय लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने और 'जनता का शासन पूरे देश पर कायम' होने तक नक्सली आंदोलन के जारी रहने का एलान करते हैं। 1984 के सिख विरोधी दंगे और 2002 के गुजरात दंगे का हवाला देते हुए वरवर राव कहते हैं कि 'फिर हम ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था की संसदीय प्रणाली पर कैसे भरोसा करें?'
नक्सली आंदोलन की सफलता का गुणगान करते हुए वरवर राव ने साक्षात्कार में बताया कि कैसे ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में फैले दंडकारण्य में नक्सली 'जनताना सरकार' के गठन में सफल रहे हैं। यही नहीं, यह 'जनताना सरकार' पिछले 12 सालों से काम कर रही है और कुल एक करोड़ लोग इस सरकार के मातहत जीवन यापन कर रहे हैं। इस सरकार की रक्षा के लिए 'पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी' है। वरवर राव के अनुसार यहां एक लाख से अधिक सदस्यों वाली 'क्रांतिकारी महिला संगठन' भी है। वे कहते हैं कि 'जनताना सरकार' माओत्से तुंग के सिद्धांतों पर चल रही है।
साक्षात्कार में वरवर राव नक्सली आंदोलन के कमजोर होने के सरकारी दावे को भी खारिज करते हैं। उनके अनुसार ऐसीे अफवाह फैलाकर कर सरकार 'क्रांतिकारी विचारों को भयभीत करने' और नक्सलियों को मिल रहे अप्रत्यक्ष समर्थन को समाप्त करने की कोशिश कर रही है। वरवर राव नक्सली इलाकों में काम रही कंपनियों और व्यापारियों से जबरन लेवी वसूली को भी सही ठहराते हैं। उनके अनुसार 'लेवी के पैसे से संगठन चलता है। उससे हथियार खरीदे जाते हैं। आंदोलन के लिए पैसों की जरूरत होती है।'
सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह साक्षात्कार तो नक्सलियों के साथ वरवर राव के संबंधों की एक बानगी भर है। वरवर राव जंगल में रहने वाले और शहरी नक्सलियों के बीच की अहम कड़ी हैं। पुणे पुलिस ने उनके नक्सलियों के साथ सांठगांठ को लेकर पुख्ता सबूत जुटाए हैं। जिन्हें समय आने पर अदालत के सामने पेश किया जाएगा।